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Monday, March 31, 2008

नोट को सम्मान दो

नोट को सम्मान कौन नही देता है ? नोट के लिये तो लोग क्या नही करते? लक्ष्मी की पूजा करते है। भगवान से सौदा करते हैं। कहते हैं कि हे भगवान हमें इतने पैसे दे दो, हम तुम्हे ये दे देंगे। कटकी बोलो या फ़िर कहो कमीशन।
पर नोट यानी कि कागज़ के नोट की तो हालत खस्ता है। लोग इस पर ना जाने क्या क्या लिखते हैं ? जरा सोचो कितना महंगा राईटिंग पैड होता है यह लिखा हुआ नोट। लोग फ़ूलों की माला पहराते हैं। पर कितने महंगे फ़ूल खरीदे जा सकते हैं। और फ़िर गले से फ़ूल उतरे नहीं कि गये कचरे की टोकरी में।
नोटों की माला पहनाओ और अगले को उसकी कीमत बताओ। और उसके दरबार मे अपना रुतबा बढाओ!
कितना जोरदार ख्याल है? लोग करते ही हैं यह सब। पर अपने रिजर्व बैंक का मानना है कि यह सब तो बेचारे नोट का अपमान है। नोट भगवान है, रिजर्व बैंक का कहना है। वो इंसान के गले का हार कैसे बन सकता है। रिजर्व बैंक ने हाल ही मे सभी से अपील की है कि नोट भगवान है उसे सम्मान दो। मान गये अपने रिजर्व बैंक के इस अध्यात्म दर्शन को।
बोलो जै नोट भगवान की!!!!

अहमदाबाद में सस्ती शराब

आहमदाबाद और शराब । पूरे गुजरात मे जब शराबबंदी है, तब अहमदाबाद मे शराब कैसे मिल सकती है? वो भी सस्ती शराब ! आज अहमदाबाद के एक अखबार ने पहले पन्ने पर सस्ती शराब के समाचार छापे। अखबार का कहना है कि यह पुलिस द्वारा पकडी गई शराब है। यह ४० से अधिक उम्र वालों को ही मिलेगी। पहले आओ, माल पाओ।
रिपोर्टर ने अपनी तरफ़ से काफ़ी मेहनत भी की लगती है। उसने यह भी बताया है कि सरकारी दुकान पर क्या भाव है और सस्ती शराब का क्या दाम है। महिलाओं और बालकों को दारू नही बेची जायेगी । उम्र का सबूत लाना जरूरी है।
भैये यह है अंदाज अपने अहमदाबाद के एक अखबार के अप्रैल फ़ूल मनाने का। यह अखबार है संदेश । गुजरात समाचार का अंदाज ही अलग है। अखबार मे सूचना है कि यदि अखबार के गिफ़्ट कूपन मे सूर्य का निशान पाओ तो हमसे रु१,००० ले जाओ!!
यह तो आप को गुजरात मे अप्रैल फ़ूल की एक झलक बतलाने के लिये है, आपका अप्रैल फ़ूल बनाने के लिये नही।
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