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Thursday, February 21, 2013



विधान सभा की भगवा छटा

गुजरात विधान सभा का यह सत्र कई अर्थों में नया है। पिछले सात टर्म से भी अधिक समय से गुजरात विधान सभा के सदस्य और वित्त मंत्री रह चुके वजुभाई वाला अब विधान सभा अध्यक्ष हैं।

बार बार विधान सभा में तरह तरह के कोमेंट के लिये मशहूर अपने नितिनभाई अब वित्त मंत्री जैसी भारी पोस्ट पर बैठ सरकार को बचाने के फायर फाईटिंग ऑपरेशन में इस तरह फंसे दिखाई देते हैं कि कोमेंट वोमेंट कम ही कर्ते दिखलाई देते हैं।

खैर मुद्दा तो भगवा छटा का है। प्रतिपक्ष के नेता शंकरसिंह वाघेला  किसी जमाने के भाजपा के कद्दावर नेता हैं। गुजरात में भाजपा की नींव रखने वाले शंकरसिंह वाघेला  ने गुजरात में भाजपा को तोड़ यह भी बता दिया कि भाजपा अटूट नही हैं। वह भी और दलों की तरह ही है। हां पर भाजपा में शंकरसिंह वाघेला  की टक्कर का कोई और नेता नही है। पूरे देश में।

दो बार मुख्य मंत्री रह चुके अपने केशूभाई पटेल विरोध का दूसरा छोर हैं। दो सदस्यों वाली गुजरात परिवर्तन पार्टी के नेता हैं। पूरी जिंदगी आर एस एस से जुड़े रहे अपने केशूभाई पटेल ने मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी को कोसते हुए भाजपा छोड़ दी और चुनाव से कुछ महीने पहले गुजरात परिवर्तन पार्टी बना ली।

पर केशुबापा के नाम से मशहूर अपने केशूभाई पटेल की किस्सा तो पहले प्यार के टूटने वाले आशिक जैसा है। दिल तो उनका अभी भी भगवा ही है। इसलिये चुनाव के दौरान वे यह कहते थे कि असली भाजपा तो उनकी है।

आप विधान सभा अध्यक्ष वजुभाई वाला की हालत की कल्पना कर सकते हैं। सदन मे वे जहां भी नज़र करते हैं , बुलन्दी पर भगवा ही दिखलाई देता है। फिर चाहे वो उनके अपने भाजपा वाले मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी हों या फिर भूपू भाजपाई शंकरसिंह वाघेला  और केशूभाई पटेल हों।

तीनों की विषेशता यह है कि , तीनों एक ही स्कूल की प्रोडेक्ट हैं। विचार से ले भाषण देने की कला तक।

इसलिये आज जब शंकरसिंह वाघेला  ने अपना धांसू भाषण दिया तो भाजपाईयों के पास उसका कोई तोड़ ही नही था। क्योंकि छटा तो भगवा थी!

1 comment:

rakesh said...

ये तो होना ही था....
देर सवेर वजुभाई के लंबे हो रहे कद कि कटाई निश्चित थी |
जिस जहाँ में एकतंत्र हो वह रंग, राग, स्वाद ओर संवेदना का कोई मोल नहीं होता |

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