गुजरात के बारे मे आम धारणा है कि यहां के लोग दाल चावल खने वाले है। फ़ौज मे लडना इनके बस की बात नही है...। पर अब अपने आदिवासी क्षॆत्र के बाबूभाइ ने यह सिद्ध कर दिया है कि यस सब गलत धारणाये है।
२९ साल के बाबूभाई फ़ौज मे हवलदार है। शाकाहारी है, पर फ़िर भी अंतर्राष्ट्रिय स्तर के रेस वाकर हैं। एक महिने मे ही दो बार राष्ट्रिय रेकोर्ड बनाये है अपने बाबूभाई ने। १घंटे २३ मिनट ४० सेकंड मे बाबूभाई २० कि.मी. चले। अपने बाबूभाई ने चार महिने मे उनका परिणाम पूरे सत्रह मिनट सुधारा!!!
उनका नया रेकोर्ड पिछले ऒलंपिक के तीसरे खिलाडी के काफ़ी नजदीक है। भारत मे वे स्टेडियम मे चक्कर काट कर २० कि.मी. चलते है, पर ऒलंपिक मे तो सडक पर चलना होता है। साफ़ है कि उनका रेकोर्ड और सुधरेगा। और जिस तरह उन्होने चार महिने मे उनका परिणाम पूरे सत्रह मिनट सुधारा उससे साफ़ है कि अगले आठ महिने मे इसमे भी सुधार आयेगा। अपना बाबूभाई बेजिंग मे जरूर रंग दिखलायेगा।
जरूरत है कि क्रिकेट के खिलाडियों की तरह लोग अपने बाबूभाई को कहेंगे, चक दे इंडिया ऒलंपिक मे
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