अपने नेताओं का क्या कहना। समय के साथ बदलना तो कोई इनसे सीखे। जीवन परिवर्तनशील है यह तो सभी कहते हैं। पर यह सत्य जीता कौन है ? हमारे नेताजी! मौसम के साथ बदलते हैं वो अपना रंग रुप। ये साल चुनावी साल है। सभी को दलित, आदिवासी याद आ रहे हैं। अपने कांग्रेसियों को मुस्लमान भी याद आ रहे हैं। भाजपियों को मुसलमान अलग रुप में याद आ रहें हैं। खैर ये तो लंबी कहानी है।
अपनी बात तो है कक्काजिओं के अम्बेडकर प्रेम की। हर साल १४ अप्रैल को एक तरफ फायर ब्रिगेड दिन मनाया जाता है तो दूसरी तरफ भीम दिवाली। वैसे भी दिवाली और फायर ब्रिगेड के बीच गहरा नाता है। दिवाली के दिन बेचारे फायर ब्रिगादेवालों की नींद हराम हो जाती है। अपनी बात तो अम्बेडकर प्रेम की है।
इधर अपने पांच करोड़ गुजरातियों के मोदी भाई ने पन्ना भर के अम्बेडकर जीं का विज्ञापन दे दिया । मोदिजी का फोटो ना हो तो विज्ञापन कैसे हो सकता है। बडे अम्बेडकर , उनके बाद भाई नरेन्द्र भाई और फिर अपने रमनलाल वोरा भाई । क़द कुछ भी हो, कमाल तो क्रम का है। अपने मोदी जी अपनी बिनाका मुस्कराहट के साथ बीच में । आपकी नजर सीधे उन्ही पर पड़े।
अखबारों को हमेशा कोसने वाले अपने नरेन्द्र भाई का विज्ञापन प्रेम जोर शोर से उभर रह है। उनके सरकारी सपताहिक गुजरात की लाखों कापियां छपती हैं, भी
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