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Tuesday, July 10, 2007

मोदी को हराने के लिये कांग्रेस अंकल साम की शरण में

गुजरात में इस वर्ष होने वाले विधानसभा के चुनावों पर पूरे हिन्‍दुस्‍तान की नहीं दुनिया की नजर है। चुनाव का केन्‍द्र अपने मोदीजी ही हैं।

पिछ्ली बार तो उनकी गाडी गोधरा कांड की आग से पूरी तेज गति से चल पडी थी। इस बार उनका नारा विकास का नारा है ( अभी तक तो है)। चुनाव के आखिरी दिनों में यह ऊंट (कहावत वाला) कहां बैठता है यह तो शायद ऊंट को भी नहीं मालूम।

खैर अपने कांग्रेसी पूरा जोर लगा रहे हैं, मोदीजी को हराने के लिये। शायद ही कभी चुनाव के एक वर्ष पूर्व चुनावी बिगुल और युध्ध के ढोल ताशे बजे होंगे। आखिरकार मोदीजी को हराना मतलब हिन्‍दू ताकत को खत्‍म करना। भाजपा के एक मात्र बचे हुए हिन्दू चेहरे को मिटाना।

अपने कांग्रेस के प्रतिपक्ष के नेता, मोदीजी की तर्ज की दाढी वाले अर्जुन मोढवाडिया, युवा शक्‍ति का नेता बने रहने में मशगूल प्रदेशाध्य्क्ष भरत सोलंकी एडी चोटी का जोर ही नहीं दिल्‍ली से अमरीका तक की दौड भी लगा रहे हैं। किसी तरह से भी मोदी की छुठ्ठी कर मुख्यमंत्री की कुर्सी हथिया लें। वो कभी साईकल पर पोरबंदर तक गांधीगिरी करने जाते है तो कभी आदिवासियों के साथ मोदी सरकार पर तीर कमान खींचते हैं।

भैय्‍ये बार बार अपनी सोनियाजी को बुला लाते हैं। अगर वो नहीं आती तो उनके राजनीतिक सलाहकार अपने गुजरात के अहमद पटेल को बुला श्रोताओं को उनके कुछ शेर सुनवा देते हैं।

अब तो वो अमरीका से साम अंकल की मदद ले रहे हैं। अरे साम अंकल यानी कि अपने सत्‍यनारायण गंगाराम पित्रोडा । जब तक हिन्‍दुस्‍तान में थे तब तक वे सत्‍यनारायण गंगाराम पित्रोडा ही थे। अमरीका जाते ही वे साम पित्रोडा हो गये। कहा है ना कि रोम में रोमन की तरह रहे। अमरीका में अपने सत्‍यनारायण भैय्‍या ने तो नाम भी अमरीकी रख लिया और साम हो गये। वे अपने भरत और अर्जुन को ऎसा गुजरात बनाने का गुर बतायेंगे कि गुजरात के लोग गुड पर मधुमख्‍खी की तरह भनभनाते हुए बैलेट बोक्‍स में केवल पंजे से पंजा मिला जीत की तालियां बजायेंगे।

मालूम है वो क्‍या करेंगे। वो गुजरात कांग्रेस के लिये मैनीफ़ेस्‍टो यानि कि चुनावी घोषणापत्र बनायेंगे।

मित्रों साम भैय्‍या को कम मत समझना। वे भारत के नोलिज कमीशन के अध्‍यक्ष हैं। शंकरसिंह वाघेला ने गुजरात के ज्ञानियों का जो दरबार रचा था उसके एक मंत्री थे। उसके बाद कई सरकार आई पर वह दरबार ही नहीं लगा। पर अपने सत्‍तू भैय्‍या उर्फ़ साम काका (अंकल को गुजराती में काका कहते हैं, पंजाबी वाला काका नही) गुजरात के चुनावी क्षितिज पर उभरेंगे। वेलकम अंकल साम।

1 comment:

संजय बेंगाणी said...

मोदी जी ने जितने दिनो राज किया है अब तक किसी ने नहीं किया. अतः एंटी-एनकम्बेसी फेक्टर भी काम करने वाला है. इसबार का चुनाव आसान न होगा. अगर मोदीजी जीत जाते है तो यह कांग्रेस की कमजोरी के कारण ही होगा.
वैसे मोदी का करिश्मा उनके विरोधी कम नहीं होने देते तो सम्भव है वे जीत ही जायें. :)

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