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Saturday, February 15, 2014

आयुर्वेद आज की चिकित्सा पद्धति

आयुर्वेद कोई पुरानी घिसी पिटी चिकित्सा पद्धति नहीं है। आज के युग की बीमारियों के काफी प्रभावी हैं। जिस तरह लोग आज की एलोपथी चिकित्सा से तंग आ रहे हैं, आयुर्वेद एक प्रभावी विकल्प के रूप में उभर रहा है।
इसी मुद्दे को केन्द्र में रखते हुए अहमदाबाद में पिछले महिने एक आयुर्वेद सम्मेलन हुआ था। यह आरएसएस प्रायोजित एक संस्था द्वारा किया गया था। इस माह गुजरात सरकार आयुर्वेद पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित कर रही है। सरकार का दावा है कि इस प्रकार का यह पहला कार्यक्रम है। इसमें देश विदेश के 30 से अधिक विशेषज्ञ भाग लेने वाले हैं।
25 फरवरी को आयोजित इस कार्यक्रम में  सरकार का कहना है कि 7000 से अधिक आयुर्वेद से जुड़े लोग भाग लेने वाले हैं। इसके पहले सेशन में 21वी सदी में आयुर्वेद विषय पर गुजरात आयुर्वेद युनिवर्सिटी के उप कुलपति राजेश कोटेचा, जर्मनी से द रोसेनबर्ग यूरोपियन एकेडमी ओफ आयुर्वेद के निदेशक मार्क रोजेनबर्ग , ऑल इन्डिया इन्स्टीट्युट ओफ आयुर्वेद के के निदेशक अभिमन्यु कुमार और मेदांता के जी गीथाकृष्णन में उनके विचार रखेंगे।
बाद के दो सेशन में आठ रसप्रद विषय हैं। इसमे हैं मेटाबोलिक डिसऑर्डर्स, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर्स, साइकिएट्रिक डिसऑर्डर्स, शल्य शालाक्य में हाल में हुई प्रगति और रसायन थेरेपी।
मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी इस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।

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