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Thursday, July 12, 2007

गुजरात में न्‍यायिक जांच का गोरख धंधा

मालूम नहीं कि चाणक्‍य को राजनीति का यह फ़ंडा मालूम था या नहीं। आजकल के चाणक्‍यों के लिये तो यह एक बडा ही प्रभावशाली शस्‍त्र है। कुछ भी हो शुरु हो जाते हैं कि न्‍यायिक जांच होनी चाहिए। हाईकोर्ट के जज द्वारा होनी चाहिए।

हमारे मोदीजी को मालूम है कि कांग्रेस उन पर येन केन प्रकारेण कोई जांच ठोक देगी। तो वो खुद ही जांच का आदेश कर देते हैं। गोधराकांड के बाद उन्‍हें जब लगा कि दिल्‍ली सरकार कुछ करेगी, या कोई अदालत कोई आदेश देगी तो उन्‍होंने खुद ही जांच बिठवा दी। उनका नानावटी शाह कमीशन अभी भी जांच कर रहा है।

पर अपने रेलगाडी वाले लालूप्रसाद यादव भी कम थोडे ही हैं। उन जैसा क्रिएटिव ब्रेन तो खालिश भैंस के दूध पीने वालों का ही होता है। उन्‍होंने रेलमंत्रालय की जांच रेल साबरमती एक्‍सप्रेस की पटरी पर चला दी। उनके जस्‍टिस बनर्जी ने तो फ़ैसला भी दे डाला। लालूजी के आदेशानुसार मोदीजी की खाट भी खडी कर डाली।

अब पिछले साल की सूरत की बाढ को लो।बडा हल्ला गुल्ला हुआ था । घर की समस्‍याओं के लिये हाईकोर्ट के जज की नई नई नौकरी को छोड देने वाली सुज्ञा भट्ट को मोदीजी ने न्‍यायिक जांच सौंप दी। कहा कि निवृत हाईकोर्ट जज जांच करेंगी। दिसम्‍बर तक में दूध का दूध पानी का पानी कर देंगी।

गुजरात के वकील (भाजपाईयों के सिवाय) आज तक यह नहीं समझ पाएं कि सुज्ञाजी निवृत हाईकोर्ट जज कैसे हुई। भई जब जज के पद का प्रोबेशन ही पूरा नहीं किया तब वो जज कैसे बनी। खैर हमारे मोदीजी के कायदा आजम अशोक भट्ट के लिये तो वो हाईकोर्ट वाली जज ही थी।

सुज्ञाजी क्‍या कर रही हैं किसी को नहीं मालूम। अपने कांग्रेसियों ने एक सिटीजन जांच करवाई थी। गुजरात हाईकोर्ट के निवृत जज आर ए महेता द्वारा। उन्‍होंने दो दिन पहले २६० पन्‍नों की रिपोर्ट भी दे डाली। तब लोगों को मालूम पडा कि ऎसी कोई जांच हुई है।
सुज्ञाजी की घोषणा हुई, पर वो गायब हो गई। महेता साहब के बारे में लोगों को तब मालूम पडा जब उन्‍होंने उनकी जांच रिपोर्ट दी।

मोदीजी के प्रवक्‍ता चीख-चीख कर कह रहे हैं कि ये बेईमानी है। कहना है तो सरकारी जांच में कहो। ये प्राईवेट जांच का गोरख धंधा गलत है। कांग्रेस के हसमुख पटेल का कहना है कि हमने सरकार को उसका पक्ष रखने को कहा था अब हम सुज्ञाजी को रिपोर्ट भिजवा देंगे। उनका काम आसान हो जायेगा !

1 comment:

Anonymous said...

अब इन जाँच आयोगो का असर जनता के बीच कहाँ होता है. ये सब लिपापोती है.
फिलहाल गुजरात में राजनीति का माहौल खुब गरम है, :)
लिखते रहें. सही लिखा है.

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