चंद्रशेखरजी का गुजरात से बहुत गहरा नाता था। गुजरात की राजनीति मे बहुत से एसे लोग मिलेंगे जो चंद्रशेखरजी के बारे मे व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर घंटों बातें कर सकते है ।
चन्द्रशेखरजी खाने खिलाने के शौकीन थे। गुजरात का फ़ाफ़डा उनका सबसे प्रिय नाश्ता था। यहां आ सबसे पहले फ़ोन करते उनके चहेतों की चौकडी को - कांग्रेस के हाल के प्रवक्ता जयंतीलाल परमार , पूर्व पार्षद रोहित पटेल और दिनेश वक्ता और मजीद शेख। और ये सब सर्किट हाउस मे हाजिर हो जाते उनके प्रिय फ़ाफ़डा और चटनी के साथ।
अपने चिठ्ठाकार मित्रों को बता दे कि फ़ाफ़डा इतना लोकप्रिय है गुजरात मे कि रोज लाखों रुपयो का फ़ाफ़डा खाया जाता है। दशहरा के दिन तो हर घर मे फ़ाफ़डा खाया जाता है। जगह जगह फ़ाफ़डा और जलेबी बिकता है । करोडों का फ़ाफ़डा जलेबी खाया जाता है। फ़ाफ़डा बेसन का बनता है और तेल मे लम्बी लम्बी पट्टिया तली जाती हैं।
जयन्तिलाल परमार और रोहित पटेल के लिये चंद्रशेखर की मृत्यु औरो की अपेक्षा अधिक दुखदायी घटना है। चंद्रशेखर की मृत्यु से एक दिन पहले ही, शनिवार को, दिनेश वक्ता की मृत्यु हुई थी । मजीद शेख की मृत्यु कुछ वर्ष पूर्व एक सडक हादसे मे हुई थी।
जयन्तिलाल परमार एक रसप्रद किस्सा बताते हैं। एमरजेंसी के दौरान चंद्रशेखर तत्कालीन गृहमंत्री अशोक मेहता के आदेश पर गिरफ़तार कर लिया गया। उनके दोनों पुत्र छोटे थे। अशोक मेहता ने उन दोनों बच्चों को अपने घर रख लिया। और बाद में राजकपूर की हिंदी फ़िल्म की तरह अशोक मेहता की एक पुत्री की चंद्रशेखर के पुत्र पंकज के साथ शादी हो गई।
हमारे जयन्तिलाल ने कहा कि वह जमाना राजनीतिक सहिष्णुता का था।
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