पूरे गुजरात ने आज सरदार पटेल जयंति मनाई। जगह-जगह सरदार की प्रतिमाओं को फूल मालाएं चढाई। पर खुद को छोटे सरदार कहलवाने वाले अपने मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी इस बार इस मामले में काफी ठंडे रहे। उन्होंने गांधीनगर में एक कार्यक्रम में भाग ले उनका दायित्व पूरा किया।
मजेदार बात यह है कि सत्ता की बागडोर सम्भालने के बाद मोदी ने छोटे सरदार की छवि को तराशना शुरु किया था। उनके समर्थकों का कहना था कि जिस तरह सरदार ने जूनागढ के नवाब की छुट्टी कर दी थी उसी तरह मोदीजी ने गुजरात में मुसलमानों को सबक सिखा दिया है।
मोदीजी ने कांग्रेस द्वारा सरदार की उपेक्षा की भावना को भी खूब उकसाया। उन्होंने बडे ही व्यवस्थित रुप से यह जताना चाहा कि उनके लिये गांधी, नेहरु नहीं सरदार ही सच्चे देश के नेता थे।
पिछले साल तो सरदार पर दावा करने के लिये उनके जन्मस्थल करमसद में मोदी सरकार और कांग्रेस ने बडे कार्यक्रम कर डाले। कांग्रेस ने आज बडी रैली की। पर मोदीजी की सरकार और सत्तारुढ़ भाजपा ने इसे एक औपचारिकता का रुप दे दिया।
एक असंतुष्ट नेता ने कहा कि क्योकि असंतुष्टों ने उनकी संस्था का नाम सरदार पटेल उत्कर्ष समिति रखा है इसलिये शायद अब उन्हे सरदार शब्द से भी एलर्जी हो गई है !!!
2 comments:
भाजपा, मोदी की भाजपा और कोंग्रेस ने सरदार को एक मजाक बना रखा है.
जीते जी उन्हें कुछ नही दिया अब मरने के बाद भी चैन नहीं.
सरदार को सरदार ही रहने दें तो अच्छा है. कोई छोटा कोई मोटा कोई नया सरदार बनना चाहता है, यह दुखद है.
मेरे विचार से इस विषय पर फिलहाल के लिए बहुत हो चुका. अभी इसे छोड़ दें तो शायद अच्छा रहे. मैंने आपकी पोस्ट पढ़नी शुरू की कि शायद सरदार पटेल के बारे मे कुछ मिलेगा पर नतीजा खोदा पहाड़ निकली चुहिया.
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