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Tuesday, June 16, 2015

भूपेन्द्रसिंह आसन

भारत योगामयहो रहा है। जहां देखे वहां 21 जून के बड़े-बड़े पोस्टर तरह-तरह के आसन करते दिखलाई देते हैं।
अपने शिक्षामंत्री भूपेन्द्रसिंह चूड़ासमा ने कहा कि योग के अंतरराष्ट्रीय अवतार योगा के जन्मदिन पर वे भी कुछ मीडिया संवाद कर लोगों की जानकारी बढ़ाने का गौरव प्राप्त कर लें। आखिरकार अपने मोदीजी ने विवेकानंद की तरह पूरे विश्व को हिन्दू धर्म और योग की तरफ आकर्षित कर भाजपाईयों को योगा गाजर थमा दिया है।
जब भी कोई महंगाई या किसी अन्य समस्या की बात करे तो शुरू करवा दो योगासन। सब बातों पर लम्बवत् यू टर्न यानि कि शीर्षासन कर दिखा दो योगा पावर!!
खैर बात हो रही थी शिक्षा मंत्री भूपेन्द्रसिंह चूड़ास्मा बापू की। उन्होंने उनका योगाभ्यास आसन शुरू किया आंकड़ा सन से। तरह तरह के आंकड़े बताए। कहां कहां योगा दिवस कार्यक्रम होगा। कितने हजार लोगों को मुख्यमंत्री आनंदी बहन पटेल के नेतृत्व में उन्होंने मास्टर ट्रेनर बना दिया। केवल सात दिन में!
बेचारे बी के एस अयंगर की आत्मा यह सुन रही होगी तो वह इस बात के बाण रूपी प्रभाव में विरह वेदना के कैसे कैसे आसन कर रही होगी? सात दिन में तो सांस सही लेना भी पूरी तरह से नहीं सीख पाते हैं। यहां तो अपने मंत्रीजी की टीम ने 39,000 मास्टर ट्रेनर तैय्यार कर दिये योगा क्रान्ति लाने के लिए। सरकार है। जादू की छड़ी से कुछ भी दिखला सकती है।
मंत्रीजी और उनके साथी इसमें कितने प्रशिक्षित हुए यह न तो मंत्रीजी ने बताया और ना ही हमारे समेत किसी विद्वान पत्रकार ने पूछा। वैसे इस बार उनका शरीर थोड़ा पतला लग रहा था।मालूम नही योगासन का प्रभाव था या फिर इस कार्यक्रम की भागदौड़ का नतीजा।
मंत्रीजी ने कहा कि नर्मदा मैय्या में पानी में बोट के अंदर योगासन का कार्यक्रम इस दिन के कार्यक्रम की विशेषता होगा। यह भरूच के गोल्डन ब्रिज के निकट होगा। जब यह पूछा कि कौन कौन से आसन होंगे तब बोले आयुष मंत्रालय की सीडी में जो सब हैं वे होंगे।
अरे मंत्रीजी बगल में बैठे श्री श्री रविशंकर के IAS चेले पी डी वाघेला को ही माइक दे देते। खैर मंत्रीजी ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मीडिया को एक हेडलाईन तो दे ही दी। इस कार्यक्रम में सूर्यनमस्कार नहीं होगा।
आप तो जानते है कि अपने कुछ भाईयों ने धर्म के आधार पर सूर्यनमस्कार का विरोध किया था।
हमें आश्चर्य है कि आज जब योगा डे के अवसर पर योगा शिक्षक कुकुरमुत्ते की तरह पैदा हो रहे हैं तब किसी ने मोदीजी को इसका राजनीतिक हल क्यों नहीं सुझाया। चन्द्रमा वाले चन्द्रनमस्कार करें!!! खैर इस प्रकार के विकट योगा प्रश्न राजनीति के अखाड़े में शायद ही आते हैं।
खैर जोरदार तो एक पत्रकार का प्रश्न रहा। उसने कहा कि हम सब योगा की बात कर रहे हैं पर पतंजलि का कोई नाम ही ले रहा है।
मंत्रीजी तपाक से बोले यह तो मैंने पहले ही कहा था। आर्ट आफ लिविंग, पतंजलि आदि इस कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं।
धन्य मंत्रीजी। आखिरकार आजकल तो योग अर्थात् अपने बाबा रामदेव और उनका पतंजलि योगपीठ। बेचारा ऋषि पतंजलि उसे तो कौन जानता है!!

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