चुनावी मौसम यानि कि
गुजरात में रथ का मौसम। हालांकि भाजपा की रथ प्रथा को अपने आडवाणीजी ने शुरू किया था,
अब तो यह उनके शिष्य नरेन्द्र मोदीजी का ट्रेड मार्क है।
अभी कुछ दिन पहले अम्बाजी
जाना हुआ। जाना क्या हुआ, अपने मोदीजी के सूचना विभाग के अधिकारी 51 शक्तिपीठ की प्राण
प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए ले गए थे। जब वहां पहुंचे उस समय इस तीर्थनगरी में एक लम्बा
जुलूस निकल रहा था।
वहां रथ थे। उन पर
यदि कोई वस्तु किसी की भी नजर खींचती थी तो वह थी मोदीजी की बड़ी बड़ी तस्वीरें। वैसे
तो पूरे रस्ते हर दो पांच किमी के अंतर पर 51 शक्तिपीठ के विज्ञापन बोर्ड में से मोदीजी
झांकते हुए दिख जाते थे।
किसी के भी दिमाग में
यह सवाल उठ सकता है कि यह किस का विज्ञापन है? मोदीजी का या शक्तिपीठ स्थल का? खैर
हम गुजरात में रहने वालों के दिमाग में यह कीड़ा अब नहीं कुलबुलाता। कारण? यह तो रोज
की बात हो गई है।
आज सरकारी प्रवक्ता
मंत्री सौरभ पटेलजी पत्रकारों से मिले। उन्होने बताया कि किस प्रकार अपने मोदीजी गुजरात
के युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए पांचमुखी कार्यक्रम लाए हैं। इसका उद्देश्य है गुजरात
के युवा के कौशल का इस प्रकार से विकास जिससे उसे रोजगारी मिल सके।
उन्होने कहा कि उद्योग
उन्हे उसकी जरूरत के अनुसार ट्रेनिंग देगा। सरकार इस प्रशिक्षण का खर्च उठाएगी। उद्योग
का, उद्योग के द्वारा और उद्योग के लिए। सब कुछ उद्योगमय! सौरभजी ने कहा कि छोटे छोटे
गांव जहां आई टी आई नहीं हैं वहां कौशल्य रथ जाएगा।
पत्रकारों ने पूछा
कि कितने रथ, कैसे रथ? वहां उपस्थित अधिकारी सोनल मिश्रा बोली फिलहाल तो चार रथों का
आयोजन किया गया है। अधिकतर के दिमाग में एक प्रश्न था मोबाईल ट्रेनिंग सेंटर क्यो नहीं?
रथ क्यों? पर किसी ने पूछा नहीं। कहीं सौरभभाई थैंक्यू थैंक्यू न बोल दें।
सोनलजी ने कहा कि यह
चार क्षेत्रों में लगाया जाएगा और उसकी सफलता के आधार पर अन्य क्षेत्रों के बारे में
सोचा जाएगा! कुछ भी हो। किसी को एक बात पूछने की जरूरत ही महसूस नहीं हुई। क्या इस
रथ पर मोदी का फोटो होगा? सभी को यह लगा होगा कि फोटो तो रथ बनने से पहले ही लग जाएगा।
No comments:
Post a Comment