गाँधी के नाम पर धंधा कोई नई बात नही हैं । बरसों से बहुत से कांग्रेस के नेता यही करते आए हैं । गांधी देश के हैं, शायद उससे ज्यादह कांग्रेस के हैं । अगर कोई भाजपाई नेता गांधी की बात करे तो यह न तो भाजपा वालो के गले उतरता है और न ही कांग्रेसी इस बात कोट सहज भाव से ले पाते हैं ।
खैर इस बाज़ार प्रेरित अर्थव्यवस्था में तो कोई भी वस्तु, कोई भी घटना माल बेचने के काम आ सकती है । गाँधी इसमे कोई अपवाद नही हैं । गाँधी जयंती के अवसर पर लोगो ने तरह तरह के माल गाँधी के नाम पर बेचे । यह बात अलग है अगर गंध जिंदा होते तो शायद वे इस प्रकार की वस्तुओं का जम कर विरोध कर रहे होते यार फ़िर उन्होंने इसके विरुद्ध अभियान भी छेड़ दिया होता ।
जर्मनी की प्रख्यात पैन बनाने वाली कम्पनी ने गांधी कलेक्शन निकाला । बारह लाख का पैन गाँधी के नाम ।
कम्पनी ने हर प्रकार की बाजारी तैय्यारी कर काफी ढोल बाजे के साथ पैन की घोषणा भी की । पहले ही दिन लाखों के पैन बिक गए । कम्पनी का कहना है कि वह इसका एक हिस्सा एक गांधी संस्था के माध्यम से समाज विकास के लिए खर्च भी करेगी । इसे आप गाँधी नाम की रोयल्टी या कमाई में गाँधी को कमीशन कुछ भी कह सकते हैं ।
अहमदाबाद के एक बड़े होटल ने गाँधी जयंती की पूर्व संध्या पर घोषणा की कि वो सूरत में सम्पूर्ण शाकाहारी पाँच सितारा होटल शुरू करने जा रहा है। होटल का मालिक जो इस सप्ताह अमिताभ बच्चन के थीम पर खाने का आयोजन कर रहा है उसने अपने गांधीजी की खूब तारीफ की। पत्रकारों को बताया कि वो किस कदर शाकाहारी है। अब सोचिये क्या गाँधी पाँच सितारा होटल में खाना खाने जाते। क्या इस प्रकार का भोजन मोह उन्हें आकर्षित करता ?
पर भैय्ये ये दुनिया एक बाज़ार है, माल बेचने वाला चाहिए खरीदार तो मिल ही जाएगा । बोलो बाज़ार संस्कृति की जय ।
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