अपने ब्रिटानिया वाले भाई लोग बाज़ार में शुद्ध शाकाहारी केक लाये है । उनका कहना है की बच्चो को केक बहुत भाता है पर बहुत सारे बच्चे इसका लुत्फ़ नही उठा पाते है । कारण ? क्योकि उसमे अंडा होता है , इसलिए वे केक नही खाते ।
अब कौन जाने बच्चो को केक भाता है या नही , पर अपने ब्रिटानिया वाले भाई लोग तो यही कहते है। उनका कहना है की नाश्ते में बच्चे केक ले जाना चाहते है ! उन्होंने बताया कि दुनिया में शाकाहार किस प्रकार से बढ रहा है।
उन्होंने उनका केक अहमदाबाद बाजार में सबसे पहले उतारा और वह भी नवरात्रि में ? उनका शाकाहारी फ्रूट केक अक फलाहार के रूप में । कंपनी वालो ने मीडिया को शाकाहारी लोगो की विभिन्न राज्यों में कितनी प्रतिशत है, यह बता कर कहा की गुजरात में शाकाहारी काफी होने के कारण वे केक की शुरूआत गुजरात से कर रहे हैं । साथ ही यह भी है की गुजरात में केक के शौकीन बहुत लोग है ।
मजेदार बात यह है कि उन्ही के अनुसार सबसे ज्यादह शाकाहारी लोग पंजाब में है । गुजरात को पसंद करने का राज ये मालूम पडा । ब्रिटानिया के अधिकतर एजेंट गुजराती है । इसलिए वेज केक गुजरात से !
उनका कहना है कि उनका केक तीन महीने तक ख़राब नही होता। अरे भैया यू बोलो कि तीन महीने बासा भी खा सकते हो। बोले कि आपकी बेकरी वाले का केक कैसे बनता है वो सब जानते है।
जब दाम की बात है तब बोले कि अंडे वाले केक से ज्यादह है क्योकि केक को सॉफ्ट बनाने में काफी खर्च होता है। अंडे वाला केक १२ रूपये का और शाकाहारी केक १५ रूपये का । देखा शाकाहारी होने की कीमत । ज्यादह पैसा देना पड़ता है ।
शाकाहार सस्ता नही रहा वैसे भी
1 comment:
इसमें वनस्पति घी (ट्रांस फैट), प्रिसर्वेटिव्स, कैमिकल फ्लेवर्स, आर्टिफीशियल कलर्स, मैदे, शक्कर, खमीर का इस्तमाल तो हुआ ही होगा. यह सब चीज़ें सेहत के लिए कितनी घातक हैं बताने की ज़रूरत नहीं है.
शाकाहारी के नाम से प्रचार करना सिर्फ एक मार्केटिंग जिमिक है, स्वस्थ्य के लिए तो यह उतना ही हानिकारक है. पैसे देकर बासा शाकाहारी केक खाओ और ऐश से अपने शारीर की ऐसी-तैसी कराओ.
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