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Saturday, January 9, 2016

घर के दरवाजे पर शहनवाज हुसैन

32 वर्षीय छात्र नेता शहनवाज हुसैन अब अहमदाबाद के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र जमालपुर के पार्षद हैं। यह उनका पहला नगर निगम चुनाव था और वे जीत कर पार्षद बन गए।
एक मंझे राजनेता की तरह बतियाते शाहनवाज ने अपने कार्यकाल के पहले महिने में ही मतदाताओं से मिलने का कार्यक्रम एक अभियान के रूप में शुरू किया है। उन्होंने इसका नाम दिया है कॉर्पोरेटर एट योर होम – आपके घर पर आपका पार्षद।
एक महिने में पूरे क्षेत्र के दो राउन्ड लाग चुके हैं शहनवाज भैय्या। हर शनि-रवि को यही काम। सोम-मंगल को अधिकारियों के साथ लोगों की समस्या के मुद्दे। और बाद में उसका फालोअप।
उनका कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें एक बात सबसे अधिक सुनने को मिली। चुने जाने के बाद कार्पोरेटर पांच साल में एक बार ही दिखते हैं।
इसे केन्द्र में रखते हुए मैंने निर्णय किया कि मैं अधिक से अधिक मतदाताओं के सम्पर्क में रहूंगा और उनकी समस्याओं को हल करूंगा, शहनवाज कहते हैं। हालिंक उनके क्षेत्र में 80 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम है, फिर भी उनका मानना है कि पार्षद के रूप में उन्हें सभी की समस्याओं को केन्द्र में रखना चाहिए।
शहनवाज और उनके क्षेत्र के दो अन्य पार्षद जल्द ही उनके वार्ड का 24x7 कार्यालय खोलने जा रहे हैं। उनका कहना है कि रात को एक जिम्मेदार व्यक्ति रहेगा जो मतदाताओं की समस्या सुनेगा और उन्हें मदद करेगा। मेडीकल और पुलिस इन दो प्रकार की समस्याएं ही जरूरी मुद्दे होते हैं रात के समय।
शहनवाज एनएसयूआई के नेता हैं। फिलहाल वे गुजरात युनिवर्सिटी के सेनेट मेम्बर हैं।
2001 से छात्र राजनिति में जुड़े शहनवाज ने विभिन्न राज्यों में एनएसयूआई के प्रभारी के रूप में कार्य किया है। उनके अनुसार यही उनकी राजनीति की शिक्षा का स्थल रहा है। 2007 में यूपी 2008 बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के अनुभव ने उन्हें बहुत कुछ सिखलाया है।
उनका कहना है कि यदि जिन्दगी को जानना है, सही मायने में सीखना है तो हमें घूमना चाहिए। भले ही हम एक सामान्य यात्री के रूप में घूमें। कॉलेज में सतत तीन वर्ष तक वे गाने की प्रतियोगिता जीतते रहे। उनका कहना है कि इससे एक ओर उनका स्टेज का डर निकला तो दूसरी ओर उन्हें पब्लिक लाईफ का चस्का लगा। यही उन्हें एनएसयूआई में लाया और फिर अब अहमदाबाद नगर निगम में।
उनके पिता एक डाक्टर हैं। वे ही उनके प्रेरणा स्त्रोत है। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में रहकर हिन्दुओं के क्षेत्र में चिकित्सा सेवा यह उनके पिता की खासियत है। मेरे पिता के किसी भी समय बिना किसी कटुता के मरीज को देखने के निस्वार्थ भाव से मैंने लोगों के लिए कार्य करना सीखा है, वे कहते हैं।
शहनवाज दो जिम से जुड़े हुए हैं, जो उनकी आय का स्त्रोत हैं।
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