चुनाव के दिनों मे नेताऒ के जन्मदिन की बात ही अलग है पिछ्ले चार दिनों में गुजरात के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने उनके जन्मदिन मनाए। ये है शंकरसिंह वाघेला और केशुभाई पटेल । दोनों में काफी समानताए है ।
दोनों मूलत: संघ परिवार से है । गुजरात के अन्य मुख्यमंत्रियो को कौन पूछता है। माधवसिंह सोलंकी, दिलीप परिख, छबील्दास मेहता, सुरेश महेता, सब ना जाने कहां खो गये हैं ।
दोनों ही राजनीति में सक्रिय है । वाघेला मनमोहन सिंघ सरकार में कपडा मंत्री है। केशुभाई राज्यसभा के सदस्य है और गुजरात की राजनीति में काफी सक्रिय है। मजेदार बात तो यह है कि इन दोनों का दुश्मन एक ही है, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ।
शंकरसिंह वाघेला के गांधीनगर स्थित आलीशान बंगले “वसंत वागड“ में तो बसंत का ही माहौल था। साढे नौ से डेढ बजे तक में हजारों की भीड़ । बगंले से एक किलोमीटर दूर लम्बी पार्किंग की भीड़ । हमेशा ही शंकरसिंह बापू के दर्शन के लिए १००-१५० की लाईन ।
हमें तो बापू के जन्मदिन पर एक चीज बडी ही जोरदार लगी । खाने के दस काउन्टर । हलवा, आम के मठा के साथ तरह तरह के व्यंजन । लोग आते रहे ,बापू के दर्शन के बाद भोजन कर देर तक बतियाते रहे।
हर साल वसंत वगडा में २१ जुलाई को बहार आती है। इस बार तो इस बहार की बात ही कुछ और थी। बापू के एक विशवस्त ने इसका राज खोला । इस वर्ष चुनाव हैं। सही बात है टिकट चाहिए तो अपना प्रभाव यहां बताओ।
केशुभाई भी वाघेलाजी की तरह जमीनी नेता हैं। इस बार उनके यहां नेताओं को तो छोडों कार्यकर्ता भी नहीं दिखाई दिये। हाँ अपने मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदीजी जरुर आये। आने से पहले ही उन्होने फोटोग्राफरों और चैनलवालों को केशुभाई से जन्मदिन हैडंशेक के एतिहासिक फोटो के लिये न्योता दे दिया था।
सब आए। पर केशुभाई ने मोदीजी के साथ फोटो खिचवाने से इंकार कर दिया। साफ है एक दिन पहले ही मोदीजी ने उनके पांच प्यारों को शहीद कर दिया था। अपने पांच प्यारों के खून से रक्तरंजित मोदी से तो वो बात भी नहीं करना चाहते । वो तो अतिथि देवो भव: के भाव से उन्होने मोदीजी को उनके बंगले में आने दिया।
आज सभी कह रहे हैं कि कौन जायेगा केशुभाई के बंगले । चुनाव का वर्ष है, टिकट चाहिए। केशुभाई की छाया पडना मतलब है टिकट कट जाना !!
दोनों मूलत: संघ परिवार से है । गुजरात के अन्य मुख्यमंत्रियो को कौन पूछता है। माधवसिंह सोलंकी, दिलीप परिख, छबील्दास मेहता, सुरेश महेता, सब ना जाने कहां खो गये हैं ।
दोनों ही राजनीति में सक्रिय है । वाघेला मनमोहन सिंघ सरकार में कपडा मंत्री है। केशुभाई राज्यसभा के सदस्य है और गुजरात की राजनीति में काफी सक्रिय है। मजेदार बात तो यह है कि इन दोनों का दुश्मन एक ही है, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ।
शंकरसिंह वाघेला के गांधीनगर स्थित आलीशान बंगले “वसंत वागड“ में तो बसंत का ही माहौल था। साढे नौ से डेढ बजे तक में हजारों की भीड़ । बगंले से एक किलोमीटर दूर लम्बी पार्किंग की भीड़ । हमेशा ही शंकरसिंह बापू के दर्शन के लिए १००-१५० की लाईन ।
हमें तो बापू के जन्मदिन पर एक चीज बडी ही जोरदार लगी । खाने के दस काउन्टर । हलवा, आम के मठा के साथ तरह तरह के व्यंजन । लोग आते रहे ,बापू के दर्शन के बाद भोजन कर देर तक बतियाते रहे।
हर साल वसंत वगडा में २१ जुलाई को बहार आती है। इस बार तो इस बहार की बात ही कुछ और थी। बापू के एक विशवस्त ने इसका राज खोला । इस वर्ष चुनाव हैं। सही बात है टिकट चाहिए तो अपना प्रभाव यहां बताओ।
केशुभाई भी वाघेलाजी की तरह जमीनी नेता हैं। इस बार उनके यहां नेताओं को तो छोडों कार्यकर्ता भी नहीं दिखाई दिये। हाँ अपने मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदीजी जरुर आये। आने से पहले ही उन्होने फोटोग्राफरों और चैनलवालों को केशुभाई से जन्मदिन हैडंशेक के एतिहासिक फोटो के लिये न्योता दे दिया था।
सब आए। पर केशुभाई ने मोदीजी के साथ फोटो खिचवाने से इंकार कर दिया। साफ है एक दिन पहले ही मोदीजी ने उनके पांच प्यारों को शहीद कर दिया था। अपने पांच प्यारों के खून से रक्तरंजित मोदी से तो वो बात भी नहीं करना चाहते । वो तो अतिथि देवो भव: के भाव से उन्होने मोदीजी को उनके बंगले में आने दिया।
आज सभी कह रहे हैं कि कौन जायेगा केशुभाई के बंगले । चुनाव का वर्ष है, टिकट चाहिए। केशुभाई की छाया पडना मतलब है टिकट कट जाना !!
No comments:
Post a Comment