इस चुनाव मे गुजरात सम्तों का चुनावी अखाडा बन गया है। चुनाव की घोषणा से पहले ही सम्तों ने यह सम्केत दे दिये थे कि वे मुख्य मंत्री मोदी के साथ नही हैं। पर मोदीजी का शयद यह मानना था कि और सभी की तरह साधु संत भी उन्ही की वजह से उनकी दुकाने चला रहे हैं।
पर उमा भारती पहली थी जिन्होने उनके इस विचार को तोडा। उतार दिये ५३ उम्मीदवार मैदान मे। बाद मे गुलांट मार गई। पर उनके बंदे तो अभी भी मैदान मे अडिग खडे हैं। किसी को मालूम ही नही उमाजी किस खेमे मे हैं। उनके साक्षात्कार तो यह कहते हैं कि वे मोदी की बहन बन उनके साथ है। पर, उनकी पार्टी के उपाध्यक्ष सघंप्रिय गौतम जी कहना है कि वे पूरी तरह से मोदी के खिलाफ़ मैदान मे हैं।
अभी यह अनिश्चिता खत्म हुई नही है कि आचार्य धर्मेन्द्र मैदान मे कूद पडे हैं। उनका कहना कै कि वे राष्ट्रिय विचारधारारा के साथ हैं। उन्होने इसके लिये नागरिक जागरण मंच भी बनाया है जिसका नारा है-जीता है भारत, जीतेगा भारत!! पत्रकारों के लाख पूछने पर भी उन्होने यह नही बताया कि वो किसके साथ हैं !!!! फ़िर किसका क्या साथ देंगे धर्मेन्द्रजी।
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