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Friday, September 7, 2012

आडवाणी के रथ पर मोदीजी की विवेकानन्द यात्रा

भाजपा प्रवक्ता विजय रुपाणी काफी समय बाद आज प्रेस के समक्ष प्रकट हुए. ऐजंडा था मोदीजी की विवेकानन्द यात्रा के बारे में जानकारी देना. उन्होने बताया कि विवेकानन्दजी की १५०वीं जन्म जयन्ती के अवसर पर मोदीजी की यात्रा के साथ साथ १५० उप-यात्राएं भी निकलेंगीं.
भाजपा और उसके नेताओं का हर काम एक रणनीति  होता है. यात्रा ११ सितम्बर को शुरु होगी. यह वो दिन है जब विवेकानन्द ने अमरीका मे उनका ऐतिहासिक भाषण दिया था और हिन्दुत्व को गुंजा दिया था. उस जमाने में अमरीका जाने मे वीजा जैसा प्रोब्लम नही था. इसलिये विवेकानन्द चले गये थे.
खैर, अपने तकनीक चलित (Technology Driven) मोदीजी इसी महीने वीडियो तरंगो पर बैठ अमरीका में भारतीयों के एक कार्यक्रम को सम्बोधित कर आये हैं. अगर आयोजक यह कार्यक्रम ११ सितम्बर को रखते तो यह कैसा संयोग होता . एक नरेन्द्र (विवेकानन्द का सांसारिक नाम) शारीरिक रूप मे १५० वर्ष पूर्व अमरीका गया और भारत और उसकी संस्कृति का डंका बजा आया. आज अपना नरेन्द्र मोदी वीडियो तरंगो पर बैठ अमरीका में भारतीयों के एक कार्यक्रम को सम्बोधित करता. कोई बात नहीं , सितम्बर का महीना तो है.
यात्रा , रूपाणी ने बताया, बहुचराजी से शुरू होगी. यह देवी का स्थान है. पर इसके चयन का कारण अलग है. रूपाणीजी ने कहा कि यहां मारूति प्लांट डाल रही है. देखा बहुचराजी हिन्दुत्व और विकास का कैसा अनोखा प्रतीक बन गया है.
इस कार्यक्रम को भगवा झंडा दिखलायेंगे राजनाथ सिंग और मोदीजी के मित्र अरुण जेटली. आडवाणीजी नहीं आ रहें हैं. शायद एक महिने चलने वाली यात्रा मे किसी दिन आयें.
ज्यादह अटकलों की जरूरत नही है. हाल ही में गांधीनगर में शतरंज के एक महा कार्यक्रम में, आडवाणीजी न केवल मोदीजी के साथ बैठे, उन्होने मोदीजी की शतरंज योग्यता की भी काफी तारीफ की.
आडवाणीजी ने मोदीजी को आशीर्वाद दिया या नही, यह मालूम नहीं है. पर रूपाणीजी की घोषणा के अनुसार आडवाणीजी ने मोदीजी को यात्रा के लिये अपना रथ दिया है.
मोदीजी हर हफ्ते तीन चार दिन इस रथ पर बैठ विवेकानन्द युवा विकास यात्रा निकालेंगे. एक प्रश्न के उत्तर में रूपाणीजी ने कहा कि विवेकानन्द युवा और विकास के प्रतीक थे और मोदीजी भी उनके उन्ही गुणों को गुजरात में इस यात्रा द्वारा प्रस्थापित करेंगे.
देखें आडवाणीजी का रथ मोदीजी की दिल्ली यात्रा में उन्हें कहां तक ले जाता है.

1 comment:

अखिलेश पाण्डेय said...

आप ने जो लिखा है उसमे कोई नई बात नही है. राजनीति मे कोई किसी का दोस्त नही होता कोई किसी का दुश्मन नही होता. समय और स्थीति के अनुसार सभी कुछ बदलता रहता है. केद्र मे माया और मुलायम का खेल सभी ने देखा है.
हा यह भाजपा के अन्दर की बात है. आजकल जिस तरह से मोदी के पक्ष में गडकरी और अन्य नेता बदल्ते जा रहे हैं उसे देखते हुए आडवाणी का मोदी के प्रति नया प्रेम सच्चा प्रेम है यह कहा नही जा सकता है.
यह एक हकीकत है कि १९९२ से आडवाणी बार बार रथ लेकर यात्रा पर निकलते है, पर आज भी वो उनकी हाथ मलने वाली तस्वीर वाली हालत मे ही हैं. अब ऐसा भी हो सकता है कि आडवाणी ने मोदी के दिल्ली सपने को अधूरा रखने के विचार से रथ दिया हो, या मोदी ने उसकी चेलेंजिंग नेचर को साबित करने के लिये आडवानी के रथ पर यात्रा निकालने का सोचा हो.
राजनीति है इसमे सब कुछ हो सकता है.

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