राजनीति में इस्तीफ़ा बडा ही सशक्त शस्त्र है। बस इस्तीफ़े के धमकी से ही काम चल जाता है। लोग देते नही है। मालूम नहीं कब स्वीकार हो जाए।
पर अपने भाई तो भाई हैं। उनके दोस्त और दुश्मन सभी उन्हे भाई कहते हैं वैसे उन्हे भी यह सम्बोधन काफ़ी प्रिय है। वैसे तो उनके दो दो चुनाव जीतने के बावजूद भी वो मुम्बई पुलिस की भाई की लिस्ट में ही हैं।
अपने भाई है गुजरात के पुरषोत्तम सोलंकी। मोदीजी के मंत्रीमंडल में मछली मंत्री! सरकारी गनमैन हो या न हो भाई के अपनी सिक्योरिटी तो हमेंशा साथ रहती है।
उन्होने उनकी जाति की दो युवतियों के बलात्कार के विरोध में दो बार इस्तीफ़ा दे दिया। कार और बंगले का भी उपयोग करना बंद कर दिया। गांधीनगर में सचिवालय की तरफ़ मुंह करना भी बंद कर दिया।
एका एक कल सभी समाचार पत्रों में उन्होने एक प्रेसनोट भेज डाली। पाकिस्तान की जेलो से भारतीय मछुआरों को छुडवाने के लिये । सभी पत्रकार आश्चर्यचकित! कई मित्रो ने फ़ोन कर डाले। पूछा भाई ये क्या?
अपने भाई भी कम थोडे है। बोले हमने इस्तीफ़ा दिया यह एक हकीकत । पर साथ ही यह भी एक हकीकत है कि मुख्यमंत्री नरेन्द्रभाई ने अभी तक स्वीकार नही किया है! और मजबूरन में मंत्री हूं !!
पर अपने भाई तो भाई हैं। उनके दोस्त और दुश्मन सभी उन्हे भाई कहते हैं वैसे उन्हे भी यह सम्बोधन काफ़ी प्रिय है। वैसे तो उनके दो दो चुनाव जीतने के बावजूद भी वो मुम्बई पुलिस की भाई की लिस्ट में ही हैं।
अपने भाई है गुजरात के पुरषोत्तम सोलंकी। मोदीजी के मंत्रीमंडल में मछली मंत्री! सरकारी गनमैन हो या न हो भाई के अपनी सिक्योरिटी तो हमेंशा साथ रहती है।
उन्होने उनकी जाति की दो युवतियों के बलात्कार के विरोध में दो बार इस्तीफ़ा दे दिया। कार और बंगले का भी उपयोग करना बंद कर दिया। गांधीनगर में सचिवालय की तरफ़ मुंह करना भी बंद कर दिया।
एका एक कल सभी समाचार पत्रों में उन्होने एक प्रेसनोट भेज डाली। पाकिस्तान की जेलो से भारतीय मछुआरों को छुडवाने के लिये । सभी पत्रकार आश्चर्यचकित! कई मित्रो ने फ़ोन कर डाले। पूछा भाई ये क्या?
अपने भाई भी कम थोडे है। बोले हमने इस्तीफ़ा दिया यह एक हकीकत । पर साथ ही यह भी एक हकीकत है कि मुख्यमंत्री नरेन्द्रभाई ने अभी तक स्वीकार नही किया है! और मजबूरन में मंत्री हूं !!
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