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Wednesday, October 1, 2014

गांधीजी की आत्मकथा की कहानी

गांधीजी की आत्मकथा अब पंजाबी और कश्मीरी में भी

गांधीजी के बारे में सबसे लोकप्रिय पुस्तक गांधीजी की आत्मकथा का  पंजाबी और कश्मीरी में भी अनुवाद हो गया है और ये पुस्तकें अब गांधी जयन्ति के दिन से लोगों को उपलब्ध होंगी । इसके साथ ही गांधीजी की आत्मकथा अब भारत की 17 और दुनिया की      30 भाषाओं में पढ़ी जा सकती है।

विवेक देसाई पुस्तकों के साथ
यह जानकारी देते हुए नवजीवन ट्रस्ट के अध्यक्ष विवेक देसाई ने कहा कि इन पुस्त्कों की विशेषता यह है कि दोनों का ही मुख्य प्रष्ठ का डिज़ाइन नया है। इसमें युवा गांधी का चित्र है। उन्होने कहा कि गांधीजी ने उनकी आत्मकथा सन 1920 तक ही लिखी थी। यह चित्र जर्मनी के विख्यात फोटोग्राफर से लियी गया है।
दोनों पुस्तकों में बहुत पन्ने हैं, पर प्रत्येक की कीमत केवल 60  रुपये ही रखी गई है। देसाई ने कहा कि नवजीवन ट्रस्ट की नीति है कि गांधीजी द्वारा लिखी गई पुस्तकों को लोगों को सस्ते दरों पर उपलब्ध कराया जाए। तदानुसार लगभग एक दर्जन पुस्तकों को सस्ते दाम पर उपलब्ध कराया जाता है। गांधीजी की आत्मकथा उसमे से एक है।
इन पस्तकों को तैय्यार करने में लगभग तीन वर्ष का समय लगा है, उन्होने कहा। पहले नवजीवन ट्रस्ट गांधीजी की आत्मकथा केवल हिन्दी, गुजराती और अंग्रेजी में ही प्रकाशित होती थी। 1993 में जब ट्रस्ट के 75 वर्ष पूरे हुए तब अन्य भारतीय भाषाओं मे भी इसे प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया।
और अब यह 17 भाषाओं मे प्रकाशित हो चुकी है। विवेक देसाई का कहना है कि लोगों की रुचि गांधीजी में बढ़ रही है और इसके फलस्वरूप उनकी किताबों विशेषकर आत्मकथा की मांग भी बढ़ रही है। 2009 में गांधीजी का साहित्य कॉपी राईट क्षेत्र से बाहर हो गया है और कई निजी प्रकाशक गांधी साहित्य को प्रकाशित कर रहे हैं ,फिर भी नवजीवन ट्रस्ट की पुस्तकें और अधिक बिक रही हैं।

एक तो ये पुस्तकें सस्ती हैं और इनका तथ्य अधिक्रत है, उन्होने कहा।
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