अपने नरेंदर भाई तो नरेंदर भाई हैं। उनकी टक्कर में कौन आ सकता है। देखो खेलते खेलते गुजरात के इतिहास में आंकडो में खुद का नाम दर्ज करा दिया। हेई कोई माइ का लाल जव इतने दिनों तक मुख्यमंत्री का कांटो का ताज पहन पाया है? अपने नरेंदर भाई ने पहरा है , वह भी खुद के लिए नही। गुजरात की पांच करोड़ जनता के लिए । भाई उनके आगे पीछे तो कोई है नही। सारी दुनिया उनकी और वो सारी दुनिया के।
इसीलिये तो वो जव चाहे वो करे । भैये वो तो कानून हैं। ये हम नही कहते उनके चमचे कहते हैं। अब देखो उनके एक खास अधिकारी का क्या कहना है। इन सज्जन का कहना है की अपने नरेंदर भैया पहले भगवा मुख्यमंत्री हैं जव कुर्सी पर इतने टिके हैं। सबसे ज्यादा चिपके रहने का रेकॉर्ड बनाया है अपने नरेंदर भाई ने। ये सब तो सही पर अपने और भगवा मुख्यमंत्रियों का क्या?
अपने प्वाइंट ऑफ़ आर्डर वाले सुरेशभाई का क्या। भले वो आर एस एस की चड्डी वाले ना हों , भाजपाई तो थे। आज भी अपने पत्रकार भाई लोग उन्हें प्वाइंट आफ आर्डर उठाने के लिए याद करते हैं। कुछ भी हो ये भी एक खासियत तो थी।केसुभाई का क्या? भले ही वो वक्त पर पलती मार जाते हैं, पर वो हैं तो भाजपाई। अरे केसुभाई हैं। यह भारत है। मेरा देश है। कृष्ण का देश है। यहाँ हर विचार, हर काम का दिव्य आधार है। वह फिर झूंठ बोलना हो या फिर रण छोड़ भाग जना हो । कुछ भी हो । भाजपाई तो थे ही।
पर इस खास बन्दे ने तो इन्हें ग़ैर कांग्रेसी करार कर दिया। अब भाजपाई बचा कौन? बचेगा कौन? अपने नरेंदर भाई और कौन११ अरे भाई यहाँ अपने नरेंदर भाई का ही राज चलता है। किसीकी मजाल है की प्रेस वालों से बात करे। पूंछो अपने सनसनी सम्राट अशोक भट्ट से। बात बात पर प्रेस कांफ्रेंस बुलाने वाले अपने भट्ट जीं आजकल पत्रकारों के आने के वक्त अपने केबिन में मीटिंग शीटिंग का चक्कर शुरू कर देतें हैं बहार लाल बत्ती लगा कर। आखिरकार स्वास्थ्य मंत्री जीं को उनके राजनीतिक स्वास्थ्य की चिन्ता पहले करनी होगी। फेंक दिया था कानून विभाग में । बड़ी मुश्किल से वापिस अच्छा विभाग मिला है।
तो भैये मानते हो या नही किबस एक ही भाजपाई मुख्यमंत्री हुआ है गुजरात में। वो है पांच करोड़ गुजरातियों का एक मात्र नरेंदर भाई । विधान सभा चुनाव तक तो यही सच है , आगे की राम जाने ! ! !
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