कल अंतर्राष्ट्रीय
नशा विरोधी दिन है. अन्य राज्यों की तरह गुजरात में भी यह एक बड़ी समस्या है. इसके
चलते केन्द्र और राज्य सरकार ने कल ( जून २६) से एक १५ दिवसीय सघन जागरूकता अभियान
का आयोजन किया है.
इसके केन्द्र में हैं
हाई स्कूल और कॉलेज के छात्र. यह जानकारी देते हुए अधिक मुख्य सचिव (गृह) एस के नंदा
ने कहा कि राज्य सरकार ने इस विषय से निपटने के लिए दो आयामी नीति अपनाई है. इसके अंतर्गत
एक और मादक द्रव्यों के व्यापार पर रोक लगाना और दूसरी ओर इनका उपयोग करने वालों की
संख्या को कम करना. जब सेवन करने वाले नहीं होंगे तब खरीदेगा कौन.
उन्होने कहा कि सेवन
करने वालों के दो वर्ग हैं. एक ओर युवा पीढ़ी और दूसरी ओर पर प्रांतीय, विशेषकर, आंध्र,
ओड़ीशा, बिहार और उत्तर प्रदेश से आने वाले लोग. इसी कारण पुलिस इन राज्यों से आने
वाली गाड़ियों पर विशेष नजर रखती है.
यह अभियान शहरों में
जोर शोर से चलाया जायेगा, उन्होने कहा. राज्य के शहरों में पर प्रांतीय लोगों की संख्या
काफी अच्छे प्रमाण में होने के कारण मादक द्रव्य सेवन की समस्या भी काफी बड़ी है। उन्होने
कहा कि बिखरे परिवार और घर्षण ग्रस्त सम्बन्धों वाले परिवारों के बालकों के इस समस्या
में उलझने की सम्भावना काफी अधिक होती है.
स्वापक नियंत्रण ब्यूरो
के क्षेत्रीय निदेशक हरिओम गांधी ने काफी चौंका देने वाली जानकारी दी। उनका कहना है
कि गुजरात में गांजा और चरस का उपयोग काफी अधिक है. हाल ही में वड़ोदरा में तीन टन
डोडा पकड़ा गया था जो एक उभरते हुए खतरनाक प्रवाह का संकेत देता है.
शहरों में नशोड़ियों
में कफ सिरप और डिप्रेशन की दवाओं का उपयोग भी काफी व्यापक है. नशे की लत के विरुद्ध
जागरूकता लाने के लिए ब्यूरो पिछले कुछ समय से एन सी सी के कैम्पों में इसके बारे में
कर रहा है. इस वर्ष ब्यूरो ने एन एस एस के माध्यम से प्रचार कार्य का निर्णय लिया है
क्योंकी एन एस एस का जाल कॉलेजों में काफी व्यापक है.
उन्होने कहा कि विज्ञापनों
और अन्य माध्यमों से जोर शोर से प्रचार किया जाएगा और इस पखवाड़े के बाद भी यह अभियान
जारी रहेगा.