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Tuesday, December 4, 2007

केशुभाई बोले...

कल रात केशुभाई ने दूसरा गोला दागा। दो दिन पहले उनके विचारो मे लिपटा हुआ सरदार पटेल उत्कर्श समिति का एक विग्यापन छपा था। कल तो वे खुद बोले। उन्होने मोदी का नाम नही लिया, पर जो भी बोले,जितना भी बोले उससे साफ़ था कि उनकी जंग मात्र मोदी के शासन के खिलाफ़ हैं। उनका इंटरव्यु एक चैनल पर प्रसारित हुआ।

केशुभाई गुजरात मे भाजपा को शून्य से शुरू करने वाले नेताऒ मे से एक है। दो बार मुख्य मंत्री रह चुके केशुभाई पटेल और नरेन्द्र मोदी कट्टर राजनीतिक दुश्मन हैं ।

इनका कहना था कि गुजरात मे डर का माहौल है, वहां लोकतंत्र नहीं तानाशाही है। उनकी बात शायद गुजरात के बाहर के लोगों को समझ मे ना आये। गुजरात मे भी आम आदमी यह समझ नही पा रहा है। यदि हम विधान सभा की कार्यवाही हे देखे तो मालूम पडेगा कि आप सरकार के या मोदी के विरुद्ध मुद्दा छेडिये और शासक पक्ष का हंगामा शुरू।बहुमति के जोर पर जल्द ही विरोध करने वाले को सदन के बाहर।

किताबों मे लोकतंत्र पढ्ने वाले इस व्यवहारिक लोकतंत्र को नही समझ पायेंगे। पर यह गुजरात की हकीकत है। साफ़ है कि भाजपा का कोई सदस्य तो सदन मे सरकार की बुराई नही कर पायेगा। सदन के बाहर मोदीजी बाहर वालों की तो छोडो, खुद की पार्टी वालों की भी नही सुनते।

उन्होने निवेश का मुद्दा भी छेडा।साफ़ है की सारा निवेश कुछ चुने हुए उध्योगपतियों से ही आ रहा है। उसका फ़ल भी उन्ही को ही मिल रहा है। आम आदमी का क्या?

पर केशुभाई ने ये सभी बातें गोल गोल कहीं । ना तो मोदी का नाम लिया और ना ही उनका कोई विकल्प सुझाया।

औरों की बात छोडॊ, केशुभाई आप खुद नरेन्द्र मोदी से कितने डरे हुए हैं कि वो कहीं आप को पार्टी से बाहर नही निकलवा दे!!!!

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