हालांकि गुजरात मे चुनाव को अभी ४० से अधिक दिन बाकी है, चुनावी अटकलों का दौर पूरे जोर शोर से चल रहा है। कोइ भी मिलता है तो पूछता है कि क्या चल रहा है? आप इसका जवाब दे उससे पहले ही वो बंदा अगला सवाल दाग देता है। और क्या लगता है इस बार? कौन आयेगा?
पत्रकारो की दुनिया हो या छुटभैयो की जमात या फ़िर खाली बैठे लोगो की चौपाल। सभी जगह बस एक ही सवाल।
साफ़ है की सट्टा बज़्जार इससे अछूता नही रह सकता। पर भाई अपन होली दिवाली ताश शायद खेल ले, सट्टा बज़ार तो अपने बस की बात नही। खैर कल टाईम्स आफ़ इंडिया पढा। उसमे सट्टा बज़ार की रेपोर्ट पढी। लगा की बज़ार तो कांग्रेस का ही है। अलग अलग दिनॊ के दाम लिखे थे अपने रिपोर्टर भाई ने अपने खुद के नाम के साथ।
हिमान्शु कौशिक का कहना है कि हमेशा कांग्रेस ही आगे रही है, भले दाम मे कुछ उतार चढाव रहा हो। ३० अकतूबर को भाजपा के ९८ के सामने कांग्रेस के ८४ पैसे ही थे। तहलका के बाद तो भाजपा का दम ११२ को छू गया था। कारण ? तहलका से भाजपा की छवी काफ़ी बिगडी थी।
आज गुजराती अखबार संदेश मे दाम देखे। इस रिपोर्ट मे बिल्कुल ही उलटी तसवीर थी।भाजपा की ९० बैठकों के लिये ३२ से ३७ पैसे और कांग्रेस की ८० बैठको के लिये भी १.८० से १.९०। इस रिपोर्ट मे तो भाजपा की १२५ बैठको के लिये रू६.५० तो कांग्रेस के रू२१।
क्या आप दाम लगाना चाहेंगे कि कौन सा अखबार सही लिख रहा है और कौन किसी और गणित से लिख रहा है ?
2 comments:
हमारी माने अभी पैसा लगाने से बचे :) :) :)
They forgot to write : Rates sponsored by .... party.
Election is the business time.
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