किसी के भी जीवन मे पचास वर्षों का सफ़र बहुत मायने रखता है। अखबार की दुनिया मे तो यह और भी महत्वपूर्ण है। और अगर अख़बार शाम का अख़बार हो तो यह एक एतिहासिक घटना है। और यह इतिहास रचा है गुजरात के अखबार नोबत ने। इस वर्ष जामनगर शहर से निकलने वाला यह अख़बार पचासवें साल मे आ गया।
सौराष्ट्र क्षेत्र के अन्य कई जिलो की तरह, जामनगर में भी कोई सुबह प्रकाशित होने वाला अखबार नही है। पर यहाँ पूरे सात अखबार हैं जो दोपहर में निकलते है। नोबत जामनगर का ही नही पर गुजरात में फिलहाल प्रकाशित होने वाला सबसे पुराना दोपहर का अखबार है। आज जब दुनियाभर में दोपहर के अखबार सुबह के अखबारो की अपेक्षा कम गम्भीर और ज्यादा मसालेदार माने जाते हैं तब नोबत की गिनती एक प्रतिष्ठित अखबार के रुप मे होना अखबार का स्तर बताता है।
पचास वर्ष पूर्व रतिलाल माधवानी ने यह अखबार राजकोट शहर में एक पत्रिका के रुप में शुरू किया थान जो जामनगर में एक संध्या दैनिक बन कर उभरा और आज रतिलाल्जी के पुत्र दीपक माधवानी इसे संपादित कर रहे हैं.
यह एक ऐसा अखबार है जिसके पास ए बी सी प्रमाणपत्र है। आज कई बडे अखबारों के पास भी यह प्रमाणपत्र नही है। यह सब यह बतलाता है इसके पचास साल की कहानी। और शायद यही एक कारण था कि इस गुरुवार को अपने मुख्यमंत्री नरेन्द्रभाई ना केवल इसके स्वर्ण जयंती समारोह मे आये पर काफी देर रुके भी। आदतन उन्होने यहाँ भी मीडिया धुलाई कार्यक्रम बरकरार रखा।
वो बोले कि आज सौराष्ट्र बंद के समाचार अलग अलग अखबारों मे अलग अलग छापे हैं। एक कह रह है कि यह ग्रेट शो है तो दुसरा कह रह है कि ये फ्लॉप शो है। अब बेचारा पाठक क्या सोचे ? अब अपन मोदीजी को क्यां बतायें कि कितने लोग एक अखबार भी इतनी गम्भीरता से पढ़ते है, दो की तो बात छोडो । खैर मोदीजी तो मोदीजी हैं। जब से मुख्यमंत्री बने हैं मीडिया धुलाई उनकी रणनीति है।
बात चल रही थी नोबत के स्वर्ण जयंती कार्यक्रम की। जामनगर को गुजरात में हलार प्रदेश के रुप में जान जाता है। और हलार के हीर कार्यक्रम के द्वारा नोबत ने ३९ उन जामनगर वालों का सम्मान किया जिन्होनो इस शहर को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलवाई है। यहाँ के राजसी परिवार के जाम साहेब ऑफ़ जामनगर शत्रुशाल्यासिंघजी , गुजरे ज़माने के मशहूर क्रिकेटर सलीम दुर्रानी से ले आज के नए जामनगर के शिल्पकार रिलायंस के परिमल नाथवानी और एस्सार के सुखदेवसिंह सभी का सम्मान। यह कार्यक्रम एक तरह की जामनगर की डायरेक्ट्री बन रहा। अतीत से आज तक जामनगर एक मंच पर उभर आया.
शाम तो सौराष्ट्र के सुन्दर स्वरूप को लेकर आयी थी । यह थी मनहर उदास की एक ग़ज़ल की शाम। मनहर वो गायक है जिसने गुजरती ग़ज़ल को एक पहचान दीं है। और इधर नोबत ने दोपहर के अखबारों को एक नै पहचान दीं है.
5 comments:
एक शाम के अखबार का इतनी प्रतिष्टा अर्जित करना बहुत अर्थ रखता है। नौबत को बहुत-बहुत शुभकामनायें।
मुबारक हो । ये एक उपलब्धि है ।
सच में शाम के अखबार के लिहाज़ से यह एक बड़ी उपलब्धि है, बधाई व शुभकामनाएं
बधाई नौबत से जुड़े लोगों को। जामनगर में सुबह कोई अखबार नहीं निकलता इसका क्या कारण है?
अच्छा रसप्रद लेख। नोबत को ५० वे साल पर हजारो बधाई।
Post a Comment