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Monday, October 29, 2007

मोदी जी के मौत के सौदागर

अभी कुछ देर पहले ही अपने मोदीजी का इंटरव्यू सहारा चैनल पर देखा। लगा कि मोदीजी से पहले तो सभी मुख्यमंत्री घसियारे थे। अपने मोदीजी तो विकास पुरूष है। पूरा गुजारात उनका परिवार है। I love Gujarat ही दिख रहा था।

अपने इंटरव्यू लेने वाले प्रसूनभाई की अपने भाई के साथ उनकी दाढी के अलावा और भी कई समानताये देखने को मिली। अपने गुजरात के साढे पांच करोड के एक मात्र भाई नरेन्द्र भाई की तरह वे भी काफ़ी विकास केद्रित लगे। इंटरव्यू मे वे मोदीजी के विकासशील पहलू को उभारने मे उनकी पत्रकारिता की सभी दक्षताऒ को लगा रहे थे। सही बात है कि इंटरव्यू लेने वाले को सामने वाले के अच्छे पहलू उभारने चाहिये.

और अपने मोदीजी भी शांति से हर बात का उनके अपने अंदाज मे जवाब दे रहे थे। लगता नही था कि मोदीजी कभी किसी पत्रकार से बदसलूकी कर सकते है। चेहरे पर एक मुस्कान, होठो पर प्रजा को समर्पण के बोल। जरूर राजदीप बडा बदतमीज आदमी होगा जो अपने मोदीजी को गुस्सा आ गया। करण थापर ने जरूर बद्सलूकी की होगी जो अपने शांत और सौम्य मोदीजी इंटरव्यू छोड चले गये होंगे।

प्रसूनजी ने भी विवादास्पद सवाल किया। आखीर यह इंटरव्यू असली था। उन्होने पूछा २००२ के दंगो का क्या? मोदीजी ने बताया कि उसके बाद चुनाव भी हुए और वो जीत कर आये। और फ़िर मोदीजी शुरू हो गये "मै मौत के सौदागरों को नही छोडूंगा"। प्रसून ने अंग्रेजी स्कूल के अच्छे छात्र की तरह हिंदी मे सवाल किया। फ़र्जी मुठभेड का क्या? पर मोदीजी तो बोलते ही रहे। "मै मौत के सौदागरों को नही छोडूंगा"। कई बार दोहरया। प्रसून्जी भक्ति भाव से उनके विकास पुरूष के सुनते रहे। चुपचाप अच्छे बच्चे की तरह।



राम जाने मोदीजी के मौत के सौदागर कौन हैं!!!!!!!

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