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Saturday, June 20, 2015

मोदी योग दिवस

पिछले कुछ दिनों से अखबारों में जिस प्रकार योग के अधपके ज्ञान से भरपूर लेख और समाचार पढ़ने को मिल रहे हैं उसमें लगता है कि मोदीजी प्रेरित योग दिवस से पहले योग शायद पाताल की गहराई में खो गया था।
अपने पत्रकार मित्र तथाकथित सेलीब्रिटीज के इन्टरव्यू छाप रहे हैं कि कैसे वे वर्षों से योगा कर रहे हैं। लगता है कि योग यानि कि आसन। आदि यह सच है तो पतंजलि योग के बाकी सात अंग यम, नियम आदि का क्या?
इसमें कोई शक नहीं कि टीवी युग में योग गुरु बनने की होड़ में बाबा रामदेव ने अच्छे अच्छों को पछाड़ दिया है। अब लगता है कि मोदीजी आगे निकल रहे हैं। जिस तरह से विज्ञापन और प्रचार मसाला परोसा जा रहा है उससे तो यही लगता है।
1960 के दशक से महेश योगी, बीके अयंगर एवं अन्य ने विश्व में योग की ज्योत जलाई उसके लिए किसी संयुक्त राष्ट्र की छाप नहीं थी।
योग पूरी दुनिया में अपनी धाक जमा चुक है। पर आज यह बतलाया जा रहा है कि मोदीजी की प्रेरणा से विश्व के 177 देशों ने विश्व योग दिन की मंजूरी दी जिससे योग की वैश्विक पहचान बनी. तो अभी तक जो हुआ वह क्या था?
अपनी मुख्यमंत्री आनन्दी बेन पटेल की सरकार के विज्ञापनों का क्या कहना? ध्रुव तारे की तरह स्थिर है मोदीजी का स्थान गुजरात सरकार के विज्ञापनों में। इस बार भी मोदीजी ही केन्द्र में हैं। हां सुप्रीम कोर्ट के के कारण आनन्दीबेन का फोटो नहीं है।
पर सूचना विभाग ने इसका भी तरीका ढूंढ निकाला। आनन्दीबहन का ध्यान मुद्रा का फोटो जारी हुआ। हर दृष्टि से इस फोटो की न्यूज वैल्यू थी। गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री योगमय होती हुई!! कुछ भी असम्भव नहीं यदि कोई कुछ करने की ठान ले। कई अखबारों में यह फोटो छपी भी।
विज्ञापन का कहना है कि विश्व योग दिन के मोदीजी के प्रस्ताव को यूएन ने मंजूरी दी उससे यूएन ने उनके अडिग व्यक्तित्व पर उसकी मोहर लगा दी।
शुक्र है कि विज्ञापन ने मोदीजी की छप्पन इंच की छाती की बात नहीं की। वैसे जब भारतीय सेना ने बर्मा में आतंकियों पर कार्रवाई की थी तब कुछ अखबारों ने कहा था कि मोदीजी ने उनकी छप्पन इंच की छाती बता दी है।
मोदीजी के ध्यान के फोटो तो पिछले एक वर्ष में कई बार छप चुके हैं। ध्यान मुद्रा ही क्यों, कोई अन्य आसन क्यों नहीं जो उनके शरीर के लचीलेपन और स्फूर्ति को बताए।
मोदीजी भले ही योग के कितने ही प्रेमी हों, हैं तो वे नेता ही। कुछ ने सूर्यनमस्कार और ओंकार का विरोध किया तो ये दोनों ही योग दिवस कार्यक्रम से बाहर! यह कोई नेता ही कर सकता है। किसी वस्तु की जान निकल कर भी कहे कि लो ये तुम्हारे लिए हैं।

तो ये योग दिवस है या मोदी योग दिवस।

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