आए दिन रिजर्व बैंक
के दिशा निर्देशों के बावजूद बैंक के डूबंत कर्ज की राशी दिन रात बढ़ती ही जा रही है।
बैंककर्मी यूनियन जो वेतन वृद्धि के लिए आंदोलन कर रही हैं, उनका मानना है कि बड़े
बैंक डिफोल्टरों से अगर पैसा वसूला जाए तो यह राशि न केवल वेतन वृद्धि के काम आ सकती
है अपितु बैंक इस राशि को लोगों के लाभ के लिए भी निवेश कर सकती हैं।
ऑल इंडिया बैंक एम्प्लोयीज
एसोशिएशन के महा सचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा कि हाल ही में बैंक यूनियनों के प्रतिनिधियों
ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया है कि बैंक डिफोल्टर्स( जो व्यक्ति बैंक का कर्ज नहीं
चुका रहे हैं ) उन्हे चुनाव लड़ने नहीं दिया जाए।
यह तो एक सुझाव है।
वेंकटचलम जो अहमदाबाद में एक बैंक यूनियन कार्यक्रम में भाग लेने आए हैं उन्होने इस
मुद्दे पर बैंक यूनियनों के आने वाले तीन महिनों के कार्यक्रम की जानकारी दी। उन्होने
कहा कि हाल ही में उन्होने देश के तीस सबसे बड़े डिफोल्टर्स की सूची जारी की।
अगले महिने मार्च में
प्रत्येक बैंक के तीस टॉप के डिफोल्टर्स की सूची जारी की जाएगी। देश में 26 सरकारी
बैंक हैं। इस प्रकार देश के 780 बड़े डिफोल्टर्स के नाम उजागर किए जाएंगें। और अप्रैल
का आयोजन तो और भी खतरनाक है। इस महिने में 8000 नाम उजागर किए जाएंगे।
वेंकटचलम के विचार
काफी स्पष्ट हैं। सरकार छोटे कर्ज वालों के विरूद्ध तो हर प्रकार की कार्यवाही करती
है पर बड़े बकाया कर्ज वालों पर कोई ठोस कार्यवाही नही होती है। बड़े कर्ज को लोन पुनर्गठन
के नाम पर दोबारा लोन में परिवर्तित कर दिया जाता है और पैसा वापिस ही नहीं आता। इस
प्रकार आठ लाख करोड़ डूबा हुआ है।
वेंकटचलम
अहमदाबाद में सेंट्रल बैंक के कर्मचारियों और अधिकारियों के तीन दिवसीय संयुंक्त स्म्मेलन
में भाग लेने आये हुए हैं। इस प्रकार का सम्मेलन तीन वर्ष में एक बार होता है। पूरे
देश में से 1000 से अधिक बैंक कर्मी इसमें भाग ले रहे हैं।
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