नमक का महत्व कौन नही जानता? सभी को मलूम है कि नमक हमारे शरीर के लिये बहुत जरूरी है। इसके बावजूद हम सब घटिया किस्म का नमक खाते है। यह शायद आश्चर्यजनक लगे , पर यह एक हकीकत है ।
जामनगर स्थित एन के भारद्वाज का कहना है कि भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते है । श्रेष्ठ प्रकार का नमक सेंधा नमक है, जो पहाडी नमक है । इस नमक से हम सब परिचित है । व्रत के समय इसी नमक का उपयोग होता है । भारद्वाज नमक विशेषज्ञ हैं और नमक उत्पादन से ले नमक आधारित उध्योग मे पिछले ३० वर्ष से हैं।
अहमदाबाद के प्रख्यात वैद्य मुकेश पानेरी कहते है कि आयुर्वेद की बहुतसी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है।आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप का भय रहता है । इसके विपरीत सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है । इसकी शुध्धता के कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है ।
सेंधा नमक की सबसे बडी समस्या है कि भारत मे यह काफ़ी कम मात्रा मे होता है , और वह भी शुध्ध नही होता है। भारत मे ८० प्रतिशत नमक समुद्री है, १५ प्रतिशत जमीनी और केवल पांच प्रतिशत पहाडी यानि कि सेंधा नमक । भारद्वाज कहते हैं कि सबसे अधिक सेंधा नमक पाकिस्तान की मुल्तान की पहडियों मे है।
यदि बाजार का सर्वेक्ष्ण करे तो मालूम पडेगा कि समुद्री और सेंधा नमक के दाम मे इतना अधिक अंतर है जिसके कारण लोग समुद्री नमक खरीद्ते हैं । हमने अहमदाबाद बाजार मे जांच की तो मालूम पडा कि समुद्री नमक जहां नौ रु किलो है तो सेंधा नमक का दाम रु ४० प्रति किलो है । सेंधा नमक समुद्री नमक से कम नमकीन होता है । साफ़ है कि इसका अधिक उपयोग करना पडता है ।
और इसीलिये लाख उपयोगी होने के बावजूद लोग इसकी जगह समुद्री नमक से ही चला लेते है ।
जामनगर स्थित एन के भारद्वाज का कहना है कि भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते है । श्रेष्ठ प्रकार का नमक सेंधा नमक है, जो पहाडी नमक है । इस नमक से हम सब परिचित है । व्रत के समय इसी नमक का उपयोग होता है । भारद्वाज नमक विशेषज्ञ हैं और नमक उत्पादन से ले नमक आधारित उध्योग मे पिछले ३० वर्ष से हैं।
अहमदाबाद के प्रख्यात वैद्य मुकेश पानेरी कहते है कि आयुर्वेद की बहुतसी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है।आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप का भय रहता है । इसके विपरीत सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है । इसकी शुध्धता के कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है ।
सेंधा नमक की सबसे बडी समस्या है कि भारत मे यह काफ़ी कम मात्रा मे होता है , और वह भी शुध्ध नही होता है। भारत मे ८० प्रतिशत नमक समुद्री है, १५ प्रतिशत जमीनी और केवल पांच प्रतिशत पहाडी यानि कि सेंधा नमक । भारद्वाज कहते हैं कि सबसे अधिक सेंधा नमक पाकिस्तान की मुल्तान की पहडियों मे है।
यदि बाजार का सर्वेक्ष्ण करे तो मालूम पडेगा कि समुद्री और सेंधा नमक के दाम मे इतना अधिक अंतर है जिसके कारण लोग समुद्री नमक खरीद्ते हैं । हमने अहमदाबाद बाजार मे जांच की तो मालूम पडा कि समुद्री नमक जहां नौ रु किलो है तो सेंधा नमक का दाम रु ४० प्रति किलो है । सेंधा नमक समुद्री नमक से कम नमकीन होता है । साफ़ है कि इसका अधिक उपयोग करना पडता है ।
और इसीलिये लाख उपयोगी होने के बावजूद लोग इसकी जगह समुद्री नमक से ही चला लेते है ।
12 comments:
क्या सेंधा नमक और रॉक साल्ट एक ही हैं-और काला नमक भी इसी को कहते हैं??
--जानकारी के लिये आभार.
सेंधा नमक और काला नमक शायद एक ही है ना?
बढ़िया जानकारी दी आपने, आभार!!
गुरु शिष्य एक सा सवाल पूछें देख कर बड़ा भला लगता है.. पर इन दोनों नमक को अलग अलग ही रहने दें क्योंकि ये अलग अलग हैं.. जहाँ तक मेरी जानकारी है सेंधा नमक प्राकृतिक है.. जबकि काला नमक मनुष्य द्वारा कई मसाले मिलाकर बनाया जाता है.. भई योगेश जी आप इस पर आधिकारिक जवाब दें..
अगली पोस्ट काला नमक के बारे में लिखें.. वरना दुनिया(कम से कम गुरु शिष्य) इस गलतफ़हमी में रहेगी कि काला नमक स्वास्थ्य के लिए बड़ा अच्छा है.. या अगर मैं गलत हूँ तो मैं.. सच्चाई को सामने लायें..योगेश जी..
अभय भाई के लिये जब तक अधिकारिक जबाब नहीं आ जाता है गुरु चेला के लिये--- :) ...अब क्या करें सिर्फ दांत दिखाने के. हा हा..अभय जी, आप तो सनझते हो... :)
मित्रो आप लोगो मे नमक के बारे मे इस चटपटी उत्सुकता को देख बहुत आनन्द भयो ! हमारे भारद्वाज जी का जामनगर बरसात से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रो मे से एक है और इसलिये वहा के अधिक्तर क्षेत्रो मे कल से लाइट नही है, टेलिफ़ोन भी बंद हैं । उनसे सम्पर्क होते ही मै आपको रोक साल्ट की हकीकते black and white मे रख दूंगा।
वास्तव मे काला नमक के बारे मे कै लोगो को यह धारणा है कि वह कृत्रिम है। पर जब हमने अपने जामनगर दौरे के दौरान भारद्वाज जी से यह पूछा था तब उनका कहना था कि वह प्राकृतिक नमक ही है।
इस लेख मे सेंधा नमक के नाम से जिस नमक का उल्लेख हुआ है वह सफ़ेद आभा वाला है और टुकडे, स्फ़टिक एंव पाउडर स्वरूप मे मिलता है।
वैसे आप अपनी पत्नी, मा बहन से पूछ सकते हैं कि वे व्रत के दौरान आपके फ़लाहार मे कौनसा, सफ़ेद या काला, नमक उपयोग मे लाती हैं। हमारी पत्नी का कहना है कि वह सफ़ेद रंग का होता है। भारद्वाज साहब ने भी हमे सफ़ेद नमक ही दिख्लाया था।
गुरुओ एक बात है। अहमदाबाद मे कल से जम कर एक धार बारिश हो रही है और उसमे यह गुरु चेले वाली बात पकोडों जैसी चटपटी लग रही है।
लगे रहो भैये
जहाँ तक मुझे पता है काला और सेंधा नमक अलग अलग होते हैं । सेंधा नमक सफ़ेद/हल्का गुलाबी किस्म का होता है और काला नमक थोडा पारदर्शी गुण लिये हुये काले से रंग का होता है ।
सेंधा नमक की तुलना में काले नमक की क्रिस्टल स्ट्रक्चर भिन्न होती है ।
सेंधा नमक विभिन्न व्रतों के दौरान खाने में प्रयुक्त होता है जबकि काले नमक में जबरदस्त पाचनशक्ति होती है । जी घबराने/उल्टी में भी काले नमक का सेवन लाभदायक होता है ।
देखें बाकी लोग क्या कहते हैं ।
मैने सेंधा नमक हल्के गुलाबी रंग में ही देखा है. इसका स्वाद भी समुन्द्री नमक से भिन्न होता है.
समुन्द्री नमक के बल पर ही नमक की जरूरतो को पुरा किया जा सकता है, क्योंकि सेन्धा नमक कम मात्रा में उपलब्ध है. अगर इसका उपयोग बढ़ता है तो यह और महंगा हो जाएगा. यानी समुन्द्री नमक मजबुरी है.
मित्रों हाल ही मे भारद्वाज जी से सम्पर्क हुआ। जामनगर मे कल से जो बरसात शुरू हुई है वह अभी भी पड ही रही है।
उन्होने बताया कि दोनो, सेंधा और काला नमक, मूलत: रोक साल्ट ही हैं। अर्थात उनके बनने की प्रक्रिया एक ही है। पर उनमे विध्यमान तत्वो के कारण न केवल उनका रंग अलग है अपितु उनका हमारे शरीर पर प्रभाव भी अलग है ।
उनका कहना है कि सेन्धा नमक सर्वश्रेष्ठ है। हिमाचल प्रदेश मे काला नमक मिलता है। भारत मे सेंधा नमक एक तरह से होता ही नही है ।
आशा है कि इस जानकारी ने श्वेत श्याम समस्या का black and white मे शमन कर दिया होगा।
हमने उनसे संजय भैया वाला प्रश्न भी पूछा । उन्होने बताया कि सेंधा नमक की छटा गुलाबी होती है। इसका कारण उसमे विद्यमान पोटेशियम है। पोटेशियम काफ़ी गुण्कारी है और इसी गुण के कारण सेंधा नमक अन्य सभी नमकों से श्रेष्ठ है
मित्रो आप लोगों के प्रश्नों के कारण हमे नमक के बारे मे इतनी रोचक जानकारी मिली है कि हम जल्द ही उसे आपके साथ बाटंगे
... अगर इसका उपयोग बढ़ता है तो यह और महंगा हो जाएगा....
तो भाई योगेश से नर्म निवेदन है कि भारत की गरीब जनता के हितार्थ इस पोस्ट को हटा दिया जाय.
क्योंकि अगर एक भी ब्लागर आपकी इस पोस्ट के बहकावे में आकर साधारण नमक के बजाय सेंधा नमक इस्तेमाल करने लगेगा तो सेंधा नमक के महंगा होने का सारा (कु)श्रेय आप ही को दिया जायेगा.
:)
विजयजी आपकी बात सोलह आने सच। संजय भैया ने भी यही भय प्रकट किया था । जैसा कि मैने मेरे जवाब मे लिखा, मैं जल्द ही नमक के बारे मे कुछ रसप्रद बातें लिखूंगा । तब शायद आप जैसे मित्र नमक का व्यापार ही शुरू कर मुझे अपने करोड्पति बनने का श्रेय दे !!!
दोस्तो सोचो आप इन गरीबो को सेंधा नमक खिला रक्तचाप की दवाईयों और डाक्टरों के बिल से काफ़ी राहत दिला सकते हैं। आप पैसे कमाना और मेरे लिये भारत को रक्तचाप समस्या से मुक्त बनाने के लिये पद्म्श्री जैसे अवार्ड की जोरदार ओपीनिअन पोल चलाना। और यह सम्मान लेते समय मै भारत के इस गूगल चक्र,नारद, का तहे दिल से खुले मे आभार प्रकट करूंगा ! मित्रो मै नारद को घसीट नही रहा हू, पर माथे पर उठाने की बात कर रहा हू।
खैर यह सब पढ्कर अभी अभी हमारे वैद्यराज मुकेश पानेरी का फ़ोन आया था। उन्होने कहा है कि काला नमक कृत्रिम रूप से भी बनता है । उन्होने सेंधा और काला नमक दोनों के गुणो के बारे मे जानकारी देने का वायदा किया है।
अपने पानेरी जी Parkinson के विशेष्ज्ञ है। विदेशों मे इसका ईलाज करने जाते रहते है। आयुर्वेद मे इस बिमारी को कंप कहते है और इसका ईलाज है। एलोपथी मे यह लाईलाज है।
मानसिक हलचल मे खराबी होने से होती है यह बिमारी, पानेरीजी का कहना है।
संजय जी आप इतना क्यों घबरा जाते हैं देखिये विजय वडनेरे जी का क्या हाल हो गया... :)
लेकिन यह नमक विमर्श शायद सबसे सुखद विमर्श है.. [सबसे धर्मनिरपेक्ष..:)].. बढ़ाईये इस विमर्श को और..
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