साबरमती जेल के सुरक्षाकर्मी आजकल काफी परेशान हैं। आए दिन जेल में दंगल हो जाता है। सामान्य कैदी हो तो धुलाई कर बैरक में डाल दे। पर ये सब ठहरे दिग्गज पुलिस वाले।
इन्हें कानून बखूबी मालूम है। गोली मार मुठभेड बताने में माहिर हैं। साफ है कि, इनसे निपटना किसी के बस की बात नहीं। कुछ महिने पहले कुछ पुलिसवालों ने दिग्गज वणजारा और पांडियन को हथकडी पहनाने की कोशिश की थी। बता दी कानून की किताब। कर दी अर्जी अदालत में। सुप्रीम कोर्ट के फैंसले से ले मानवाधिकार सभी कुछ पढा दिया। जीत गये। अदालत ने कह दिया, हथकडी नहीं। आरोप सिध्ध नहीं हुआ। इज्जतदार हैं!
इस हफ्ते सोहराबुद्दीन कांड के ये नायक वणजारा और नरेन्द्र अमीन गुत्थमगुथ्था हो गये। आई पी एस अधिकारी एक दूसरे पर ही टूट पडे क्योंकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी!
गुस्सा किस पर उतारते। और कैदी मिलकर उनकी धुलाई कर देते। हां, बाहर होते तो सोहराबुद्दीन जैसे एक दो को उडा गुस्सा ठंडा कर लेते। एकाद तमगा भी वर्दी पर लगवा देते।
कल दो और सब इंस्पेक्टरों में लठठम लठ्ठ हो गई। ये दोनों भी फर्जी मुठभेड के चक्कर में जेल में हैं। गुस्से में एक आई पी एस ने मुर्गे की रान चबाने के अंदाज में बैडमिंटन रैकेट के तार ही फाड डाले। आम किस्से में कैदियों को दूसरी जेल में भेज देते हैं। पर इन्हें कही भी भेजें तेवर तो पुलिसिया ही रहेंगें।
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Thursday, May 1, 2008
साबरमती जेल, मुठभेडिया पुलिस वालों का अखाडा
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3 comments:
શર્માજી, આજે પહેલી વાર તમારા બ્લોગ પર આવ્યો છું. પહેલા બે બ્લોગ વાંચ્યા. મજા આવી ગઈ. ઝીરો કોલમ મને ગમે જ છે એ તમે જાણો જ છો. હવે અવારનવાર આ રીતે મળતા રહીશું.
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