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Thursday, October 1, 2009

मोदीजी ने फ़िर सुर्रा छोड़ा

अपने गुजरात के मुख्या मंत्री का विवाद जगाने में कोई सानी नही है । यदि कभी वो विवाद में न हो तो सभी को कुछ अजीब सा लगता है । कुछ दिन पहले , जसवंत की किताब को ले पूरे हिंदुस्तान में हल्ला मचवा दिया । मामला हाई कोर्ट में पंहुचा , तब भी अडे रहे की छोडूंगा नही । जसवंत की जिन्ना वाली किताब को गुजरात में घुसने नही दूँगा । खैर उनके आला अधिकारियो ने कोर्ट की लताड़ देखते हुए किसी तरह मोदीजी को मनाया कि वो जसवंत और जिन्ना को उनके हाल पर छोड़ दे ।
आज तो उन्होंने कमाल कर दिया। सरदार पटेल के एक कार्यक्रम में गालिब की मशहूर ग़ज़ल के अंदाज में शुरू हो गए कि अगर सरदार प्रधान मंत्री होते तो क्या होता । कश्मीर हमारा होता और उग्रवादियों का नामो निशाँ नही होता । मंच पर बैठी राष्ट्रपति भी क्या बोले । बात बात पर मोदीजी से मंच पंगा लेने वाले दिनशा पटेल भी सुन्न हो गए । राष्ट्रपति वहाँ नही होती तो शायद उन्होंने मोदीजी को वाक् युद्ध के रिंग में जकड लिया होता ।
पर अपने मोदीजी को किसी की कोई परवाह कहाँ ? वो तो अपनी धुन के राजा है । उनकी धुन विवाद की धुन है ।
अभी तक गांधीनगर में बैठ अपने मोदीजी मुशर्रफ़ और बुश को ललकारते थे । साफ़ है कि वो जवाब नही देते थे और अपने मोदीजी के चाहक ढोल पीट पीट कहते थे कि देखा मोदीजी का जलवा !!
अब अमेरिका और पाकिस्तान समाचारों में नही है तो मोदीजी के एजेंडा में नही है। आजकाल मीडिया में है चीन । और कहने की बात नही कि अपने मोदीजी ने निशाना तान दिया चीन पर । पर उनके ख़ास अंदाज में । बोले कि सरदार ने नेहरू को चीन से चेताया था । आगे मोदीजी ज्यादह नही बोले । पूरी कांग्रेस लग गई बचाव काम में । सोनियाजी भी मैदान में उतर आयी ।
टेलिविज़न चैनल वाले अपने भाइयो को उनकी तोड़ मरोड़ शेली में स्टोरी का नया विषय मिल गया । मोदीजी फ़िर छा गए समाचारों में ....

1 comment:

subhash Bhadauria said...

प्रभू हमने मोदीजी आँखें खोलिए शिक्षकों के दुख देखिए.इस पते पर लिखी थी-http://subhashbhadauria.blogspot.com/2009/09/blog-post.html

पर उन्होंने अभी तक आँखें नहीं खोलीं नवरात्रि का पर्व भी गया .सरकारी कॉलेजों में 10 साल से रेग्युलर प्रिंसीपल नहीं. सब कहते हैं मोदीजी फाइल पर सही करें तब प्रमोशन हो.क्लास वन की पोस्ट जो ठहरी.
हम गरीब कॉलेज के अध्यापकों को अभी तक छटा वेतनमान नहीं मिला. राज्य के आई.ए.एस. अफ्सर रोड़ा अ़टका रहे हैं कहते हैं सीनियर 20 वर्ष के अध्यापकों का वेतन उनके समकक्ष हो जायेगा. सो न देने की सिफारिश की गयी है.
क्या I.A.S. अफ्सर मात्र तनखाह पर जीवन यापन करते है ? पर मास्टर का गुज़ा
रा तो सिर्फ वेतन पर ही टिका है.
प्रभु अगर आप शंख बजाये तो हमारे मुख्यमंत्रजी की आँख खुल सकती है कि शिक्षा मंत्री रमणवोराजी सरकारी अध्यापकों की फाइल क्यों दबाये बैठे हैं जब कि राज्य सेवा आयोग ने तीन महीने पहले बहाली दे दी है.
चीन लीला की जगह गुजरात के शिक्षा जगत की लीला भी दिखाओ दयानिधान.आमीन.

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