आज गांधीनगर मे अपने शिब्बू भाई मिल गये। आजकल वो गांधीनगर के एकमात्र रेसोर्ट और स्पा, केम्बे रेसोर्ट एंड स्पा मे है। हमने पूछ ही लिया शिब्बू भाई क्या चल रहा है? आजकल कहां घूम रहे हो। अपनी मलयाली अंग्रेजी मे बोले कि अब वो मैनेजर गोल्फ़ हैं केम्बे रेसोर्ट और स्पा मे । काम क्या करते हो ?, हमने पूछा । तपाक से बोले मार्केटिंग करता हू, गोल्फ़ क्ल्ब की।
बोले आओ कभी, गोल्फ़ बडा अच्छा खेल है । ट्राई करो, हमारे गेस्ट बन कर आऒ। हमने कहा, पर यार हमे तो गोल्फ़ बडा उबाउ खेल लगता है। पतली डंडी से छोटी सी बोल को मारो और फ़िर चलो। अपनी क्रिकेट अच्छी। एक बार जम गये तो जब तक आउट ना हो तब तक बोल को झूडते रहो। खुद मझा लो और देख्नने वाले को भी मझा कराओ।
बोले कैसे पत्रकार हो। गोल्फ़ बडा ही अच्छा खेल है। प्रदूषण मुक्त वातावरण मे खेलते है आप। वैसे भले ही आपको चलना अच्छा नहि लगता है, पर हरे भरे वातवरण मे बोल के पीछे तो आप उत्साह से जायेंगे। हो गई ना आपकी वाकिंग ।सबसे अच्छा तो यह है कि आपका कम्पीटीशन आपसे खुद से ही है । अपना गोल ऊंचा रखिये और अपना ध्यान केंद्रित कर खेलिये आपकी एकाग्रता बढेगी। क्रिकेट खेल्ने के लिये तो कई खिलाडी चाहियें यहा तो बस आप ही आप है।
हमने कहा कि यार टाईम किसके पास है लम्बे मैदान मे इधर उधर होने का। क्या बात करते हैं आप, शिब्बू भाई बोले। हाई सोसाईटी मे काफ़ी लोकप्रिय हो रहा है गोल्फ़। पिछले छह महिनो मे ही १५० मेम्बर बन गये है। इतने बडे शहर अहमदाबाद और गांधीनगर मे से १५० मेम्बर भी कोई संख्या है क्या? हमने कहा। उनका कहना था कि यह काफ़ी बडी संख्या है । इसकी फ़ीस ही रू १.५० लाख है, २५ साल की । साथ ही केम्बे रेसोर्ट और स्पा मे कई सेवाएं । १०० से ऊपर कमरे है रिसोर्ट मे वो बोले ।
बोले मेम्बर बनने से ही आपका स्टेटस बढ जायेगा। देश विदेश मे लोग इसका उपयोग नेट्वर्किंग के लिये करते है। मतलब- सही मेलजोल बढाने के लिये। मालूम नही मेम्बर के स्टेटस कैसे बढते है, केम्बे रेसोर्ट और स्पा ने इस गोल्फ़ क्लब से गुजरात मे उसका स्टेटस जरूर बना लिया है । अपने शिब्बू भाई को ही लो। कहां तो सरकारी दफ़्तर मे स्टेनोग्राफ़रगिरी करते थे, और कहा अब गोल्फ़ मैनेजरी। बोले कि पहले तीन महिने तो लोगो से मिल्ने और उन्हे समझाने मे ही गये । बाद मे ही ये १५० मेम्बर बने। लगता है की गोल्फ़ समझाते समझाते उनकी गोल्फ़ खिलाडी सी लक्ष्य दक्षता बन गई है !!!
पत्रकार होने के नाते अपने पास तो कभी कभार शिब्बू भाई के गेस्ट बन अपना स्टेटस बढाने का मौका तो है ही । ही ही....
बोले आओ कभी, गोल्फ़ बडा अच्छा खेल है । ट्राई करो, हमारे गेस्ट बन कर आऒ। हमने कहा, पर यार हमे तो गोल्फ़ बडा उबाउ खेल लगता है। पतली डंडी से छोटी सी बोल को मारो और फ़िर चलो। अपनी क्रिकेट अच्छी। एक बार जम गये तो जब तक आउट ना हो तब तक बोल को झूडते रहो। खुद मझा लो और देख्नने वाले को भी मझा कराओ।
बोले कैसे पत्रकार हो। गोल्फ़ बडा ही अच्छा खेल है। प्रदूषण मुक्त वातावरण मे खेलते है आप। वैसे भले ही आपको चलना अच्छा नहि लगता है, पर हरे भरे वातवरण मे बोल के पीछे तो आप उत्साह से जायेंगे। हो गई ना आपकी वाकिंग ।सबसे अच्छा तो यह है कि आपका कम्पीटीशन आपसे खुद से ही है । अपना गोल ऊंचा रखिये और अपना ध्यान केंद्रित कर खेलिये आपकी एकाग्रता बढेगी। क्रिकेट खेल्ने के लिये तो कई खिलाडी चाहियें यहा तो बस आप ही आप है।
हमने कहा कि यार टाईम किसके पास है लम्बे मैदान मे इधर उधर होने का। क्या बात करते हैं आप, शिब्बू भाई बोले। हाई सोसाईटी मे काफ़ी लोकप्रिय हो रहा है गोल्फ़। पिछले छह महिनो मे ही १५० मेम्बर बन गये है। इतने बडे शहर अहमदाबाद और गांधीनगर मे से १५० मेम्बर भी कोई संख्या है क्या? हमने कहा। उनका कहना था कि यह काफ़ी बडी संख्या है । इसकी फ़ीस ही रू १.५० लाख है, २५ साल की । साथ ही केम्बे रेसोर्ट और स्पा मे कई सेवाएं । १०० से ऊपर कमरे है रिसोर्ट मे वो बोले ।
बोले मेम्बर बनने से ही आपका स्टेटस बढ जायेगा। देश विदेश मे लोग इसका उपयोग नेट्वर्किंग के लिये करते है। मतलब- सही मेलजोल बढाने के लिये। मालूम नही मेम्बर के स्टेटस कैसे बढते है, केम्बे रेसोर्ट और स्पा ने इस गोल्फ़ क्लब से गुजरात मे उसका स्टेटस जरूर बना लिया है । अपने शिब्बू भाई को ही लो। कहां तो सरकारी दफ़्तर मे स्टेनोग्राफ़रगिरी करते थे, और कहा अब गोल्फ़ मैनेजरी। बोले कि पहले तीन महिने तो लोगो से मिल्ने और उन्हे समझाने मे ही गये । बाद मे ही ये १५० मेम्बर बने। लगता है की गोल्फ़ समझाते समझाते उनकी गोल्फ़ खिलाडी सी लक्ष्य दक्षता बन गई है !!!
पत्रकार होने के नाते अपने पास तो कभी कभार शिब्बू भाई के गेस्ट बन अपना स्टेटस बढाने का मौका तो है ही । ही ही....
3 comments:
योगेश जी जब आपको अपना स्टॆटस ठीक ठाक बढा हुआ लगने लगे इस नाचीज को भी याद कर लीजिएगा. अपने भी बहती गंगा मे हाथ धो लेंगे , और क्या.. हा हा ह हा
अरे संजय भाई, स्टेट्स को मारो गोली। अपना दिल तो दरिया है। हम तो जब भी अपना ब्लोग नारद पर चिपकाते है सभी ब्लोगरिया दोस्तो को याद कर लेते है।
भैय्ये, दिल्ली तक जाते हो ब्लोगरिया यार दोस्तो से मिलने के लिये, एक बर इस नाचीज को याद करो अलादीन के चिराग की तरह आपके अहमदाबाद मे ही हाजिर हो जायेगा।
हम तो सु्दामा की केटेगरी के है, यार दोस्तो से मिलने के लिये सत्तू ले कर ही आ जाते है।
गुरू अपने गंगा मे हाथ दो सब्र नही करते है, अपन तो सागर मे गोते मारने का मजा लेते है।
और सागर मे जो भी हो वो अपना यार दोस्त।
देखा भाई लोगो, इस जगह ये ही गफ़्लत हो जाती है । संजय और पंकज। खैर कोइ बात नही। दोनो भाई ही ठहरे। तो पंकज भाइ जब आप पढे तो संजय की जगह पंकज पढना और पंकज भाई जब आप पढे तो सोचना की सबसे पहले की टिप्पणी आपने ही की थी।
जब हमसे मिलना हो तब आप दोनो मोस्ट वेल्कम॥॥
हम इसे भूल सुधार नही कहंगे। क्योकी हमारे लिये आप दोनो ही ब्लोगरिया मित्र हो .
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