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Friday, August 31, 2012

उत्सवप्रिय मोदीजी का सौन्द्रयबोध

अपने मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदीजी (प्रधानमंत्री आफिस की कतार में) उत्सवप्रिय हैं, यह कौन नहीं जानता? उनकी भाषा, उनके हाव भाव इतने वाईब्रेन्ट है कि उनके व्यक्तित्व का यह पहलू चीख चीख कर लोगों का ध्यान खींचता है.
गुजरात के कई क्षेत्रों मे सूखे की परिस्थिती है. मोदीजी ने अखबारों मे विज्ञापन दे डाले , आफत को अवसर मे बदल दें. सभी को आश्चर्य हुआ. कैसा अवसर? काम्ग्रेसियों ने मोदीजी की टीका करते हुए प्रेस नोट के पुलिन्दे अखबारों के आफिसों में डाल दिये.
मोदीजी आजकल इंडिया मे वाया अमेरिका छवी बनाओ कार्यक्रम मे लगे हुए हैं. अमरीकी अखबारों मे तारीफ के समाचारों को मोदीजी का फेन वर्ग उनकी योग्यता के सर्टीफिकेट के रूप में लोगों के सामने पेश करने में 24x7 जुट जाता है. मोदीजी को अच्छी तरह से यह ख्याल रहता है कि हम आज भी विदेशी वस्तुओं को सही मानते हैं और उनसे तुरंत प्रभावित हो जाते हैं.
आजकल कांग्रेस और गुजरात परिवर्तन पार्टी दोनों ही मोदीजी पर चहुतरफा हमला करने मे जुटे हुए हैं. मोदीजी ने इसके लिये अमरीकी प्रकाशन Wall Street Journal को लम्बा चौड़ा इन्टरव्यु दे डाला. इन्टरव्यु मे मोदीजी ने गुजरात पर उनके ११ वर्ष के राज के आधार पर उनकी मौलिक सोच बताई.
उनका कहना है कि गुजरात की युवतियां कमजोर इस लिये नही हैं क्योकि उन्हें खाने को नही मिलता है. पर इस लिये कुपोषण का शिकार हैं क्योंकि वे खाती नहीं हैं! इसका भी एक सोलिड कारण है मोदीजी के पास. युवतियां सौंदर्य के प्रति इतनी सजाग हैं कि वे खाती ही नहीं हैं. देखा अपने मोदीजी ने कैसे कुपोषण की आपत्ति को सौंदर्य सजगता के अवसर मे बदल दिया.
 दूसरी ओर मोदीजी के राजनीतिक दुश्मन और अन्य को भी मोदीजी के इस बयान मे उन पर प्रहार करने का अवसर मिल गया. नतीजन गुरुवार को पूरे दिन पूरे देश मे यही मुद्दा छाया रहा. सभी ने मोदीजी की पेट भर टीका की. कांग्रेस के अर्जुनभाई और कई अन्य तो मोदीजी की माफी मांगने पर उतर आये.
मोदीजी और माफी. मोदीजी रॉक सोलिड आदमी है. २००२ के दंगों के मुद्दे पर पूरी दुनिया उनसे माफी मांगने को कह रही है तो उनके इस इन्टरव्यु के लिये माफी मांगना एक मूर्खता से ज्यादह कुछ नही है.
चैनल कार्यक्रमों मे मोदीजी की वकालत करने वाले अपने यतिन ओझा जी एक चैनल पर ये कहते कहते रह गये कि ये शब्द लिखे गये हैं पर मोदीजी द्वारा TV इन्टरव्यु की तरह बोले हुए थोडे दिखलाई देते हैं. शुक्र है कि उन्हे इस बात का ध्यान आ गया कि इन्टरव्यु एक विदेशी अखबार को दिया गया है. अगर उसे भारतीय अखबार की तरह हड़्का दिया तो वाया अमरीका प्रचार का रस्ता बंद भी हो जाये.
अगर हम मोदीजी के सौंदर्य बोध को सही माने तो गुजरात तो हंसिनियों और कामिनियों का देश है, गजगामिनियां तो गुजरात की नहीं हैं!!!!

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