अपने मोदीजी आज काफी प्रसन्न है। उन्होंने आज दुनिया को एक नया तोहफा दिया है । एशिआई शेरों का तोहफा। स्वर्णिम गुजरात के औपचारिक कार्यक्रम के अगले दिवस ही उन्होंने घोषणा की कि गुजरात में शेरों की संख्या काफी बढ़ गई है। दुनिया में एशिआई शेर अब केवल गुजरात में ही मिलते है । १८८२ के बाद देश के किसी भी हिस्से में एशिआई शेर नहीं पाया जाता है ।
मोदीजी ने आज सुबह पत्रकार परिषद् बुलाई और पत्रकारों को यह जानकारी दी । वैसे तो मोदीजी आजकल अधिकतर पत्रकारों से मिलना टालते है , पर ये तो सरो की बात है इसलिए वे खुद पत्रकारों से मिले। पांच वर्ष पहले भी मोदीजी ने शेरों के बारे में जानकारी दी थी । शेरों की गिनती पांच वर्ष में एक बार होती है।
जाहिर है कि एशिआई शेर गुजरात की एक पहचान है । आज जब मोदीजी स्वय के गुजरात बताते है तो जाहिर है कि वे शेरों की बात करने से कैसे चूकेंगे । उन्होंने बताया कि आज तक इतने अधिक शेर नहीं बढे थे। पूरे १३ प्रतिशत की वृध्धि । आज तक का रिकॉर्ड । आज जब वन्य प्राणी दुनिया में कम हो रहे है, गुजरात के शेरों की संख्या में वृध्धि गुजरात की सफलता की अलग पहचान है।
उन्होंने काफी दिलचस्प जानकारी दी । बताया भारत की जनसंख्या की तरह , शेरों में भी युवा अधिक है । लगभग ४० प्रतिशत । एक शेर और १.६७ शेरनी के अनुपात के साथ शेर हमें हमारे समाज में स्त्रियों की संख्या बढाने का सबक सिखलाते है , उन्होंने कहा। उनके ४० करोड़ के प्लान के कारण बच्चे शेरों की मृत्यु में काफी गिरावट आई है। पहले प्रति वर्ष लगभग १० बच्चे कुए में गिर कर मर जाते थे , गत वर्ष केवल एक शेर बालक की ही मृत्यु हुई।
शेरनियो की संख्या के कारण शेरनी सशक्तिकरण काफी हुआ है। अब शेरनिया शेरों को बालक शेर नहीं मारने देती उन्होंने कहा। देखा शेर और मानव जीवन में कितना साम्य है ! पत्रकारों को जानकारी दे बोले शेर दिल बनो और शेरों के बारे में लिखो। मित्रो मोदीजी की शेर कथा यहाँ प्रस्तुत है।
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