आज अहमदाबाद में हरेन पंडया की चर्चा जोर शोर से है। भाजपा नेता हरेन पंडया की हत्या ने २००३ मे जितनी सनसनी पैदा की थी , उसके फ़ैसले ने उतना ही बडा विवाद खडा किया है। कोइ भी खुश नही। न तो हरेन के परिवार वाले और न ही जिन्हे सजा हुई है।
इस किस्से मे नौ को आजीवन कैद हुई है, दो को ५ साल की सजा और एक को सात साल। हरेन को सुबह उसकी कार मे गोली मार दी गई थी। हरेन और मुख्य मन्त्री नरेन्द्र मोदी की राज्नीतिक दुश्मनी पराकाष्ठा पर थी। मोदी की जिद्द के कारण भूतपूर्व गृह मन्त्री हरेन को टिकट नही मिली थी।
हरेन पंडया की पत्नी और पिता का कहना है कि सी बी आई ने बराबर जांच नही की है इसलिये फ़ैंसला सही नही है। उधर जिन बारह को सजा हुई है उनका कहना है कि उन्हे सजा इसलिये मिली है क्योकि वे मुसलमान हैं ।
हरेन के पिता का तो कहना है कि यह राजनीतिक आतंकवाद का किस्सा है और इसके सूत्रधार मुख्य मन्त्री नरेन्द्र मोदी हैं और उन्हे सजा होनी चाहिये । उधर हरेन की पत्नी मुख्य मन्त्री नरेन्द्र मोदी से मिल दोबारा जांच की मांग कर रही है।
यह प्रतिक्रिया स्वाभाविक है ।पिछले तीन वर्षॊं मे हरेन नाम संज्ञा से क्रिया विशेषण बन गया है । किसी का हरेन पंडया कर देना मतलब उसका खातमा कर देना । किसी जमाने मे हरेन की तरह मोदी जी की विश्वस्त और आज उनकी जानी दुश्मन भाजपा विधायक रमीला देसाई कहती हैं कि उन्हें मोदी खेमे से धमकी मिलती है कि उनका हरेन पंडया कर दिया जायेगा ।
मोदीजी के विरोधियों के लिये यह महत्वपूर्ण है क्योकि यह उन्हे मोदीजी के विरुद्ध बोलने के लिये मसाला देता है। और मोदी भक्तो के लिये यह उनके गुणगान का मसाला है कि देखा हमारे गुरु क्या कर सकते हैं । सच तो राम जाने, हम तो वो कहते है जो गुजरात आज कह रहा है ।
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