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Wednesday, April 2, 2008

फ़र्जी मुठभेड हीरो वणजारा को मानवाधिकार याद आया

गुजरात के बाहोश अफ़सर डी जी वणजारा और उनके साथी आला अफ़सर आजकल काफ़ी परेशान है। उनके वकील का कहना है कि पुलिस उनकी तौहीन कर रही है। पुलिस उन्हे हथकडी पहनाने की बात कर रही है। वणजारा और उनके साथी सोहराबुद्दिन की फ़र्जी मुठ्भेड के लिये आजकल साबरमती जेल मे हैं ।
कुछ समय पहले वणजारा ने अस्वस्थता की शिकायत की थी। जेल के डाक्टर का कहना था कि सिविल अस्पताल ले जाओ इन्हे। उन्हे ले जाने के लिये पुलिस बुलाई गई। इन्सपेक्टर ने हथकडी लगाने की बात की। वणजारा आग बबुला हो गये। बोले कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ़ है।
कुछ दिन बाद यही घटना एक अन्य अफ़सर के साथ हुई। उन्होने भी आग बबुला हो पुलिस के साथ जाने से इंकार कर दिया। सोहराबुद्दिन की फ़र्जी मुठ्भेड और उसकी बीबी को जिंदा जलाने के किस्से मे गुजरात और राजस्थान पुलिस के एक दर्जन पुलिसवाले जेल मे हैं । इनमे तीन आइ पी एस अधिकारी है।
इनके वकील ने अहमदाबाद के एक अदालत मे शिकायत की है और कहा है कि वणजारा और उनके साथी आला अफ़सरो के साथ पुलिस का व्यवहार मानवाधिकार भंग का मामला है। देखा फ़र्जी मुठभेड वालो को भी मानवाधिकार याद आता है, जब खुद का किस्सा होता है।खैर जिस अदालत पर लोग मानवाधिकार का गलत पक्ष लेने की बात करते है, उसने इस किस्से मे पुलिस के आला अफ़सरो को १४ अप्रैल को हाजिर होने को कहा है जहा उनसे पूछा जायेगा कि वो वणजारा और उनके साथी आला अफ़सर को हथकडी लगाने की बात क्यों करते हैं ?

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