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Saturday, July 7, 2007

अच्छी खबर भी कोइ खबर है

आजकल मीडिया को गाली ही सुनने को ही मिलती है मीडिया एक ऐसा शब्द है , जव आम भाषा मे ही नही , आम आदमी के जुबान मे भी रम गया है । हमे हमारे बचपन का किस्सा याद आता है रेलवे इन्स्टीट्युट मे हर हफ्ते पिक्चर हुआ करती थी मुफ़्त के पास पर सब देखने आते थे । नाच गाने के दृश्यो पर मुई कैसी है, इसको लाज शर्म नही है ... । पर हर बार भीड़ हमेशा जैसी ।
बस मीडिया की भी यही हालत है । लोग जब देखो तब कोसते ही रहते हैं। इसमे अपने मोदीजी अकेले नही है। फ़िर भी लोग टी वी पर शाम को चिपके रहते है । ऎसे हजार किस्से लिख सकते हैं । पर यहां हम बात कर रहे है आज के एक सेमीनार की । सेमीनार का विषय था ब्रोड़कास्टिंग बिल । ओपन सेश्न मे सवाल जवाब थे । लगभग सभी सवाल मीडिया के बारे मे थे , बिल के बारे मे नहीं ।
किसी ने कहा मीडिया को कुछ अच्छा नही दिखता । एक ने सवाल दागा, गुजरात के बारे मे खराब क्यो लिखा या दिखाया जाता है ? इसके साथ लम्बी टिप्पणी भी कर डाली । सवाल पूछना भी एक विशेषता है । अच्छे अच्छे विद्वान भी सही सवाल नही पूछ सकते । इसीलिये तो कहते हैं कि कोई व्यक्ति उसके सवाल से जाना जाता है, जवाब से नही । खैर , अपने प्रकाश शाह ने बिल्कुल सही टिप्पणी । ये सब अच्छे सुझाव है, हम इन्हे सुझाव के रूप मे हमारे दस्तावेज मे रखेंगे !
प्रसार भारती के पूर्व सी ई ऒ के एस सर्मा का जवाब था कि आप सब जानते हैं कि नो न्यूज इज गुड न्यूज तो गुड न्यूज इज नो न्यूज। सही बात है सर्मा जी । उन्होने उदाहरण दे बताया कि लोग कैसे गुड न्यूज के लिये कहते है की इसमे क्या और बेड न्यूज सुनते ही और जानने को उत्सुक हो जाते है । हमारा तो अनुभव है कि सत्ता मे लोग अपने बारे मे अच्छी और औरों के बारे मे खराब न्यूज सुनना चाहते हैं । इसीलिये गुड न्यूज इज नो न्यूज।

2 comments:

संजय बेंगाणी said...

गुड पोस्ट.

अनुनाद सिंह said...

बहुत अच्छी सूक्ति प्राप्त हुई - आदमी अपने सवालों से जाना जाता है, जवाबों से नहीं।

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