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Wednesday, October 1, 2014

गांधीजी की आत्मकथा की कहानी

गांधीजी की आत्मकथा अब पंजाबी और कश्मीरी में भी

गांधीजी के बारे में सबसे लोकप्रिय पुस्तक गांधीजी की आत्मकथा का  पंजाबी और कश्मीरी में भी अनुवाद हो गया है और ये पुस्तकें अब गांधी जयन्ति के दिन से लोगों को उपलब्ध होंगी । इसके साथ ही गांधीजी की आत्मकथा अब भारत की 17 और दुनिया की      30 भाषाओं में पढ़ी जा सकती है।

विवेक देसाई पुस्तकों के साथ
यह जानकारी देते हुए नवजीवन ट्रस्ट के अध्यक्ष विवेक देसाई ने कहा कि इन पुस्त्कों की विशेषता यह है कि दोनों का ही मुख्य प्रष्ठ का डिज़ाइन नया है। इसमें युवा गांधी का चित्र है। उन्होने कहा कि गांधीजी ने उनकी आत्मकथा सन 1920 तक ही लिखी थी। यह चित्र जर्मनी के विख्यात फोटोग्राफर से लियी गया है।
दोनों पुस्तकों में बहुत पन्ने हैं, पर प्रत्येक की कीमत केवल 60  रुपये ही रखी गई है। देसाई ने कहा कि नवजीवन ट्रस्ट की नीति है कि गांधीजी द्वारा लिखी गई पुस्तकों को लोगों को सस्ते दरों पर उपलब्ध कराया जाए। तदानुसार लगभग एक दर्जन पुस्तकों को सस्ते दाम पर उपलब्ध कराया जाता है। गांधीजी की आत्मकथा उसमे से एक है।
इन पस्तकों को तैय्यार करने में लगभग तीन वर्ष का समय लगा है, उन्होने कहा। पहले नवजीवन ट्रस्ट गांधीजी की आत्मकथा केवल हिन्दी, गुजराती और अंग्रेजी में ही प्रकाशित होती थी। 1993 में जब ट्रस्ट के 75 वर्ष पूरे हुए तब अन्य भारतीय भाषाओं मे भी इसे प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया।
और अब यह 17 भाषाओं मे प्रकाशित हो चुकी है। विवेक देसाई का कहना है कि लोगों की रुचि गांधीजी में बढ़ रही है और इसके फलस्वरूप उनकी किताबों विशेषकर आत्मकथा की मांग भी बढ़ रही है। 2009 में गांधीजी का साहित्य कॉपी राईट क्षेत्र से बाहर हो गया है और कई निजी प्रकाशक गांधी साहित्य को प्रकाशित कर रहे हैं ,फिर भी नवजीवन ट्रस्ट की पुस्तकें और अधिक बिक रही हैं।

एक तो ये पुस्तकें सस्ती हैं और इनका तथ्य अधिक्रत है, उन्होने कहा।

Wednesday, June 25, 2014

गांजा-चरस गुजरात के नशोड़ियों में सर्वाधिक लोकप्रिय

कल अंतर्राष्ट्रीय नशा विरोधी दिन है. अन्य राज्यों की तरह गुजरात में भी यह एक बड़ी समस्या है. इसके चलते केन्द्र और राज्य सरकार ने कल ( जून २६) से एक १५ दिवसीय सघन जागरूकता अभियान का आयोजन किया है.
इसके केन्द्र में हैं हाई स्कूल और कॉलेज के छात्र. यह जानकारी देते हुए अधिक मुख्य सचिव (गृह) एस के नंदा ने कहा कि राज्य सरकार ने इस विषय से निपटने के लिए दो आयामी नीति अपनाई है. इसके अंतर्गत एक और मादक द्रव्यों के व्यापार पर रोक लगाना और दूसरी ओर इनका उपयोग करने वालों की संख्या को कम करना. जब सेवन करने वाले नहीं होंगे तब खरीदेगा कौन.
उन्होने कहा कि सेवन करने वालों के दो वर्ग हैं. एक ओर युवा पीढ़ी और दूसरी ओर पर प्रांतीय, विशेषकर, आंध्र, ओड़ीशा, बिहार और उत्तर प्रदेश से आने वाले लोग. इसी कारण पुलिस इन राज्यों से आने वाली गाड़ियों पर विशेष नजर रखती है.
यह अभियान शहरों में जोर शोर से चलाया जायेगा, उन्होने कहा. राज्य के शहरों में पर प्रांतीय लोगों की संख्या काफी अच्छे प्रमाण में होने के कारण मादक द्रव्य सेवन की समस्या भी काफी बड़ी है। उन्होने कहा कि बिखरे परिवार और घर्षण ग्रस्त सम्बन्धों वाले परिवारों के बालकों के इस समस्या में उलझने की सम्भावना काफी अधिक होती है.
स्वापक नियंत्रण ब्यूरो के क्षेत्रीय निदेशक हरिओम गांधी ने काफी चौंका देने वाली जानकारी दी। उनका कहना है कि गुजरात में गांजा और चरस का उपयोग काफी अधिक है. हाल ही में वड़ोदरा में तीन टन डोडा पकड़ा गया था जो एक उभरते हुए खतरनाक प्रवाह का संकेत देता है.
शहरों में नशोड़ियों में कफ सिरप और डिप्रेशन की दवाओं का उपयोग भी काफी व्यापक है. नशे की लत के विरुद्ध जागरूकता लाने के लिए ब्यूरो पिछले कुछ समय से एन सी सी के कैम्पों में इसके बारे में कर रहा है. इस वर्ष ब्यूरो ने एन एस एस के माध्यम से प्रचार कार्य का निर्णय लिया है क्योंकी एन एस एस का जाल कॉलेजों में काफी व्यापक है.

उन्होने कहा कि विज्ञापनों और अन्य माध्यमों से जोर शोर से प्रचार किया जाएगा और इस पखवाड़े के बाद भी यह अभियान जारी रहेगा.

Sunday, March 2, 2014

गु युनि चुनाव परिणाम-कांग्रेस का दिल बहलाने के लिए ख्याल अच्छा है

आखिरकार गुजरात युनिवर्सिटी के चुनाव परिणामों की घोषणा हो ही गई।पिछले दो दिनों से जिस तरह से मार पीट का माहोल बन गया था लगता था कि यह समस्या आसानी से हल नहीं होगी। खैर मतगणना हुई और परिणाम भी घोषित हो गए। अपने कांग्रेसी नेताओं को इन परिणामों में लोकसभा चुनावों की गर्दिश में चमकते तारे दिखलाई दे रहे हैं। क्यों न दिखें?
सीनेट में १० में से छह बैठक कांग्रेस की एनएसयूआई ने जीत ली हैं। स्टूडेंट वेलफेयर में तो कांग्रेस और भी बुलंद है। १४ में से बारह बैठक जीती हैं उसके बंदों ने। आज जब सभी लोग कांग्रेस को लोकसभा चुनावों काफी पीछे देख रही है, ये परिणाम काफी उत्साह वर्धक हैं।
 एक कांग्रेसी नेता ने इन चुनाव परिणामों का गणित हमें समझाया। बोले आज जब युवा मत चुनावों में निर्णायक है, ये परिणाम कांग्रेस की बेहतर स्थिति को दर्शाते हैं। भले गुजरात में आजकल कई युनिवर्सिटीयां बन गई हैं, गुजरात युनिवर्सिटी सबसे बड़ी और सबसे पुरानी युनिवर्सिटी है। साफ है कि यह आने वाले लोकसभा चुनाव पर कांग्रेस के प्रभाव का संकेत है।
हमें हमारे ये कांग्रेसी मित्र किसी टीवी चैनल पर चुनावी सर्वे की बात करते हुए लगे। मित्र बोले कि इस गुजरात युनिवर्सिटी के छात्रों का प्रभाव सात लोक सभा चुनाव क्षेत्रों पर होगा। उन्होने गिटपिट ये संसदीय क्षेत्र गिना दिए- अहमदाबाद पूर्व और पश्चिम, खेड़ा, आणंद, छोटा उदयपुर, गोदरा और दाहोद। मतलब २६ में से सात पर तो कांग्रेस आबाद!
इन परिणामों ने नरहरी अमीन का गुजरात युनिवर्सिटी की राजनीति में बौनापन भी सिद्ध कर दिया, नेताजी बोले। विधानसभा चुनाव के दौरान वर्षों का कांग्रेस का साथ छोड़ मोदीजी का साथ पकड़ने वाले नरहरीभाई काफी दिग्गज नेता रहे हैं गुजरात युनिवर्सिटी की राजनीति में।
खैर अब तो अपने नरहरीजी योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में लाल बत्ती वाली गाड़ी में घूमते हैं, कांग्रेस के लिए तो वे पुराने छात्र नेता ही हैं।और इस दृष्टि से तो यह नरहरीजी की हार ही है। यह बात अलग है कि नरहरीजी की दृष्टि अब काफी विशाल हो गई है। वे बड़े पैमाने पर कांग्रेस में तोड़ फोड़ के मिशन पर लगे हुए हैं। गुजरात युनिवर्सिटी की राजनीति अब उनके लिए गौण हो गई है।
पर हमें अपने कांग्रेसी मित्र की यह बात गले नहीं उतरी। भैये जहां तक गुजरात युनिवर्सिटी का सवाल है, यह तो कांग्रेसियों का गढ है। पिछले दस वर्षों में भी कांग्रेस का ही बोलबाला है। इसके बावजूद अहमदाबाद शहर को लें तो यहां मोदीजी की भाजपा का ही बोलबाला है, नगर निगम से ले लोकसभा तक।
साफ है कि ये युवा छात्र राजनीति में भले ही कांग्रेस के साथ हों, राज राजनीति में तो वे अपने पंजे पर कमल ही लगाएंगे।

खैर आज के जमाने में सकारात्मक सोच (पॉवर ऑफ पोजीटिव थिंकिंग)का बहुत बड़ा बाजार है। कांग्रेस के लिए बने निराशावादी माहौल में उनके नेताओं के लिए उनकी छात्र शक्ति का ख्याल अच्छा है!!!

Friday, February 28, 2014

एनआरजी आडवाणीजी का “गांधीनगर” प्रेम बरकरार

अपने आडवाणीजी आज गांधीनगर में थे। हालांकि वे गांधीनगर के सांसद हैं, चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के अनुसार अहमदाबाद में उनका घर भी है, वे अपने मतक्षेत्र में रात शायद ही गुजारते हैं।सही मायने में वे अप्रवासी गुजराती हैं(एनाआरजी)।
शायद इसीलिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष फलदू जी ने इस सप्ताह कहा था कि मोरारजी के बाद मोदीजी प्रधानमंत्री बनने की राह पर चलने वाले दूसरे गुजराती हैं। जब एक पत्रकार ने आडवाणीजी के 2009 के चुनाव में पीएम प्रत्याशी होने का जिक्र किया तब फलदूजी बोले कि उस समय आज जैसी परिस्थिती नहीं थी। उसी सांस में उन्होने पत्रकारों को कहा कि बात का बतंगड़ मत बना देना। पर अगले दिन कुछ यारों ने ये आइटम ठोक ही दिया।
प्रधानमंत्री इन वेटिंग जैसे टाइटल से मशहूर अपने आडवाणीजी का शायद यह मानना है कि वे तो पूरे देश के हैं और गुजरात और गांधीनगर देश का एक भाग है इसलिए देश सेवा में ही गुजरात और गांधीनगर सेवा नीहित है।
उनके शिष्य नरेन्द्र मोदी की सोच से 180डिग्री उल्टा सोचते हैं आडवाणीजी शायद। अपने मोदीजी तो मानते हैं कि गुजरात देश है और भारत एक अन्य या फिर गुजरात का एक हिस्सा है भारत ।इसलिए उनके आंकड़े कुछ इस प्रकार होते हैं। गुजरात का वृद्धि दर इतना है और भारत का इतना। मोदीजी अब दिल्ली कूच पर हैं।
खैर, बात यहां गुरू आडवाणीजी की हो रही है। आज जब भाजपा की पहली सूची में आडवाणीजी और उनके साथी मुरली मनोहर जोशी के नाम नदारद हैं तब अपने बिजली पत्रकारों (इलेक्ट्रोनिक मीडिया) ने उन्हें घेर लिया और पूछा कि आप कहां से चुनाव लड़ेंगे?
पहले तो उन्होने स्वीकारा कि पहली सूची में उनका नाम नही है। फिर उनकी लक्षणात्मक शैली में हाथ मलते हुए बोले गांधीनगर से चुनाव लड़ना चाहता हू, आगे पार्टी की इच्छा। अब भाजपा में तो पार्टी की इच्छा मतलब अपने मोदीजी की इच्छा।फिर बोले काश कच्छ की बैठक आरक्षित नही होती। नहीं तो वहीं से लड़ लेता।
कच्छ में सिंधी हैं पर कच्छ सिंधियों का नहीं है। गांधीधाम छोड़ते ही कच्छ अलग प्रदेश हो जाता है। कच्छी भाषा में सिंधी की झलक तो है, पर बाकी सब कुछ अलग।
वैसे अपने गुजरात के भाजपाईयों का मानना है कि गांधीनगर भाजपा के लिए एक सुरक्षित बैठक है, पर आडवाणीजी के लिए शायद नहीं।
अपने आडवाणीजी का 7आरसीआर प्रेम( प्रधानमंत्री की कुर्सी का लक्ष्य) सभी को मालूम है। भले ही उनके शिष्य मोदीजी ने भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री की कुर्सी अपने नाम लिखवा ली है, आडवाणीजी को उनके हाथ की लकीरों मे बहुत विश्वास है। शायद हाथ मलते मलते वो यह गुनगुनाते हैं- वह सुबह(कुर्सी) कभी तो आयेगी।
जब गोआ में मोदीजी की ताजपोशी की तैयारी चल रही थी तब आडवाणीजी के घर पर नारेबाजी हो रही थी। इसके बावजूद अपने आडवाणीजी सब कुछ भूल पूरे जोरशोर से मोदीजी के साथ लग गए हैं।

पर भैय्ये ये तो राजनीति है। यहां कभी भी कुछ भी हो सकता है। यह सभी लोग जानते हैं । अपने आडवाणीजी भी!!!! 86 वर्ष के जवान हैं आडवाणीजी।

Thursday, February 27, 2014

सेवा नी हवेली नये रंग रूप में

अहमदाबाद की ऐतिहासिक ढाल नी पोल में सेवा नी हवेली अब नये रंग रूप में शुरू होने जा रही है। शहर के 604 वें वर्ष की शुरोआत में। यह हवेली स्वैच्छिक संस्था सेवा का एक डिजाइन केन्द्र है जहां महिला दस्तकार उनकी विरासत में मिली हस्तकला को आय का एक बेहतर माध्यम बना सकती है।

नये रंग रूप में इसकी कोलोनियल शैली और दस्तकारी में एक रिश्ता झलकता है। हालांकि पिछले 25 वर्ष से यह डिजाइन केन्द्र यहां चल रहा है, 2002 के भूकम्प में 100 वर्ष से भी अधिक पुरानी यह हवेली काफी क्षतिग्रस्त हो गई थी। पिछले दस महिने से चल रहे कामकाज के बाद इसे अब शुरू किया जा रहा है।
राज्य की 13 सहकारिताओं की 500 से भी अधिक महिलाएं यहा काम करती हैं। पेच वर्क, ब्लॉक प्रिंटिंग जैसी कलाओं का अब जीवंत प्रदर्शन भी देखा जा सकेगा। इस हवेली से जुड़ी ललिता क्रिश्नास्वामी का कहना है कि अब यहा इन कलाकारों के लिए एक नुक्कड़ भी होगा जहां वे न केवल उन्के कार्य का प्रदर्शन करेंगी अपितु उनकी वस्तुओं को बेच भी सकेंगी।

यहां विभिन्न प्रकार के डिजाइन की लाइब्रेरी भी है जो इन महिला दस्तकारों को नए डिजाइन सीखने के लिए बहुत ही उपयोगी होती है। ललिताजी का कहना है कि संसाधन सुविधाओं और अन्य नवीनताओं के कारण अगले दो वर्ष में इसके 1500 सदस्य हो जाएंगे।

ढाल की पोल अहमदाबाद की सबसे पुरानी पोल में से एक तो है ही, यह स्थल पहले आशा भील के नाम पर आशापुरा टेकरा कहलाता था। 

Tuesday, February 25, 2014

अहमदाबाद में पशुपतिनाथ मंदिर

गुरूवार को शिवरात्रि है। उस दिन शिवमंदिर भक्तों की नमः शिवाय की गूंज से भर जाएंगें। बहुत से भक्त इस दिन देश के प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं। नेपाल का पशुपतिनाथ का मंदिर भी उन्ही महत्वपूर्ण मंदिरों मे से एक है।

अहमदाबाद के लोग यहां वैष्णों देवी और बालाजी के मंदिर के बारे में तो जानता है, पर बहुत ही कम को मालूम है कि अहमदाबाद में पशुपतिनाथ का मंदिर भी है। हूबहू नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर जैसा ही। हां जी उसकी छोटी प्रतिकृति। इस मंदिर को दस वर्ष हो गए हैं।
यह मंदिर अहमदाबाद में बसते नेपाली लोगों ने बनाया है। शायद नेपाली लोगों का अहमदाबाद में काफी कम संख्या में होना, प्रचार की तिकड़म में कम होना ऐसे कुछ कारण हैं जिसकी वजह से लोगों को इस मंदिर के बारे में मालूम नही है। इसका एक कारण यह भी है कि यह कि यह मंदिर अहमदाबाद के पूर्वी सिरे पर ओढव क्षेत्र में आया है।

अन्यथा यह भी वैष्णों देवी और बालाजी के मंदिर की तरह पूरी शास्त्रोक्त विधी से तैयार किया गया है। पशुपतिनाथ मंदिर ट्र्स्ट ,अहमदाबाद जो इस मंदिर का संचालन करती है उसके अध्यक्ष नैनसिंह राजपूत बताते हैं कि नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर से ज्योत ला इस मंदिर में प्राण फूंके गए हैं।
यदि किसी व्यक्ति ने नेपाल का मंदिर देखा है तो वह इसे देख यही कहेगा कि यह उसका एक छोटा रूप है। 300 वर्ग गज के सीमित क्षेत्र में फैला हुआ है यह मंदिर। पहले इस मंदिरे में अंदर बैठ पूजा नहीं करने दी जाती थी क्योंकि स्त्रियों द्वारा इस प्रकार की पूजा निषेध है। पर, पिछले वर्ष से पुरूषों को विशेष वस्त्र पहन पूजा की व्यवस्था की गई है, राजपूतजी बताते हैं।
पशुपतिनाथ मंदिर का शिवलिंग पंचमुखी है और प्रत्येक मुख की अपार महिमा है। इस मंदिर में विभिन्न पूजाओं का प्रावधान भी है।
सिंगरवा रोड पर कठवाडा जी आई डी सी के सामने है यह मंदिर। शिवरात्रि को यहां बड़ा मेला लगता है।

Monday, February 24, 2014

गुजरात के विपक्षी नेताओं का नमो हृदय परिवर्तन दौर

आजकल गुजरात की राजनीति में एक नया दौर आया है। नमो दौर। विपक्षी नेता इसमे बहते बहते कमल के सागर में आ रहे हैं । जो मोदी को राजनीति का भाई कह अलग चौका लगा बैठे थे वे अब “अपने हृदय” की बात सुन नमो के पास आ रहे हैं।

गोरधनभाई की कृष्ण लीला
हर सांस में मोदी को कोसने वाले अपने गोरधनभाई ने आज अपनी कृष्ण लीला दिखलाई। वे अपने पूरे दल गुजरात परिवर्तन पार्टी के साथ भाजपा में आ गये। हकीकत में तो गोररधनभाई और उनके साथी भाई वापिस उनकी मातृ संस्था भाजपा में वापिस आ गए ।
गोरधन भाई काफी चतुर और वाक पुट वाले व्यक्ति हैं। हर सवाल का जवाब तैयार है। बोले अपने गुजरात के मोदीजी देश के प्रधानमंत्री बन रहे है यह बड़ी बात है। बाकी सब कुछ गौण और फिर उन्होने मीडिया को बताया कि यह किस प्रकार राष्ट्र हित की बात है।
मोदीजी के सामने भ्रष्टाचार के उनके आरोपों को जब पत्रकार मित्रों ने याद दिलाया तब तपाक से जवाब आया मोदीजी ने इस मुद्दे पर जांच बैठा दी है और जो भी बाहर आएगा वह सत्य होगा। बोले परिवर्तन पार्टी के विलीनीकरण के लिए सब तैयार हैं।
इस पार्टी के संस्थापक केशुभाई जिन्होने हाल ही में नादुरूस्त तबियत को आगे रख इस्तीफा आगे रख दिया था वो भी तैयार हैं। देखा जाए तो यह तो उनके इस्तीफे से ही साफ था कि वे विलीनीकरण को हरी झंडी दे रहे थे खुद को अलग रख कर। सब कुछ गोरधनभाई सम्भालें।
केशुभाई के साथ यही सबसे बड़ी समस्या है। कभी आगे से वार करने या लीडरी करने में वे मानते ही नहीं है। इसका यह परिणाम रहा कि उनके भाजपा में रहते हुए ही उनके अधिकतर साथी मोदीजी के चौके में दावत का मजा लेने में लग गए। और जब उन्होने भाजपा छोड़ी तो वे अकेले ही थे।

एक रु के भी नहीं हैं सुरेश महेताजी
रही बात अपने पूर्व मुख्यमंत्री सुरेश महेताजी की। उन्होने इस विलीनीकरण का जम कर विरोध किया है। गोरधनभाई से जब इस मुद्दे पर प्रश्न किया तो बड़ी बेबाकी से बोले, सुरेशभाई बड़े अच्छे व्यक्ति हैं। पर उन्होनें इस परिवर्तन पार्टी में एक रु का चंदा भी नहीं दिया है। लो सुरेशभाई देखो आपकी क्या हैसियत है। एक रु के भी नहीं हैं आप।
आज अपने दो कांग्रेसी भाई भी मोदीजी के कमल मैदान में उतरने के लिए तैयार हो गए। इन दोनो विधायकों ने आज विधान सभा अध्यक्ष वजुभाई वाला को इस्तीफा दे दिया। पहले तो विधायक प्रदेश अध्यक्ष या फिर विधायक दल के नेता को इस्तीफा दे थोड़ा बहुत रूठने मनाने की जगह भी रखते थे। अब तो उनके इस्तीफे से ही प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता को मालूम पड़ता है कि बंदा गायब।
इनमे एक थे अपने छबील पटेल। पूर्व मुख्यमंत्री सुरेश महेता को उनकी पिच कच्छ की मांडवी में हरा विधान सभा में एन्ट्री मारी थी उन्होने। और इस बार कच्छ के ही अबडासा से विधान सभा में आए। कच्छ के मशहूर हरे खजूर को देश में लोकप्रिय बनाने वाले अपने छबीलभाई को मालूम नहीं कि कमल में कैसे खजूर दिखे कि वो दौड़े दौड़े नमो प्रवाह में कूद गए।
भाजपा में हजूरिया- खजूरिया युद्ध कराने वाले उनके गुरू शंकरसिंहजी ,जो अब कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं , उन्हे सोनियाजी के राजनीतिक सलाहकार को जवाब देना भारी पड़ा कि छबील कैसे कांग्रेस की आबरू लील कर चला गया!

प्रभु वसावा, कांग्रेस का सूरत जिला के मांडवी का विधायक, दोपहर को दौड़ कर अध्यक्ष के पास गया और इस्तीफा दे आया। पश्चिम में छबील और दक्षिण में प्रभुजी, सब नमो नमो।

Saturday, February 22, 2014

पेड न्यूज का गोरखधंधा

चुनाव आए नहीं कि पेड न्यूज की चर्चा शुरू हो जाती है। संपादकीय लिखे जाते हैं। कभी कभी टीवी पर इस पर चर्चा भी देखने को मिल जाती है। चुनाव आयोग ने पेड न्यूज पर नजर रखने के लिए जिला स्तर तक की समीतियां बना दी हैं।
पर ये पेड न्यूज है किस बला का नाम? चुनाव आयोग के अनुसार यह एक खतरनाक बला है, स्वच्छ चुनाव प्रणाली की दुशमन। पैसे दे समाचार लिखवाना यानि कि पेड न्यूज। अब यह कैसे मालूम पड़ेगा कि कोई समाचार पैसे दे कर लिखवाया है या फिर सचमुच एक सही समाचार है।
भारतीय चुनाव आयोग के पीके दाश जी का कहना है कि प्रेस काउंसिल से चुनाव आयोग को कोई खास मदद नहीं मिली। काउंसिल ने तो जिला स्तर पर उसके प्रतिनिधी देने में भी उसकी असमर्थता जता दी।
वैसे भैये प्रेस काउंसिल तो क्या अच्छे अच्छे को न्यूज की परिभाषा ही नहीं मालूम। खैर चुनाव आयोग के अनुसार विज्ञापन जैसा समाचार छपे तो वह पेड न्यूज! पर इसमें जोरदार तो यह है कि यदि उम्मीदवार ऐसे समाचार के लिए खर्च को चुनावी खर्च में बताते हुए पेड न्यूज छपवाए तो यह चुनावी कानून का उलंघन नहीं है।
चुनाव आयोग मानता है कि यह गलत है। इस प्रकार के समाचार मतदाता और मतदान को प्रभावित करते हैं। पर अखबारों के विरुद्ध वे कुछ नहीं कर सकते। प्रेस काउंसिल के पास भी कोई प्रभावी हल नहीं है। चुनाव आयोग ने अख्बारों के विरुद्ध कार्यवाही के लिए सत्ता के लिए प्रस्ताव रखा है, पर वह काफी समय से लम्बित है।

वह हो भी जाए तो भी आसा नहीं है पेड न्यूज को पकड़ पाना।

Friday, February 21, 2014

डूबंत कर्ज समस्या का बैंक यूनियन फार्मूला

आए दिन रिजर्व बैंक के दिशा निर्देशों के बावजूद बैंक के डूबंत कर्ज की राशी दिन रात बढ़ती ही जा रही है। बैंककर्मी यूनियन जो वेतन वृद्धि के लिए आंदोलन कर रही हैं, उनका मानना है कि बड़े बैंक डिफोल्टरों से अगर पैसा वसूला जाए तो यह राशि न केवल वेतन वृद्धि के काम आ सकती है अपितु बैंक इस राशि को लोगों के लाभ के लिए भी निवेश कर सकती हैं।
ऑल इंडिया बैंक एम्प्लोयीज एसोशिएशन के महा सचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा कि हाल ही में बैंक यूनियनों के प्रतिनिधियों ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया है कि बैंक डिफोल्टर्स( जो व्यक्ति बैंक का कर्ज नहीं चुका रहे हैं ) उन्हे चुनाव लड़ने नहीं दिया जाए।
यह तो एक सुझाव है। वेंकटचलम जो अहमदाबाद में एक बैंक यूनियन कार्यक्रम में भाग लेने आए हैं उन्होने इस मुद्दे पर बैंक यूनियनों के आने वाले तीन महिनों के कार्यक्रम की जानकारी दी। उन्होने कहा कि हाल ही में उन्होने देश के तीस सबसे बड़े डिफोल्टर्स की सूची जारी की।
अगले महिने मार्च में प्रत्येक बैंक के तीस टॉप के डिफोल्टर्स की सूची जारी की जाएगी। देश में 26 सरकारी बैंक हैं। इस प्रकार देश के 780 बड़े डिफोल्टर्स के नाम उजागर किए जाएंगें। और अप्रैल का आयोजन तो और भी खतरनाक है। इस महिने में 8000 नाम उजागर किए जाएंगे।
वेंकटचलम के विचार काफी स्पष्ट हैं। सरकार छोटे कर्ज वालों के विरूद्ध तो हर प्रकार की कार्यवाही करती है पर बड़े बकाया कर्ज वालों पर कोई ठोस कार्यवाही नही होती है। बड़े कर्ज को लोन पुनर्गठन के नाम पर दोबारा लोन में परिवर्तित कर दिया जाता है और पैसा वापिस ही नहीं आता। इस प्रकार आठ लाख करोड़ डूबा हुआ है।
वेंकटचलम अहमदाबाद में सेंट्रल बैंक के कर्मचारियों और अधिकारियों के तीन दिवसीय संयुंक्त स्म्मेलन में भाग लेने आये हुए हैं। इस प्रकार का सम्मेलन तीन वर्ष में एक बार होता है। पूरे देश में से 1000 से अधिक बैंक कर्मी इसमें भाग ले रहे हैं।

Tuesday, February 18, 2014

कल्याणसिंह भाजपा धन संग्रह योजना

चुनावी मौसम है। अपने भाजपाई मित्र खुल कर धन संग्रह योजना की बात कर रहे हैं। मोदीजी के भाषण मैदान या हॉल में बैठकर देखने के लिए भी अब पैसे देने पड़ रहे हैं।
भाजपा ने अधिकृत रूप से वन वोट, वन नोट का नारा लगाना शुरू कर दिया है। वन वोट तो समझ में आता है, वन नोट काफी रहस्यमय है। आजकल तो अगर कोई छोटा नोट बाजार में दिखलाई देता है तो वह है१० का और १००० का नोट भी काफी आम है।
अपने भाजपाईयों ने स्पष्ट नहीं किया है कि एक वोट के साथ कितने का नोट मिलना चाहिए। और यह भी नहीं बतलाते हैं कि कहां और कैसे यह नोट दें। हां यदि आप ऑन लाइन नोट देना चाहते हैं तो भाजपा की वेबसाईट पर आपको एक बटन जरूर मिल जाएगा जिससे खुलेगा एक फार्म।
खैर यह सब तो खुली किताब की तरह लोग पढ़ रहे हैं।पर इस रविवार को गुजरात पुलिस को भाजपा की छाप वाली एक अन्य धन संग्रह योजना के बारे में मालूम पड़ा है। इस योजना के अंतर्गत इकठ्ठा किया हुआ १.४३ करोड़ पुलिस को मिला और जब पुलिस इस मामले की तफतीश कर रही थी तब उसे युवक मिला जो रु १० लाख लेकर आया था।
फंडा बहुत ही सीधा है। सरकारी नौकरी चाहिए, पैसा दो पार्टी के लिए। कम से कम रु १० लाख तो देने ही पड़ेंगे। आगे तो जैसा मुर्गा वैसा दाम। जब यह सब हुआ तब अपने कल्याणसिंह चम्पावतजी गुजरात सरकार की तलाटी कम मंत्री की नौकरियां बेच रहे थे।
जिस प्रकार रेल्वे के तत्काल कोटे में आधी गाड़ी की सीटें रिजर्व रहती हैं, अपने कल्याणसिंह भाई ने भी पार्टी के लिए धनसंग्रह के लिए आधी नौकरियां यानि कि १२०० में से ६०० नौकरियां रिजर्व कर रखी हैं।
अपने कल्याणभैया कोई छोटे मोटे आदमी नहीं हैं। भाजपा के बड़े बड़े नेताओं के साथ उनके फोटो हैं। हां जी मोदीजी के साथ भी। सरकारी योजनाओं को वो चलाते भी हैं। लोग सोच रहे हैं कि इन सब के बावजूद वो पुलिस के शिकंजे में कैसे आ गए? पुलिस से कोई गलती हुई या फिर चाय पानी के पैसे को ले कल्याणसिंहजी और पुलिस में ठन गई?
खैर मामला कुछ भी हो अब कल्याणसिंहजी पुलिस हिरासत में चींख चींख कह रहे हैं कि मालूम है कि हमारे हाथ कितने लम्बे हैं, हमारी पहुंच कहां तक है। हम इस पैसे में से नियमित रूप से पार्टी को दान देते थे।

अरे कल्याणसिंहजी आपको मालूम नहीं कि आधा दर्जन से अधिक उच्च पुलिस अधिकारी जेल में बैठ अपनी पहुंच को ही कोस रहे हैं।

Monday, February 17, 2014

मोदीजी के कौशल्य रथ

चुनावी मौसम यानि कि गुजरात में रथ का मौसम। हालांकि भाजपा की रथ प्रथा को अपने आडवाणीजी ने शुरू किया था, अब तो यह उनके शिष्य नरेन्द्र मोदीजी का ट्रेड मार्क है।
अभी कुछ दिन पहले अम्बाजी जाना हुआ। जाना क्या हुआ, अपने मोदीजी के सूचना विभाग के अधिकारी 51 शक्तिपीठ की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए ले गए थे। जब वहां पहुंचे उस समय इस तीर्थनगरी में एक लम्बा जुलूस निकल रहा था।
वहां रथ थे। उन पर यदि कोई वस्तु किसी की भी नजर खींचती थी तो वह थी मोदीजी की बड़ी बड़ी तस्वीरें। वैसे तो पूरे रस्ते हर दो पांच किमी के अंतर पर 51 शक्तिपीठ के विज्ञापन बोर्ड में से मोदीजी झांकते हुए दिख जाते थे।
किसी के भी दिमाग में यह सवाल उठ सकता है कि यह किस का विज्ञापन है? मोदीजी का या शक्तिपीठ स्थल का? खैर हम गुजरात में रहने वालों के दिमाग में यह कीड़ा अब नहीं कुलबुलाता। कारण? यह तो रोज की बात हो गई है।
आज सरकारी प्रवक्ता मंत्री सौरभ पटेलजी पत्रकारों से मिले। उन्होने बताया कि किस प्रकार अपने मोदीजी गुजरात के युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए पांचमुखी कार्यक्रम लाए हैं। इसका उद्देश्य है गुजरात के युवा के कौशल का इस प्रकार से विकास जिससे उसे रोजगारी मिल सके।
उन्होने कहा कि उद्योग उन्हे उसकी जरूरत के अनुसार ट्रेनिंग देगा। सरकार इस प्रशिक्षण का खर्च उठाएगी। उद्योग का, उद्योग के द्वारा और उद्योग के लिए। सब कुछ उद्योगमय! सौरभजी ने कहा कि छोटे छोटे गांव जहां आई टी आई नहीं हैं वहां कौशल्य रथ जाएगा।
पत्रकारों ने पूछा कि कितने रथ, कैसे रथ? वहां उपस्थित अधिकारी सोनल मिश्रा बोली फिलहाल तो चार रथों का आयोजन किया गया है। अधिकतर के दिमाग में एक प्रश्न था मोबाईल ट्रेनिंग सेंटर क्यो नहीं? रथ क्यों? पर किसी ने पूछा नहीं। कहीं सौरभभाई थैंक्यू थैंक्यू न बोल दें।

सोनलजी ने कहा कि यह चार क्षेत्रों में लगाया जाएगा और उसकी सफलता के आधार पर अन्य क्षेत्रों के बारे में सोचा जाएगा! कुछ भी हो। किसी को एक बात पूछने की जरूरत ही महसूस नहीं हुई। क्या इस रथ पर मोदी का फोटो होगा? सभी को यह लगा होगा कि फोटो तो रथ बनने से पहले ही लग जाएगा।

Saturday, February 15, 2014

आयुर्वेद आज की चिकित्सा पद्धति

आयुर्वेद कोई पुरानी घिसी पिटी चिकित्सा पद्धति नहीं है। आज के युग की बीमारियों के काफी प्रभावी हैं। जिस तरह लोग आज की एलोपथी चिकित्सा से तंग आ रहे हैं, आयुर्वेद एक प्रभावी विकल्प के रूप में उभर रहा है।
इसी मुद्दे को केन्द्र में रखते हुए अहमदाबाद में पिछले महिने एक आयुर्वेद सम्मेलन हुआ था। यह आरएसएस प्रायोजित एक संस्था द्वारा किया गया था। इस माह गुजरात सरकार आयुर्वेद पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित कर रही है। सरकार का दावा है कि इस प्रकार का यह पहला कार्यक्रम है। इसमें देश विदेश के 30 से अधिक विशेषज्ञ भाग लेने वाले हैं।
25 फरवरी को आयोजित इस कार्यक्रम में  सरकार का कहना है कि 7000 से अधिक आयुर्वेद से जुड़े लोग भाग लेने वाले हैं। इसके पहले सेशन में 21वी सदी में आयुर्वेद विषय पर गुजरात आयुर्वेद युनिवर्सिटी के उप कुलपति राजेश कोटेचा, जर्मनी से द रोसेनबर्ग यूरोपियन एकेडमी ओफ आयुर्वेद के निदेशक मार्क रोजेनबर्ग , ऑल इन्डिया इन्स्टीट्युट ओफ आयुर्वेद के के निदेशक अभिमन्यु कुमार और मेदांता के जी गीथाकृष्णन में उनके विचार रखेंगे।
बाद के दो सेशन में आठ रसप्रद विषय हैं। इसमे हैं मेटाबोलिक डिसऑर्डर्स, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर्स, साइकिएट्रिक डिसऑर्डर्स, शल्य शालाक्य में हाल में हुई प्रगति और रसायन थेरेपी।
मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी इस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।

Friday, February 14, 2014

लज्जा गोस्वामी को वेलेन्टाइन डे गिफ्ट- पु इन्स्पेक्टर की नौकरी

गुजरात की लज्जा गोस्वामी पिछले चार वर्षों से उसके शूटिंग के कारनामों से सुर्खिओं में छा रहीं हैं। २०१० में कोमनवेल्थ गेम्स में उन्हें ब्रोंज मेडल मिला था तो पिछले वर्ष २०१३ में वर्ल्ड कप में उनके निशाने ने और ऊंची बुलंदियों को छू लिया।
मोदीजी ने उन्हें हर बार सराहा। पर आज वेलेन्टाइन डे के अवसर पर तो मोदीजी ने उन्हें एक ऐतिहासिक तोहफा दे डाला। इस बन्दूक वाली लज्जा को उन्होने पुलिस में इन्सपेक्टर की नौकरी दे दी। यह जिस तरह से हुआ वो काफी रोचक है।
अपने गृह सचिव एस के नन्दाजी ने आनन फानन में मीडिया वालों को आज दोपहर को बुला लिया और घोषणा कर डाली कि लज्जा को पुलिस में इन्सपेक्टर की नौकरी दे दी गई है और वे एक ब्रांड एम्बेसडर के रूप में काम करेंगी। महिला सशक्तिकरण का एक कदम आदि आदि।
इस मीडिया कांफ्रेंस में पुलिस के आला अफसर भी बैठे थे। नन्दाजी ने बताया कि स्पोर्ट कोटा में गुजरात पुलिस में भरती होने वाली वे पहली महिला हैं। मोदीजी महिला सशक्तिकरण के प्रखर हिमायती हैं। उन्हे मिले हुए तोहफों की नीलामी कर मोदीजी कन्या शिक्षा को प्रोत्साहन देने का काम बरसों से कर रहे हैं।

पर यह तो उन्होने जोरदार कर दिया। भले ही लज्जा को यह सब चार साल बाद मिला। भले ही इस प्रकार का कदम मोदीजी के १२ वर्ष के शासन के बाद आया। अरे भई मोदीजी अब ७ आर सी आर की मंजिल के सफर पर चल पड़े हैं।

Tuesday, February 11, 2014

वेलेन्टाइन डे और महिलाओं से प्रेम भाव- वन बिलियन राइजिंग

प्रेम यह अढाई अखर अधिकतर लोगों के दिल में एक प्रकार का प्रेम भाव ही जगाता है। स्त्री-पुरूष के बीच का प्रेम और वह भी युवाओं के बीच। अपने संत वेलेन्टाइन का प्रेम इतना सीमित नहीं था। फिर भी आज जहां देखो, वेलेन्टाइन डे यानी कि युवा दिलों की धड़कन की बात। और यह एक काफी अच्छा मार्केटिंग फंडा बन गया है।
दुनिया के महिला संगठनों ने भी वेलेन्टाइन डे को महिलाओं के प्रति हिंसा से निपटने के एक कारगर शस्त्र के रूप मे अपना लिया है। पिछले दो वर्षों की तरह इस वर्ष भी वेलेन्टाइन डे पर पुरुषों में महिलाओं के प्रति सम्मान और समानता का भाव जगाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। शायद वेलेन्टाइन डे से बेहतर और कोई दिवस नहीं हो सकता पुरुषों की सोच बदलने के लिए कि महिलाएं किसी भी प्रकार की हिंसा का साधन नही होनी चाहिएं।
इस अभियान का मानना है कि दुनिया में हर तीसरी महिला किसी ना किसी प्रकार की हिंसा का शिकार होती है। इस प्रकार 100 करोड़ महिलाएं अर्थात वन बिलियन महिलाएं। उनकी हिंसा के प्रतिकार की आवाज - वन बिलियन राइजिंग। दुनिया के 200 से अधिक देशों में वेलेन्टाइन डे मतलब वन बिलियन राइजिंग।
अहमदाबाद में इस दिन पर 5000 से अधिक लोगों के प्रदर्शन का आयोजन किया गया है। शहर के बीच विक्टोरिया गार्डन से शुरू हो यह जुलूस सरदारबाग जाएगा, नाचते गाते । थीम है हमें न्याय चाहिए।
यह एक अच्छी बात है कि इस प्रकार का एक वैश्विक स्तर का कार्यक्रम हो रहा है, पर बाकी के 364 दिनों का क्या? जरूरत है कि हम हर दिन को प्रेम का दिन बनाएं।

Monday, February 10, 2014

कच्छ के रण में अनोखी 101 किमी लम्बी दौड़

कच्छ के रण में ऐतिहासिक पुरातात्विक स्थल धोलावीरा के इर्द गिर्द एक अनोखी दौड़ का आयोजन किया गया है। उबड़ खाबड़ रास्तों पर देश और दुनिया के लोग दौड़ेंगे। हालांकि विदेशों में इस प्रकार की दौड़ काफी लोकप्रिय हो रही हैं, भारत में यह एक काफी नया प्रयोग है।
तकनीकी भाषा में इसे अल्ट्रा ट्रेल रन कहा जाता है। आम भाषा में कहा जाए तो उबड़ खाबड़ रास्तों पर होने वाली लम्बी दौड़ यानी कि अल्ट्रा ट्रेल रन। दौड़ का आनन्द ही इसमें भाग लने वालों के लिए पुरूस्कार है। इसमें भाग लेने वालों को किसी प्रकार का कोई पुरुस्कार नहीं होगा, गुजरात के पर्यटन मंत्री सौरभ पटेल, एक प्रश्न के उत्तर में स्पष्ट करते हैं।
उबड़ खाबड़ रास्तों पर दौड़, किसी प्रकार का कोई भौतिक पुरूस्कार नहीं, फिर भी इस 101 किमी लम्बी दौड़ में 11 देशों के 17 लोग भाग ले रहे हैं। दुनिया के सर्वोच्च 10 अल्ट्रा ट्रेल रनर में से छह इस दौड़ में भाग ले रहे हैं। इस दृष्टि से देखें तो यह इस प्रकार की भारत के पहली दौड़ है।

सौरभ पटेल का कहना है कि यह पहला प्रयोग होने के कारण यह एक प्रकार का अभ्यास है, इस दौड़ के लिए ढाचागत सुविधाएं तैयार करने का। हालांकि दौड़ का आयोजन विश्व के इस प्रकार की दौड़ के विख्यात दौड़ने वाले फ्रांस के गेल कौटियर हैं, फिर भी यह दौड़ रण प्रदेश में होने के कारण इसमें काफी कुछ सीखने को मिलेगा, उन्होने कहा।
अधिक से अधिक लोग भाग ले सकें इसलिए इस दौड़ को तीन श्रेणियों में रखा गया है। ये हैं 21, 42 और 101 किमी। इन तीनों के लिए समय भी निश्चित किया गया है। 21 किमी के लिए अधिकतम छह घंटे, 42 किमी के लिए 12 घंटे और 101 किमी के लिए 30 घंटे। गेल कौटियर कहते हैं कि रास्ते में विश्राम और चिकित्सक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।
ऍक प्रश्न के उत्तर में उन्होने कहा कि सभी श्रेणियों मे लगभग आधा रास्ता पहाड़ी प्रकार का है।  बाकी के रास्ते में वेटलैंड जैसी चुनौती भरी स्थितियां भी हैं।
इस बार के लिए 100 की संख्या निश्चित की गई है। आज तक मे कुल 98 लोगों ने उनका नाम दर्ज कराया है। इसमें आठ महिलाएं भी हैं।
इसकी तैयारी की जानकारी देते हुए आऊटडोर जर्नल के अनिल नायर ने कहा कि पिछले कई सप्ताह से उस क्षेत्र में कई दौड़ने वाले व्यावहारिक समस्याओं का अभ्यास कर रहे हैं जिससे हर प्रकार की जरूरी सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।

इस प्रसंग से जुड़ी संस्था ग्रेट एशियन आउटडोर की डायरेक्टर हिरल रावतिया ने कहा कि यह तीन दिन का कार्यक्रम 14 फरवरी से शुरू होगा। इसके लिए एक वेब साईट भी बनाई गई है, जहां इसकी सभी जानकारी उपलब्ध कराई गई है। यह है www.runtherann.com. 
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