आप भी आश्चर्य मे होंगे कि मोदीजी के लिए यह कैसा संबोधन । चिन्ता मत करो मित्रों। हम किसी के बारे में खराब नही सोचते । यह बात अलग है कि लोग अपने हिसाब से मतलब निकाल तरह तरह का सोच लेते हैं। गुजराती मे एक संबोधन है। ध धु प पू अर्थात धर्म धुरंधर परम पूज्य । अपने मोदीजी तो मोदीजी हैं। वो धर्म का एक चेहरा हैं। वो तो उससे भी आगे हैं।
सुना है एम ए मे राजनीती शास्त्र उनका एक विषय था । गुजरात की राजनीती पर पुस्तक लिखने वाले डी ऍन पाठक उनके शिक्षक थे। पर उनकी राजनीती से साफ है कि वो किताबी ज्ञान से बहुत आगे है। अगर चाणक्य जिंदा होता तो वो भी मोदीजी से जरूर कुछ ना कुछ सीख ही लेता। अरे मोदीजी बिना किसी चाणक्य की मदद के पूरे २०६३ दिन से मुख्यमंत्री कार्यालय मे अड्डा जमाये हैं ।
भा ज पा अध्यक्ष राजनाथ सिंघ ने भी साफ कर दिया कि भले ही केशुभाई और उनके चेले मोदी हटाओ के उनके पांच साल से चल रहे कार्यक्रम में लगे रहें , पर अंगद के पाँव की तरह उन्हें कोई हिला नही सकता। वो चुनाव तक ही नही उसके बाद भी मुख्यमंत्री बने रहेंगे। केशुभाई भी सोचते होंगे कि अगर मोदी को दिल्ली वनवास नही दिलवाया होता तो ना तो उन्हें वनवास भुगतना पड़ता और ना ही मोदी जीं के दिल्ली के तार इतने मजबूत होते। खैर उनके भाग्य को यही मंजूर था। यह तो रही बात रा धु यानी कि राजनीती धुरंधर की।
हमारे मोदीजी परम पूज्य तो हैं वे परम प्रेरणा भी हैं। किसी भी मंत्री का भाषण सुनो। सभी के भाषण कुछ इस तरह शुरू होते हैं। आदरणीय गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा और मार्गदर्शन से यह काम हो रहा है। कई बार लगता है कि बेकार मे मंत्री रख रखे हैं। खैर ये तो मोदीजी की बात है , हम कौन होतें हैं इस मामले मे पड़ने वाले। पर इसमे कोई शक है क्या कि वो प प्रे , परम प्रेरणा हैं।
आप सभी ने १०१, १०८ , १००८ की महिमा तो सुनी होगी। मोदीजी ने २०६३ को सार्थक बना दिया है। तभी तो गुजरात भा ज पा ने उन्हें २०६३ कमल के फूलों की माला पहराई , लकड़ी के व्यापारियों ने २०६३ गुलाब की माला पहराई । शायद कुछ दिनों बाद लोग २०६३ मणकों की माला का जाप कर मोदीजी को सफलता और संकटमोचन के देवता के रुप मे पूजें ।
तो बोलो रा धु प प्रे २०६३ मोदीजी की जय ।
3 comments:
सुना है मोदी जी पर एक फ़िल्म भी तैयार हो गयी है? मोदी मार्ग पर चलकर ही भारत पुन: अपने गौरव को प्राप्त होगा। खैर हम कौन होते हैं इस देश के गौरव की बात करने वाले?
बड़ा रोचक होगा यह देखना कि मोदीजी अगला चुनाव जीत पाते हैं या नहीं. पर, अगला चुनाव जो भी हो - आर या पार - मोदी मुझे लम्बे रेस के घोड़े लगते हैं. चाणक्य का सम्बोधन तो उनके लिये आपने दे ही दिया है.
आपका लेखन बहुत अच्छा है. वैसे किसी पत्रकार के लिये यह कहना बेमानी है - उसका तो काम ही बढ़िया लिखना होता है.
जीरो कॉलम कहीं मोदी कॉलम तो नहीं बन रहा? उम्मीद करें कि मोदी के अलावा भी 0 कॉलम के पास बहुत मसाला है लिखने को!
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