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Tuesday, March 24, 2015

बिखरे बालों वाला वी आई पी डॉक्टर अनिल चौहान

गुजरात विधान सभा में सबसे अधिक परिचित चेहरों में से एक. पूरा नाम तो कम ही जानते हैंउनके बिखरे, कुछ उलझे, कुछ सुलझे बाल और बढ़ती टाल से उन्हें दूर से पहचानने में भी कोई भूल नहीं करता. 
ये हैं हमारे वी आई पी डॉक्टर अनिल चौहान. वी आई पी इसलिए क्योंकि ये विधान सभा के सत्र के दौरान ही यहां दिखलाई देते हैं और मंत्री से ले संत्री सभी को दवाई देते हैं. सबसे अधिक दिखते हैं बजट सत्र के दौरान क्योंकि यही सबसे लम्बा सत्र होता है.वैसे वे आपको राजभवन में भी मिल सकते है. यह जब राजभवन का डॉक्टर छुट्टी पर हो.
हर दो साल में होने वाले वाईब्रेन्ट में भी अपने डॉक्टर चौहान की ही डयूटी होती है. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार डॉक्टर चौहान गांधीनगर के निकट छाला के सीएचसी में नियुक्त है, पर अधिकतर समय वे किसी किसी वी आई पी कार्यक्रम में दवा देते हुए दिखलाई देते हैं.
इसका एक कारण तो है डॉक्टर चौहान की विशेष योग्यता और दूसरा दूसरों की मदद करने के लिए उनका तत्पर रहना. इसीलिए उन्हे कभी भी गांधीनगर के सीविल अस्पताल में देखा जा सकता है किसी मरीज की मदद में.
लोग बरसों से उन्हें देखते रहें हैं. कितने बरसों से किसी को ख्याल नहीं. मुझे भी इसका कोई अंदाजा नहीं था. मैं भी उन्हें डॉक्टर के रूप में देखते रहा था. इस बार कुछ एसा संयोग हुआ कि एक ऑटो रिक्शा वाला टकरा गया और हमारा दहिना अंगूठा लहुलुहान हो गया.
विधान सभा के प्रेस रूम में अपने हाथ को कभी दबाते, कभी सहलाते हुए बैठे हुए थे कि राजस्थान पत्रिका के वर्मा बोले विधान सभा के डॉक्टर के पास चलो और काफी आग्रह कर ले ही गये. हमे भी वैसे तो डॉक्टर के पास जाना ही था यह जानने के लिए कि टिटनेस का इन्जेक्शन लगवाएं या नहीं. शाम को फेमीली डॉक्टर के पास जाना निश्चित ही था.
चौहान साहब ने हमारा अंगूठा ऊपर नीचे, आगे पीछे किया और बोले यह सब तो ठीक है पर टिटनेस का इन्जेक्शन तो लगवाना ही पड़ेगा. और बस हमारा परिचय हो गया बिखरे बालों वाले डॉक्टर के धड़कते दिल से, कहानी और कविता लिखने वाले डॉक्टर चौहान से.
एम बी बी एस के बाद हेल्थ मेनेजमेन्ट के डिप्लोमा से लैस अपने चौहान साहब ने एच आई वी का विशेष अभ्यास भी किया है. यह सब नौकरी के दौरान. उनकी यह सीखने की प्रकृति और मरीज की तकलीफ की संवेदनशीलता ने उन्हें विधान सभा जैसी संवेदनशील जगह पर भी पिछले पन्द्रह वर्षों से टिकाए रखा है, अच्छे अच्छे राजनेताओं की स्वास्थ्य की तकलीफों के राज के साथ.
मीडिया से दोस्ती
मीडिया के साथ उनकी दोस्ती भी काफी अच्छी खासी है. वाट्स एप पर उन्होने मीडिया ग्रुप भी बना रखा है. पर यह विधान सभा पद प्रेरित शौक नहीं है उनका. बहुत कम मीडिया वाले उनके व्यक्तित्व के इस पहलू से परिचित हैं. शायद ही कोई इसे पूरी तरह से जानता है.
मेडीकल की पढ़ाई के दौरान, जवानी के दिनों में गुजराती दैनिक सम्भाव में युवा केन्द्रित लेखों से पैसे पाते थे तो कवितामयी दिल से अपनी सहपाठी का दिल भी जीतते रहते थे. वह सहपाठिनी, श्वेता, अब उनकी जीवनसाथी  है और उन्ही के साथ छाला सी एच सी में डॉक्टर है.

टाईपिस्ट ने पैसा नहीं लिया

लिखने का शौक जो लगा वो उनकी जिन्दगी का एक हिस्सा ही बन गया. नौकरी के साथ साथ गांधीनगर समाचार में स्पंदन डॉट कॉम कॉलम शुरू किया. लगभग 50 लेख लिखे. इस बारे में उन्होने एक मज़ेदार किस्सा सुनाया. वे अपने लेख टाईप करवा भेजते थे. उनके एक राष्ट्रभक्ति के लेख से टाईपिस्ट बंदा इतना प्रभावित हुआ कि उसने उस लेख का पैसा ही नहीं लिया.
पिछले पांच वर्षों से गुजरात सामायिक के दीपोत्सवी अंक में उनकी कहानी छपती है. अपनी कहानियों के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि उसका केन्द्र बिन्दु है आम आदमी और उसकी जिन्दगी.
उनकी एक कहानी है 108 फटाफट. यह उस महिला के विचारों को प्रकट करती है जिसके पति के लिए 108 मंगाई गई है. उसके दिल पर क्या गुजरती है. डॉक्टर चौहान  बोले कि हम डॉक्टर एक्स रे रिपोर्ट हाथ में ले बड़ी सहजता से बोल देते हैं कि मरीज़ को फला भयानक बीमारी है. क्या कभी हमारे दिल में विचार आता है कि मरीज़ और उसके रिश्तेदारों के दिल मे किन विचारों का तूफान उठता है?
कहानी का संकलन प्रकाशित होगा
बस इसी दिल ने डॉक्टर चौहान को लेखक बना दिया है. उन्होने अपनी कविताएं कहीं छपवाई नहीं हैं. उनका कहना है कि उन्होने अपने कविता के शौक के बारे में किसी को भी नहीं बताया है और ना ही कविताएं. शायद वे उनकी हमराज श्वेता के दिल की किताब के लिए ही हैं!
हमेशा किसी कार्य मे प्रवृत रहने वाले अपने चौहान जी आजकल कहानी का एक संकलन प्रकाशित करवाने में जुटे हुए हैं. उनकी यह पहली किताब दो तीन महीने में प्रकाशित होने वाली है.
चाय के शौकीन
पढ़ने पढ़ाने और कहानी कविता लिखने के शौकीन डॉक्टर चौहान का एक और शौक है –चाय पीने का शौक. मुझे अकेले चाय पीना अच्छा नहीं लगता और दोस्तों के साथ चाय पीने के लिए मैं मीलों जा सकता हूं.

देखा बिखरे बालों में सजा एक धड़कते दिल वाला अपना डॉक्टर चौहान.

1 comment:

Suresh Thakker said...

wah!! yogeshbhai, i like your approach to highlight the unknown facts about the people u meet. thanks .

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