गुजरात की सौराष्ट्र युनिवर्सिटी का एक छात्र बडा दुखी है। उसकी तमाम कोशिशो के बावजूद वह फ़ेल होने मे सफ़ल नही हो सका। इस छात्र अमित पंड्या ने युनिवर्सिटी से पूछा है कि उसके गलत और वाहियात जवाबों के बावजूद उसे पास क्यों किया गया है।
उसका कहना है की उसने केवल ४० नंबर के प्रश्नो के ही जवाब लिखे थे। वे भी गलत सलत। इसके बावजूद उसे पास कर दिया गया है। क्यों ? क्या मै युनिवर्सिटी का दत्तक पुत्र हू? उसने युनिवर्सिटी को प्रश्न किया है। आमित की नारजगी का कारण जोरदार है।
MA -I हिन्दी की परीक्षा मे उसके तीन पेपर खराब गये थे। परिणाम अच्छा लाने के लिये उसने सोचा कि वो फ़ेल हो जाये और अगले साल बेहतर तैय्यारी के साथ परीक्षा मे बैठे। इसलिये उसने गलत सलत जवाब लिखे। और केवल ४० नंबर के प्रश्नों का ही जवाब लिखा।
उसका कहना है कि पहले तीन प्रश्नों का जवाब ही नही लिखा। चौथे प्रश्न के जवाब मे उसने अपनी ही व्याख्यायें ही लिखी और लेखकों के नाम पर अपने दोस्तों के नाम लिख दिये। प्रश्न था काव्यानुवाद की समस्या के बारे मे।अमित ने अपने मित्रों के नाम और उनके घर के पते लिख डाले। प्रश्न पांच के सवाल के जवाब मे अमित ने रजनीश और गौतम बुध्ध के बारे मे लिखा और जब इससे भी संतोष नही हुआ तो क्यों की सांस भी कभी बहु थी सीरियल के बारे मे लिख डाला।
उसने युनिवर्सिटी से पूछा है कि सभी सवालों के जवाब लिखने वाले फ़ेल हुए है तो मै कैसे पास हो गया? युनिवर्सिटी के अधीकारियों के होश उड गये है अमित के खुले प्रश्नों से ।
उसका कहना है की उसने केवल ४० नंबर के प्रश्नो के ही जवाब लिखे थे। वे भी गलत सलत। इसके बावजूद उसे पास कर दिया गया है। क्यों ? क्या मै युनिवर्सिटी का दत्तक पुत्र हू? उसने युनिवर्सिटी को प्रश्न किया है। आमित की नारजगी का कारण जोरदार है।
MA -I हिन्दी की परीक्षा मे उसके तीन पेपर खराब गये थे। परिणाम अच्छा लाने के लिये उसने सोचा कि वो फ़ेल हो जाये और अगले साल बेहतर तैय्यारी के साथ परीक्षा मे बैठे। इसलिये उसने गलत सलत जवाब लिखे। और केवल ४० नंबर के प्रश्नों का ही जवाब लिखा।
उसका कहना है कि पहले तीन प्रश्नों का जवाब ही नही लिखा। चौथे प्रश्न के जवाब मे उसने अपनी ही व्याख्यायें ही लिखी और लेखकों के नाम पर अपने दोस्तों के नाम लिख दिये। प्रश्न था काव्यानुवाद की समस्या के बारे मे।अमित ने अपने मित्रों के नाम और उनके घर के पते लिख डाले। प्रश्न पांच के सवाल के जवाब मे अमित ने रजनीश और गौतम बुध्ध के बारे मे लिखा और जब इससे भी संतोष नही हुआ तो क्यों की सांस भी कभी बहु थी सीरियल के बारे मे लिख डाला।
उसने युनिवर्सिटी से पूछा है कि सभी सवालों के जवाब लिखने वाले फ़ेल हुए है तो मै कैसे पास हो गया? युनिवर्सिटी के अधीकारियों के होश उड गये है अमित के खुले प्रश्नों से ।
2 comments:
यह भी खूब रही. आमतौर पर परीक्षक गण परीक्षार्थियों पर उदार रहते हैं. अब इस प्रकरण से उन्हें भी सबक लेना होगा :)
आम तौर पर यही होता है मित्र. इस बात को लेकर परेशान न हों. यही लॉर्ड मैकाले की असली मंशा भी रही होगी.
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