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Monday, July 9, 2007

गुजरात भाजपा में आ बैल मुझे मार

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

पिछले कुछ महिनों से गुजरात भाजपा यादवास्‍थली बन गई है। कौन क्‍या है यह तो नहीं मालूम पर बागी भाजपाई लालकृष्‍ण आडवाणी को खुल कर धृतराष्‍ट्र पुकार रहे हैं। नरेन्‍द्रमोदी के मोह में अंधे धृतराष्‍ट्र। पर हम ईमानदारी से कहें कि हमारे मुख्‍यमंत्री नरेन्‍द्र मोदीजी के लिये अभी कोई प्रचार पात्र नहीं चुना गया है।

बागी अपने को बहुसंख्‍यक बतलाते हैं। पर, अगर प्रदेशाध्‍यक्ष पुरुषोतम रुपाला की बात माने तो वे पौने पांच साल में पांच के साडे पांच नहीं हुए हैं। पर उन्‍होंने उन्‍हें कभी पांडव नहीं कहा। कहें भी कैसे? यदि बागी पांडव बने, तो बाकी सब कौरव। आडवाणीजी तो धृतराष्‍ट्र घोषित ही किये जा चुके हैं। अब दुर्योधन की घोषणा होनी बाकी है।

हर रोज बागियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। पहले अपने मुख्‍यमंत्रीजी को ही गाली बकते थे। प्रचार के भूखे, भाजपा को खत्‍म करने वाले और हिटलर जैसी अभिव्‍यक्‍तियों का उपयोग करते थे। अब तो धीरु गजेरा खुल कर आडवाणी को धृतराष्‍ट्र कह रहे हैं।

पिछ्ले तीन साल में तीन विधायकों को निलम्‍बित और कुछ और को पार्टी से निकाल देने वाले नेता चुपचाप छाती पर वार सह रहे हैं। रुपालाजी का कहना है कि असंतुष्‍ट कांग्रेस और एनसीपी दोनों से सौदेबाजी कर रहे है और वे चाहते हैं कि उन्‍हें भाजपा दल से खदेडे। इससे वो अपना मार्केट बढाना चाहते हैं। उनकी भाषा में बागी पार्टी से निकाले जानेका टाईटल क्लीयरन्स सर्टीफ़िकेट की जुगाड में है।

इधर अपने मोदीजी का गुट भी सुर्रे छोडता रहता है वह भी चाहता है कि ये पांडव चालू रहें। उनका मानना है कि इससे लोग उन्‍हें परख लेंगे। खुद ही थक कर खतम हो जायेंगे।

कुछ दिन पहले बावकूभाई उधाड को नोटिस ठोक दिया था। कल अमरेली में मोदीजी के विश्‍वस्‍त दिलीप संघाणी ने विधायक धीरु गजेरा के भाई पर आरोप लगाया कि उन्‍होंने उन्‍हें फ़ोन पर जान से मार डालने की धमकी दी। इधर बागी कहते है कि मोदी ने केडर बेज्ड पार्टी को प्राइवेट लि. कंपनी बना दिया है।

गुजरात में लोग आजकल शंकरसिंह वाघेला को याद करते है। कोई शोर शराबा नही। ले गये विधायको को काम कला कृति के लिये मशहुर खजुराहो के मंदिर दिखलाने और कर दिया केशुभाई सरकार का काम तमाम। यहा तो महीनो से युध्ध वृंद बज रहे है, नतीजा कुछ भी नही।

दोनों पक्ष लगे हुए कि कैसे अगला उन पर वार करे। बागी इस्‍तीफ़ा दे अपनी राह चुन सकते हैं पर वे डटे हुए है। मोदी गुट उन्‍हें बाहर निकाल आडवाणी को धृतराष्‍ट्र बनने से बचवा सकता है, पर वह भी कह रहा है आ बैल मुझे मार। किसी दिन कोई बैल तो दूसरे को मार ही देगा। सभी को इन्‍तजार है कि कौन किसको मारता है।

2 comments:

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

यह संकट केवल गुजरात भाजपा का नहीं है. राष्ट्रीय स्तर पर उसका यह संकट है और यही वजह है जो मजबूत नहीं हो रही है, अब होगी भी नहीं. यह दो कौडी के क्षेत्रीय नेताओं के सामने तो झुक जाती है, चुनावी प्रत्याशी तक बदल देती है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित नेताओं की सही बात तक नहीं सुनती. रही बात आडवानी को धृतराष्‍ट्र कहने की तो ऐसा मानने वाले गुजरात के असंतुष्ट कोई पहले नहीं हैं. काफी पहले उमा भरती भी यही आरोप प्रकारांतर से लगा चुकीं हैं. उनसे पहले भी आडवानी पर ऐसे आरोप लगते रहे हैं.

परमजीत सिहँ बाली said...

सभी बैल एक से हैं।कौन किस को मारता है इस से कोई फरक नही पडने वाला।बहुत सटीक लेख लिखा है।बधाई।

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