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Tuesday, December 11, 2007

मोदीजी के लियी दिल्ली नही आसां

भाजपा ने आडवाणी को उसके प्रधानमंत्री के रूप मे जनता के सामने पेश किया है। सभी अचम्भे में हैं कि यह क्यॊ हो रहा है? दिल्ली के अखबार इसे मोदी के लिये स्पष्ट संकेत के रूप मे देख रहे हैं कि भैया दिल्ली दूर है गांधीनगर मे ही संतुष्ट रहो। गुजरात मे चुनाव के प्रथम चरण की पूर्व संध्या पर इस प्रकार का निवेदन वास्तव मे काफ़ी रहस्यमय है।

ऎसे मे प्रधान मंत्री मन मोहन सिंह भी चुस्की लेने से बाज नही आये। जब वडोदरा मे पत्रकारों ने उनसे पूछा कि यह क्या है, तो तपाक से बोले कि यह मोदी को दिल्ली से दूर रखने का उपाय है। भाजपा के नेता खुद मोदी से डरे हुए हैं ।इससे अधिक वेधक और कोई जवाब शायद ही हो सकता था।

अहमदाबाद मे आये तो यहा भी यह सवाल उन्हे पूछा गया। उनका जवाब था कि यह भाजपा का अंदरूनी मामला है। उसी सांस मे बोले कि भाजपा ने आडवाणी को ऎसे पद के लिये उम्मीदवार बनाया है जो अभी खाली ही नही हुआ है !

अंदर का मामला कुछ भी हो, एक बात तो साफ़ है कि अरूण शौरी से ले और सभी नेता जो मोदी को प्रधानमंत्री के रूप मे बता रहे थे उनकी बोलती बंद हो जायेगी। भाजपा जहां खाना खाने जैसा काम भी रण्नीति का ही एक भाग होता है, वहां उसके नेता शायद अभी से ही दिल्ली वालॊं के लिये दिल्ली रिजर्व कर रहे हैं। मोदी अगर गुजरात हार जाते हैं तो उनका खाली दिमाग दिल्ली की कुर्सी के लिये षडयंत्र रचना शुरू न कर दे!!!!

Friday, December 7, 2007

देते है भगवान को धोखा...

उपकार फ़िल्म के मशहूर गाने कस्मे वादे प्यार वफ़ा, सब वादे हैं वादों का क्या इस गाने की कडियां आज अहमदाबाद के अखबारॊ मे चमक रही हैं । यह उमा भारती की भारतिय जनशक्ति पार्टी के विज्ञापन का शीर्षक है। देते है भगवान को धोखा, इन्सा को क्या छोडेंगे..। फ़िल्म मे यह गाना प्राण पहली बार उन्हे मिली अच्छे आदमी की भूमिका मे गातें है। पर यह विज्ञापन अपने को हिन्दु ह्र्दय सम्राट कहलवाने वाले मोदी को प्राण की विलन की भूमिका मे दर्शाता है ।

आधा पन्ने के इस विज्ञापन से उमा भारतीजी के उम्मीदवार यह कह रहे हैं कि मोदी ने हिन्दुत्व का नाम ले वोट बटोरे हैं और बाद मे हिन्दुऒं को धोखा दिया है।इसमे मोदी का एक मुसलमान के साथ विचार विमर्श करते हुए फ़ोटो है। एक दूसरा कवितामय बयान है, पांच साल-मोहम्मद अली जिन्दाबाद, चुनाव के समय याद आये हिन्दुवाद, वाह रे भाजप तेरा अवसरवाद। टूटा हुआ त्रिशूल मोदी के टूटे हिन्दूत्व को बतलाता है।

मोदी ने हिन्दुऒ को क्या क्या वादे किये थे और वो अभी तक पूरे नही किये यह कहकर विज्ञापन कहता है -ये सब सारे संत हैं, मोदी तेरा अंत है।

चुनाव परिणाम जो भी आये, आजकल गुजरात के मतदाता चुनाव प्रचार की चुस्किया ले रहे हैं!!!!

कांग्रेस राहुल गांधी पर सट्टा खेलेगी

कांग्रेस ने आखिरकार राहुल गांधी को गुजरात के जनमत संग्राम मैदान मे उतारने का निर्णय कर लिया है। राहुल रविवार को सूरत शहर मे उनका रोड शो करेंगे। रविवार प्रथम चरण के प्रचार का आखिरी दिन है। साफ़ है कि उन्हे चुनाव मे काफ़ी देर से उतारा जा रहा है।

रहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के चुनाव मे क्या गुल खिलाये यह सभी को मालूम है। और हाल ही मे शराब के पक्ष मे उनके खुले विचार खुले रूप मे रख उन्होने एक और विवाद को न्योता दे दिया है। आज जब कांग्रेस गुजरात मे नशाबंदी की पैरवी कर रही है तब चुनाव प्रचार मे राहुल को बुलाना यानि कि आ बैल मुझे मार की स्थिती पैदा करना है।

राहुल का सूरत प्रचार पांच बैठकों को प्रभावित करेगा। ये हैं सूरत उत्तर, पूर्व, पश्चिम, चोर्यासी और ओलपाड। सुबह ११ से शाम ५ तक राहुल यहां प्रचार करेंगे। साफ़ है कि भाजपा इस मौके को नही छोडेगी। और कांग्रेस के पास कोई बचाव भी नही है!!!!! पर राहुल ठहरे सोनिया पुत्र, बेचारे कांग्रेसियों को मैडम की गुड बुक मे रहना है या नही?

भाजपा का गरीबी मुक्त गुजरात का वादा

आखिरकार भाजपा ने उसका चुनावी धोषणा पत्र जारी कर ही दिया। उसकी भाषा में कहें तो उनका संकल्प पत्र।

कांग्रेस ने गरीबों को कलर टीवी देने का वादा किया है तो अपने भाजपाईयों ने तो गुजरात में सभी को घर देने क वादा किया है। उस घर में चौबिस घंटे बिजले होगी।

रही बात किसानों की। सभी किसानों के खेतों में कुओं पर बिजली कनैक्शन होगा। नहरों में सिंचाई के लिये पानी होगा।

इन्दिरा गांधी के दिनों की याद दिलाता हुआ उसका नारा है, गरीबी मुक्त गुजरात! प्रदेशाध्यक्ष पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि पांच वर्ष बाद गुजरात में “गरीबी रेखा से नीचे” शब्द ही नहीं होगा।

भाजपा के इस गुजरात में सभी साक्षर होंगे। सभी के घर में नल होंगे जिसमें गुणवत्ता वाला पेयजल होगा। सभी गांव शहरों से मजबूत ऑल वेदर सड़कों से जुडे होगें। युवा शक्ति को रु.१००० करोड के रिवालविंग फंड के द्वारा सक्रिय शक्ति बनाया जायेगा।

यह सब कैसे किया जायेगा, इसके लिये कितना धन ख्रर्च होगा, वह कैसे जुटाया जायेगा जैसे प्रश्‍नों के उत्तर मे भाजपाई नेताओं का कहना है कि यह मत पूछों। हम यह सब कर लेंगें!!

भाजपा के चुनावी प्रमुख मुद्दे इस तरह है-सुरक्षित, सलामत और समृद्ध गुजरात, गुजरात १२ प्रतिशत वृद्धिदर हासिंल करेगा, सकल घरेलु उत्पादन दुगना और प्रतिव्यक्ति वार्षिक आय रु.८०,००० होगी, पारदर्शक और प्रामाणिक राज्य व्यवस्था, गरीबी मुक्त गुजरात, सभी घर विहीन परिवारो को घर, प्राथमिक शिक्षा में १०० प्रतिशत पंजिकरण और शून्य ड्रोप आउट, सभी घरों में नल द्वारा शुद्ध पीने का पानी, गरीबी रेखा के नीचे जीने वाले परीवार के लिए सर्वग्राही स्वास्थ्य विमा कवच, सभी गांवों को बारह मास पक्का रास्ता ।
स्वस्थ,स्वच्छ और निर्मल गुजरात,युवाशक्ति का विकासशील उपयोग, रिवोल्वींग फंड के रचना, बच्चों और वृद्धों की विशेष देखभाल, वंचितों के विकास के लिये विशेष योजना, उद्योग,वाणिज्य और ढांचागत क्षेत्र में वैश्विक स्तर, स्थापित विधुत ऊर्जा में दुगना कर २०,००० मेगावॉट।

Thursday, December 6, 2007

चुनाव का आतंकी खेल

शान्ती सुरक्षा और विकास की बातें करते करते कांग्रेस और भाजपा दोनों ही आतंकवाद की बातें करने लग गये हैं । भाजपा ने कल एक विज्ञापन दिया था। उसमे बताया गया था कि भाजपा के शासन मे गुजरात में तो केवल एक निर्दोष ही मरा है।दूसरी ओर UPA के शासन मे ५६१९ । मजेदार बात यह है कि इस विज्ञापन मे केवल गुजरात के शासन के चार वर्षो की बात कही गई है। साफ़ है कि यदि मोदीजी के ६ साल ले तो गोधरा और अक्षरधाम भी आ जाये और फ़िर यह आंकडा काफ़ी बडा हो जाये!और फ़िर मोदीजी यह मुद्दा उठा ही नही सकते !

आज कांग्रेस ने विज्ञापन दिया है। उसमे NDA सरकार के समय के आंकडे दिये गये हैं । विज्ञापन देख लगता है कि UPA सरकार के कार्यकाल मे तो आतंकवाद की कोई घटना ही नही हुई है। मोदीजी और कांग्रेसियों दोनों को लगता है कि जनता बेवकूफ़ है। आज के जमाने मे जब लोगो के पास जानकारी के बहुत सारे माध्यम हो गये हैं इस प्रकार की सोच राजनीतिक दलों का बेवकूफ़ी का एक खुला प्रदर्शन नही तो और क्या!!!!!

मोदी के विकासवाद का हिन्दू चेहरा

अपने मोदीजी ने इस बार चुनाव मैदान मे विकास का नारा लगाया। पूरे देश मे उनके समर्थकों ने कहा कि विकासवाद और राष्ट्रवाद ही मोदीजी का पर्याय है। वे देश की शक्ती हैं यह नारा लगने लगा। खैर अब पूरी दुनिया को मालूम पड गया है की मोदीजी का विकासवाद उनके हिन्दुवाद का ही स्वरूप है। अब वो सोहराबुद्दीन को मारने की ही बात कर रहे हैं ।

आज पूरे देश मे चर्चा है कि मोदीजी ने कितनी महिलाऒ को टिकट दी है। उन्होने कितने नये चेहरों को शामिल किया है। पर क्या किसी ने गौर किया है कि एक भी मुसलमान को टिकट नही दी गई है। गुजरात मे १३ प्रतिशत से अधिक मुसलमान हैं। १८२ बैठके है । २००२ में भी एक भी मुसल्मान को टिकट नही दी गई थी। क्या उसे एक भी उम्मीदवार नही मिल रहा है। आज हरिजनो और पिछडो को टिकट दे पार्टी यह जाहिर कर रही है की वह कितना समतोल विकास कर रही है।

क्या हम राज्य के १३ प्रतिशत नागरिकों को नजर अंदाज कर राज्य का विकास कर सकते हैं ? क्या मोदीजी यह जताना चाहते हैं कि मुसलमानों को जो मिले जैसे मिले उससे ही संतोश कर लेना चाहिये क्योकि गुजरात हिन्दु राष्ट्र है!!!!

Wednesday, December 5, 2007

अब आचार्य धर्मेन्द्र उतरे मैदान मे

इस चुनाव मे गुजरात सम्तों का चुनावी अखाडा बन गया है। चुनाव की घोषणा से पहले ही सम्तों ने यह सम्केत दे दिये थे कि वे मुख्य मंत्री मोदी के साथ नही हैं। पर मोदीजी का शयद यह मानना था कि और सभी की तरह साधु संत भी उन्ही की वजह से उनकी दुकाने चला रहे हैं।

पर उमा भारती पहली थी जिन्होने उनके इस विचार को तोडा। उतार दिये ५३ उम्मीदवार मैदान मे। बाद मे गुलांट मार गई। पर उनके बंदे तो अभी भी मैदान मे अडिग खडे हैं। किसी को मालूम ही नही उमाजी किस खेमे मे हैं। उनके साक्षात्कार तो यह कहते हैं कि वे मोदी की बहन बन उनके साथ है। पर, उनकी पार्टी के उपाध्यक्ष सघंप्रिय गौतम जी कहना है कि वे पूरी तरह से मोदी के खिलाफ़ मैदान मे हैं।

अभी यह अनिश्चिता खत्म हुई नही है कि आचार्य धर्मेन्द्र मैदान मे कूद पडे हैं। उनका कहना कै कि वे राष्ट्रिय विचारधारारा के साथ हैं। उन्होने इसके लिये नागरिक जागरण मंच भी बनाया है जिसका नारा है-जीता है भारत, जीतेगा भारत!! पत्रकारों के लाख पूछने पर भी उन्होने यह नही बताया कि वो किसके साथ हैं !!!! फ़िर किसका क्या साथ देंगे धर्मेन्द्रजी।

मोदी के ये NRG प्रेमी

सुना है कि अमेरीका मे मोदी प्रेमियों ने एक अभियान शुरू किया है। नोट और वोट से मोदी की मदद के लिये। उन्हे मालूम है कि मोदी का नाम आते ही गुजरात के दंगो की बात आयेगी । इसका जवाब उन्होने अमेरीका के अंदाज मे ही तैयार कर लिया है। उनके समर्थक अमेरिका में कह रहे हैं कि जैसे पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल को केवल उनकी गर्ल फ्रेंड मोनिका लेवंसिकी से सेक्सी रिश्तों की नजर से ही देखना ठीक नहीं होगा, उसी प्रकार मोदी को केवल गुजरात दंगों से ही देखना उचित नहीं होगा।

इन मित्रों का कहना है कि मोदी को भारत को श्क्तीशाली बनाने के लिये जिताना हरूरी है!!!


मोदी की सहायता के लिए बना है 'सपोर्ट गुजरात फोरम । उसने 'एनआरजी' को पकड़ने के लिए टीवी, रेडियो, ई-मेल, एसएमएस आदि साधनों का सहारा लिया है। फोरम ने विदेश मे बसे गुजरातियों से अपील की है कि वह गुजरात में अपने रिश्तेदारों, सहयोगियों और दोस्तों को ई-मेल और टेलिफोन करके 'मोदी भाई' को जिताने के लिए पूरी कोशिश करें। न्यू यॉर्क के एक पॉपुलर रेडियो स्टेशन को सपोर्ट गुजरात ने एक विशेष इन्टरव्यू में कहा है कि मोदी को केवल गुजरात दंगों की नजर से देखना ठीक नहीं होगा। सपोर्ट गुजरात ने इश मौके पर कहा कि क्या पूरी दुनिया में दंगे नहीं होते? पाकिस्तान, फ्रांस, लोस ऐंजिलिस में भी दंगे होते हैं।

विदेश में मोदी के प्रचारक दावा कर रहे हैं कि उन्होंने इतिहास रचा है, वह कर दिखाया है जो पिछले 50 सालों में भारत में नहीं हो पाया। मोदी की दूरदृष्टि और फिलॉसफी रही है- ज्ञान शक्ति, ऊर्जा शक्ति, जल शक्ति, जन शक्ति और रक्षा शक्ति। सपोर्ट गुजरात का दावा है कि अब गुजरात आतंकवाद से मुक्त है जबकि अन्य राज्यों में यह एक बड़ी समस्या है। इंटरव्यू में यह पूछे जाने पर कि गुजरात दंगों के लिए मोदी ही को जिम्मेवार माना जाता है, सपोर्ट गुजरात ने कहा कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में गुजरात से 3 गुना ज्यादा लोग सिख दंगों में मारे गए थे, मगर उसकी कोई बात नहीं करता।

हमे यह जान कर बहुत खुशी हुई की अपने ये गुजराती भाई अमेरिका मे बैठ कर भी गुजरात का कितना ख्याल रखते है। हे मित्रो गुजरात को आप जैसे हितेछुऒं की जरूरत है। आप और मोदी मिलकर गुजरात को दुनिया का नम्बर वन बनायें। आज जब गुजरात को मोदी ने स्वर्ग बना दिया है तो आप इस स्वर्ग का आनन्द लीजिये। यहा आईये और गुजरात को देखिये। मोदीजी की प्रचार सी डी मे तो बहुत देख लिया!!

मोदी का मुखोटे के पीछे का चेहरा

मोदी केवल विकास की हे बात करना चाहते हैं । वे गोधरा या अन्य किसी ऎसे मुद्दे पर चर्चा नही करना चाहते जो अदालत के समक्ष हो। पिछले काफ़ी समय से ये बाते दोहराने वाले मोदी अब जहां भी जाते हैं, सोहराबुद्दिन की मुठभेड की चर्चा जरूर करते हैं । लोगो से यह भी पूछते हैं कि सोहराबुद्दिन का मर्डर नही करता तो क्या करता?

आज जब सुप्रीम कोर्ट मे यह मामला है, गुजरात सरकार यह कह चुकी है कि यह फ़र्जी मुठभेड थी तब मोदी का यह कहना कि सोहराबुद्दिन आतंकवादी था इसलिये उन्होने उसे उडा दिया यह क्या दर्शाता है? उधर गुजरात सरकार का वकील परेशान है कि वह अदालत मे क्या कहे मोदी के इस विधान के बाद?

पर मोदी के इस विधान के बाद पुलिस की गुत्थी सुलझ गई है ? अभी तक पुलिस यह नही जान पाई है कि उसके आला अफ़सरों ने यह फ़र्जी मुठभेड क्यो की थी ? मोदी ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि यह सब उनकी कारस्तानी थी!!! है क्या पुलिस मे उन्हे पकडने की ? इस विधान ने मोदी के विकास के मुखोटे को हटा कर असली कोमी चेहरे को उजागर किया है।

बुरे फ़ंसे विहिप नेता

विश्व हिन्दु परिषद के अंतरराष्ट्रिय अध्यक्ष अशोक सिंहल की हालत खस्ता है । तेजाबी निवेदन करने वाले सिंहल्जी को मालूम नही था कि संतो के बारे मे किया गया उनका बयान उनको कितना भारी पडेगा। उन्होने मोदी का विरोध करने वाले संतो के मान्सिण्घ और जयचंद कहा। इस समाचार का छपना क्या था कि गुजरात मे भूचाल आ गया। संतो ने सिंहल को सबक सिखा देने का एलान कर दिया।

मोदी की पैरवी का यह अंदाज इतनाभारी पडा कि आर एस एस ने उन्हे तत्काल संतो की माफ़ी मांगने का फ़रमान दे डाला। साफ़ है कि गुजरात के साधु संत वैसे ही मोदी के खिलाफ़ मोर्चा खोले बैठे हैं। उधर उमा भारती के चेले भी ५१ बैठको पर मोदीजी के सामने बंदूक ताने बैठे हैं । एसे मे संतो को नारज करना मतलब आग मे घी डालना हैं।

नतीजन अपने अशोकजी को आज गुजराती अखबारों मे बडे बडे विज्ञापन दे माफ़ी मांगनी पडी। उन्होने जयचंद और मानसिंह जैसे शब्दो का प्रयोग किया था। समाचार दो कालम के थे, खुलासा चार कालम का। मूल समाचार की लंबाई १० से.मी और खुलासा ३० से.मी लम्बा। साफ़ है जिन्होने समाचार नही पढा था उन्होने खुलासे से अशोकजी के खतरनाक भाषा प्रयोग के बारे मे जाना!!

उनके इस माफ़ी विज्ञापन का शीर्षक है-संतो के अपमान के बजाय मै मरना अधिक पसंद करूंगा। उन्होने यह भी बताया कि वे संत सेवक परिवार से हैं । मैं संतो के अपमान की बात स्वप्न भी नही सोच सकता।

अशोकजी ये तो बताईये की आपको इतना बडा विज्ञापन देने की जरूरत क्यो पडी। अगर आप की बात मे इतना ही दम था तो संत आपके मौखिक खुलासे से ही क्यो नही मान गये। और मजेदार तो यह है कि उन्होने खुद को संतो का रजकण कहा है।

Tuesday, December 4, 2007

केशुभाई बोले...

कल रात केशुभाई ने दूसरा गोला दागा। दो दिन पहले उनके विचारो मे लिपटा हुआ सरदार पटेल उत्कर्श समिति का एक विग्यापन छपा था। कल तो वे खुद बोले। उन्होने मोदी का नाम नही लिया, पर जो भी बोले,जितना भी बोले उससे साफ़ था कि उनकी जंग मात्र मोदी के शासन के खिलाफ़ हैं। उनका इंटरव्यु एक चैनल पर प्रसारित हुआ।

केशुभाई गुजरात मे भाजपा को शून्य से शुरू करने वाले नेताऒ मे से एक है। दो बार मुख्य मंत्री रह चुके केशुभाई पटेल और नरेन्द्र मोदी कट्टर राजनीतिक दुश्मन हैं ।

इनका कहना था कि गुजरात मे डर का माहौल है, वहां लोकतंत्र नहीं तानाशाही है। उनकी बात शायद गुजरात के बाहर के लोगों को समझ मे ना आये। गुजरात मे भी आम आदमी यह समझ नही पा रहा है। यदि हम विधान सभा की कार्यवाही हे देखे तो मालूम पडेगा कि आप सरकार के या मोदी के विरुद्ध मुद्दा छेडिये और शासक पक्ष का हंगामा शुरू।बहुमति के जोर पर जल्द ही विरोध करने वाले को सदन के बाहर।

किताबों मे लोकतंत्र पढ्ने वाले इस व्यवहारिक लोकतंत्र को नही समझ पायेंगे। पर यह गुजरात की हकीकत है। साफ़ है कि भाजपा का कोई सदस्य तो सदन मे सरकार की बुराई नही कर पायेगा। सदन के बाहर मोदीजी बाहर वालों की तो छोडो, खुद की पार्टी वालों की भी नही सुनते।

उन्होने निवेश का मुद्दा भी छेडा।साफ़ है की सारा निवेश कुछ चुने हुए उध्योगपतियों से ही आ रहा है। उसका फ़ल भी उन्ही को ही मिल रहा है। आम आदमी का क्या?

पर केशुभाई ने ये सभी बातें गोल गोल कहीं । ना तो मोदी का नाम लिया और ना ही उनका कोई विकल्प सुझाया।

औरों की बात छोडॊ, केशुभाई आप खुद नरेन्द्र मोदी से कितने डरे हुए हैं कि वो कहीं आप को पार्टी से बाहर नही निकलवा दे!!!!

गुजरात भवन में रहने के टिप्स

दिल्ली में चाणक्यपुरी मे जहां एक और सभी देशों के दूतावास हैं वहीं सभी राज्यों के भवन भी हैं । उसमे अपने गुजरात का भवन भी है। चुनाव टिकट रिपोर्टिंग के चक्कर मे एक पखवाडे मे तीन बार वहां रुकना हुआ। हम यहां अपने अनुभव के निचोड को पाठको की सुविधा के लिये पेश कर रहे हैं।

सर्वप्रथम तो जहां तक संम्भव हो यहां रुकना टाले, सिवाय की आप गुजरात सरकार के आला अफ़सर है या फ़िर राजनीतिक तोप हैं। या फ़िर हमारी तरह मजबूरी मे रुक रहे हैं।

यह समझने के लिये यह बता दें कि विपक्ष के नेता अर्जुन मोढवाडिया को भी कमरा मिलने में दिक्कत होती है। दूसरा तरीका यह है कि काउंटर पर अगर आप मा-बहन कर सकते हैं तो आपके कमरा पाने के अवसर बढ जाते हैं। एक दिन सुबह सुबह लीम्बडी के विधायक भवान भरवाड के बुकिंग कराने के बावजूद उन्हे कमरा नही मिला तो उन्होने मोदी सरकार का मां बहन चालीसा गाना शुरू किया । और स्टाफ़ को तुरन्त ही उनके लिये कमरा दिखलाई दे गया। उसके बाद हमने यह नुस्खा सफ़लतापूर्वक कईयों को अपनाते हुए देखा।

यदि आप तोप नही हैं तो मेहरबानी कर आप अपना तौलिया और साबुन जरूर ले जायें । यहा यह आसानी से नही मिलता। ऎसा भी हो सकता है कि आपके काफ़ी रिकझिक करने पर आपको फ़टा हुआ तौलिया मिले। वैसे तो चद्दर वगैरह भी कब बदली जाती है, इसके नियम हम अभी तक नही समझ पाये हैं। यह अनुभव आधारित सलाह है।



भले ही आप को गुजराती संस्कृति और गुजरात से कितना भी लगाव हो, यहां गुजरात ढूंढने की कोई कोशिश न करें। अन्यथा यह खुद को दुखी करने का एक प्रयास ही होगा।यहां सुबह नाश्ते मे गुजराती फ़ाफ़डा, खमण मिलना बंद हो गया है। भोजन मे जरूर गुजराती छटा है, पर इसमे भी छाश, कचुमर जैसी वस्तुएं लुप्‍त हो गई है। सारा स्टाफ़ बाहर का है और वह दो तीन गुजराती शब्द ही जानता है। केम छो, आवजो और रूम नथी!!!



हमने देखा कि अधिकतर लोग बाहर खाना पसंद करते हैं। ये वो लोग हैं जिन्हे गुजरात भवन मे रहने का पाला बार बार पडता है। मांसाहारी खाने के शौकीन बगल के जम्मू कश्मीर भवन मे जाते है और शाकाहारी लोगों के लिये निकट का मध्यप्रदेश भवन प्रिय स्थल है। आप कोई और स्थल भी चुन सकते हैं।

पिछले काफ़ी समय से यहां रिक्त स्थानो की भरती ना होने के कारण यहां का स्टाफ़ हमेशा काम के बोझ के तले ही दबा रहता है। हालांकि यह आथित्य सत्कार क्षेत्र का अंग है, यहां के स्टाफ़ को कोई भी नया अतिथी एक बोझ लगता है। अपनी समस्याऒं का अधिकारियों द्वारा हल ना पा सकने के कारण स्टाफ़ का शिकार आने वाले मेहमान होते हैं । क्योकि तोप लोगो के सामने कुछ नही चलती इसलिये स्टाफ़ की भडा़स एक या दूसरे तरीके से आम अतिथी पर ही निकलती है। आप इस भडा़स को अपने तरीके से हेंडल कर सकते हैं! आप या तो खुद का भेजा गरम कर सकते हैं या फ़िर सामने वाले की जेब!!!

अगर आप रूम मे टिक ही गयें हैं तो आप पंखों पर जमी गंद की काली पर्त से ना घबरायें। यह गंद इतनी जोरदार चिपक गई है कि आप पर इसका एक कण भी नही गिरेगा। हमने इस गर्द का वजन ढूंढ्ने का कोई सार्थक प्रयास नही किया है इसलिये हम यह बताने की स्थिति मे नही हैं कि ये पंखे कब तक इस गर्द का बोझ सहन कर पायेंगे।

नहाते समय इस बात का ध्यान रखे कि पानी जा सकता है, या फ़िर गीजर काम न करता हो। पर अभी ये घटनायें जल्दी जल्दी नही होती हैं । चाय कॉफ़ी आने पर यदि केतली का ढ्क्कन नदारद हो तो वेटर को कोसने की जगह चाय कॉफ़ी जल्दी से गुटकने पर शक्ति केंद्रित करें । आपके स्वास्थय और जेब के लिये यही हितकर होगा। रूम मे टोस्ट खाने के लिये सामान्य ओर्डर देने से थोडे ज्यादह प्रयत्न करने के लिये तैय्यार रहें। आपको तैय्यार जवाब मिलेगा, कि टोस्टर बिगडा हुआ है। ब्रेड बटर से काम चला लो।

यदि आप यह मानते हैं कि काउंटर पर चाबी छोडने से आपका कमरा साफ़ मिलेगा, तो आप अपनी धारणाऒ के टूटने के दुख को सहन करने के लिये तैय्यार रहें। मित्रो ये टिप्स पीछे वाली विंग मे अधिक लागू होते है।

यह हाल पिछले कुछ वर्षो मे ही हुआ है। एक जमाना था कि गुजरात भवन नम्बर वन था। यहां बाहर के लोग भी आ कर उनके कार्यक्रम किया करते थे।

मजेदार बात तो यह है कि अपने मुख्यमंत्री नरेन्द्रभाई भी जब दिल्ली आते हैं तो यही रुकते है। पर वो तो CEO ठहरे गुजरात के। दिल्ली मे विभिन्न राज्यों के भवन उन राज्यो के परिचायक हैं । और यह है परिचय हमारे नरेन्द्र्भाई के नम्बर वन गुजरात के गुजरातभवन का!!!

Monday, December 3, 2007

कांग्रेस का सुदर्शन चक्र

कांग्रेस ने हाल ही मे उसका चुनावी घोषणापत्र जारी किया। उसे नाम दिया कांग्रेस की शपथ। आजकल राजनीतिक दलों मे यह एक नयी शैली शुरू हो गई है। भाजपा ने इस बार अभी तक उसका घोषणापत्र जारी नही किया है। शायद जारी नही भी करे। पिछली बार उसने इसे संकल्प पत्र का नाम दिया था। यह बात अलग है कि मुश्किल से १० प्रतिशत संकल्प ही पूरे हुए हैं । खैर हम बात कर रहे हैं कांग्रेस के शपथपत्र की।

देखा जाये तो इसमे कुछ नया नही है। पर, कुछ घोषणाएं तो ऎसी हैं वो मोदीराज की समस्याओं का हल हैं। आजकल गुजरात मे किसान मोदीजी की सरकार से त्रस्त हैं। उन पर बिजली चोरी के केस ही नही हो रहे, उन्हे बिजलीचोर के रूप मे विज्ञापनों मे दर्शाया जा रहा है। अब कांग्रेस का कहना है कि वह सत्ता मे आयी तो वह किसानो के सारे केस वापिस ले लेगी। इसके साथ ही छोटे किसानों के लिये राहत दर पर खाद और बिजली ! किसानों के लिये इससे ज्यादह खुशी कि बात और क्या हो सकती है।

मोदीजी के आने के बाद शिक्षकों की भर्ती ही बंद हो गई है । तीन हजार के फ़िक्स वेतन पर विद्यासहायक और शिक्षासहायकों की भरती की जाती है। कांग्रेस का कहना है कि यदि सत्ता मे आयी तो वो शिक्षकों की भरती पूरे स्केल वाले वेतन से करेगी। कौन नही चाहेगा ऎसी नौकरी।

हमारे मोदीजी ने विधवा और त्यकताओं को मिलने वाली मदद पर रोक लगा दी है। उनकी सरकार का कहना है कि इस योजना का दुरूपयोग होता है। घोटालेबाजों को ढूंढने के नाम पर किसी को भी भत्ता नही मिल रहा । ऎसे में कांग्रेस कह रही है कि सत्ता मे लाओ, भत्ता पाओ और और भी ज्यादा राशी पाओ ।

इसी प्रकार सरकारी डोक्टरों को वादा किया है कि मोदी ने जो डोक्टरों का NPA बंद किया है, उसे वो वापिस शुरू कर देंगे। साफ़ है, मोदीजनित समस्याऒं के हल के सहारे कांग्रेस सत्ता पाने की नीति पर चल रही है। कांग्रेस इसमे सफ़ल होगी या नही, यह तो चुनाव परिणाम ही बतायेंगे। पर यह साफ़ है कि इस शपथपत्र ने भाजपाईयों की नींद उडा दी है। परिणामस्वरूप भाजपा के केंद्रीय प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने पत्रकारों को प्रेसनोट ठोक दिया कि कांग्रेस का शपथपत्र किराये के टट्टूऒं ने बनाया है और इसमे भाजपा की योजनाऒ को ही दोहराया गया है!!!

एक विज्ञापन जिसने तहलका मचा दिया

अहमदाबाद के अखबारों मे आज एक आधा पन्ने का विज्ञापन छपा। तानाशाहों को गद्दी से उतार फ़ेकों। बागी भाजपाईयों की सरदार पटेल उत्कर्ष द्वारा दिये गये इस विज्ञापन की विशेषता यह है कि इसमे केशुभाई का फ़ोटो है जिसमे वो हेडलाईन की ओर इशारा करते हुए दिखाई दे रहे है । विज्ञापन मे कहा गया है कि केशुबापा की जनता को अपील- आज परिवर्तन लाने की सख्त जरूरत।

गुजरात और समाज के हित मे पूरी जिन्दगी लगा देने वाले केशुबापा बहुत दुखी हैं । उन्होने भाजपा का प्रचार करने से इंकार कर दिया है। उन्होने यह निर्णय कितने दुखी मन से लिया है यह सोचना। घर मे बैठे मत रहना। मतदान करने के लिये निकलना और परिवर्तन के लिये ही मतदान करना।

केशुभाई भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और गुजरात के दो बार मुख्य मंत्री रह चुके हैं ।

केशुभाई बागी भाजपाईयो की अगुवाई कर रहे हैं। पिचले कुछ समय से एक व्यवस्थित रूप से कहा जा रहा है कि केशुभाई विरोध मे प्रचार नही करेंगे। यह भी कहा जा रहा है कि केशुभाई अमरीका चले जायेंगे और बागियों को अकेला छोड देंगे। इस विज्ञापन ने इन सभी अफ़वाहों को गलत सिद्ध कर दिया है। साफ़ है कि केशुभाई उनके राजनीतिक दुश्मन नरेंन्द्र मोदी को चुनावी संग्राम मे नही छोडेंगे ।

Sunday, December 2, 2007

गुलाटमार यतिन वापिस भाजपा में

गुजरात की राजनीति से ले कोर्ट कचहरी तक मे यतिन ऒझा को कौन नही जानता? काफ़ी मशहूर हैं । एक नेता या वकील के रूप मे कम,सनसनीबाज आदमी के रूप मे ज्यादा। मजेदार बात यह है कि इस सबके बावजूद वे अहमदाबाद के जनजीवन मे एक बडा नाम हैं। वो साबरमती के भाजपा के विधायक रह चुके हैं । कुछ साल पहले नाराज हो गये। तत्कालीन मुख्य मन्त्री केशुभाई पटेल को कुछ पत्र दाग, भाजपा को गालियां बक भाजपा को अलविदा कह दी।
जुड गये कांग्रेस मे। और काफ़ी समय तक गुमनामी मे खो रहे। अब जब चुनाव की बात चली तो अपने यतिन भाई का बजार वापिस गर्म हो गया। जब लगा कि कांग्रेस मे दाल नही गलेगी , उन्होने मोदीजी के आसपास घूमना शुरू कर दिया। पर अपने भाई बेवकूफ़ थोडे है। हवा फ़ैल्वा दी, कि यतिन वापिस भाजपा मे आ रहे हैं। नतीजा । अपने यतिन भाई सभी को सफ़ाई देते नजर आये कि इस बात मे दम नही है।

कुछ दिन पहले मिल गये कांग्रेस भवन मे । बोले, योगेश मै शाह्पुर से चुनाव लड रहा हू, कांग्रेस की टिकट पर। उनका वही अंदाज। आखों मे आंख डाल कर। कोई उनकी बातॊ को गलत कैसे मान सकता है। हमने भी उनके दोस्तों को फ़ोन कर कर कह दिया, भैये दो अभिनंदन यतिन को । थोडी देर बाद हमारे फ़ोन की घंटिया बजने लगी। मित्र बोले कि यतिन तो ना कह रहा है। हमे यह कहने की जरूरत ही नही पडी कि भैये यतिन की बात तो राम जाने।
कुछ दिन पहले, गुजरात भवन मे उनकी बीबी के साथ टकरा गये। बडी गर्मजोशी के साथ मिले। उन्होने अपनी से पूछा, जानती हो योगेश्जी को। बडे पत्रकार है, काफ़ी पुराने मित्र। दिल्ली जाते ही अपने गुजरात के नेता हिन्दी बोलनी शुरू कर देते हैं ! हर कोई सोचता है की वो संसद मे बोल रहा है।

खुद ही बोले कि कांग्रेस मे ही है। इस मुलाकात को दस दिन भी नही हुए और कल रात हमारे फ़ोटोग्राफ़र ने हमे कहा कि यतिनभाई राजनाथजी के साथ भाजपा की एक बैठक को संबोधित कर रहे हैं!!!! कुछ देर मे भाजपा के फ़ेक्स ने यह बात सही सिद्ध कर दी कि अपने यतिन भाई अब वापिस भाजपाई हो गये हैं । देखे कितने दिन भगवा रंग चढा रहता है उन पर।

विपक्ष के नेता का चुनावी महासंग्राम

विधानसभा में विपक्ष के नेता अपने दाढी वाले अर्जुनभाई मोढवाडिया चुनावी मैदान में काफी विरोध का सामना कर रहे हैं। उनके मतक्षेत्र पोरबंदर में सर्वाधिक उम्मीदवार १५ है। राज्य के १८२ मतक्षेत्रों में पोरबंदर ही एक ऐसा मतक्षेत्र है जहां १५ उम्मीदवार है। तीन मतक्षेत्रों में १४ हैं।

पूर्व उपमुख्यमंत्री नरहरि अमीन को इस मामले में राहत है। दो बार चुनाव हारने बाद इस बार वो साबरमती छोड़ अहमदाबाद के दूसरे सिरे की ओर के मातर में चले गये हैं।

उनके सामने केवल एक ही उम्मीदवार है, भाजपा का देवुसिंह चौहान। वो कांग्रेस के बागी हैं जो भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और इसलिये बेचारे नरहरि को नई पिच पर देवुभाई की बागी की फास्ट और स्पीन दोनों ही झेलनी पडे़गी।

शारीरिक और राजनीतिक दोनों ही रुप से हेवीवेट, क्रिकेट में भी हेवीवेट हैं। वे गुजरात क्रिकेट एसोशियेशन के अध्यक्ष हैं और क्रिकेट बोर्ड के उपाध्यक्ष रह चुके हैं।

देखें होम ग्राउन्ड छोड़ विदेशी ग्राउन्ड नरहरि भाई को कितना शुभ होता है।

उधर अपने इकरे शरीर के अर्जुनभाई राजनीति के हेवीवेट हैं। देखें विरोध पक्ष के नेता के रुप में मंझे अपने अर्जुनभाई इस चुनावी संकट से कैसे निपटते हैं।

दाढी वाले मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद को नमो अर्थात झुको कहलवाना पसंद करवाते हैं। अपने अर्जुनभाई मोढवाडिया नमो के सामने अमो अर्थात हम हैं!

उनका कहना है कि उसके सामने इतने सारे उम्मीदवार नमो की चाल है। उनका कहना है कि फिर भी अमो (हम) जीतेंगें।

सुरिन्दर भाई टिकट उडा लाये

अपने सुरिन्दर भाई तो भाई ही हैं । हर दो तीन साल में कुछ कमाल दिखला ही देते हैं । बडी दाडी और गुस्सैल तेवर। सुरिन्दर भाई तो राजपुताना अंदाज बता ही देते हैं। तीन बार हार चुके है। लगा कि शायद पत्नि को खडा कर उसके भाग्य से खुद को चमकाये, पर समय ने साथ नही दिया। फ़िर भी अपने सुरिन्दर भाई राजपुत तो सुरिन्दर भाई हैं। हिम्मत नही हारी। पहुच गये दिल्ली, विधान सभा की टिकट के लिये। डेरा डाल दिया गुजरात भवन में । और टिकट वांछुऒ की तरह सुबह शाम सभी के दरबार मे चक्कर लगाते और कहते की कुछ भी हो जाये, टिकट ले कर ही जायेंगे।

बरसों दिल्ली मे ऎ आई सी सी मे चप्पल घिसटने के बाद अपने सी ऎम राजपुत ने भी इस बार ठान ली कि वो भी टिकट ले कर ही रहेंगे। आकाऒ को कह दिया कि अब और काम काज नहीं। अब तो हम एम एल ऎ बन कर ही रहेंगे। हालत यह कि, कोइ भी पूछे कि सी एम कहां हो आजकल, तपाक से जवाब देते, ६९ दरियापुर-काजीपुर।

ये दो कम नही थे तो अपने कब्बडी उस्ताद हेमंत झाला भी मैदान मे कूद पडे, जै राजस्थान का नारा लगा कर। राजस्थनियो के शाहिबाग मे रहने वाले हेमन्त भाई का कहना था कि उनकी जैन बीबी जिस पर वो पहली नजर मे ही फ़िदा हो गये थे वो उनका एक बहुत बडा वोट बैन्क हैं। इस इलाके मे जैन काफ़ी अधिक संख्या मे हैं।

मजेदार बात तो ये कि दिल्ली मे ये आराम से एक साथ मिलते और चाय पिते हुए बतियाते और अपने एक सूत्री मिशन पर निकल जाते। खैर आखिर मे यह साफ़ हो गया कि ६९ दरियापुर-काजीपुर तो लोजप को मिलेगी।

पर अपने सुरिन्दर भाई तो दिल्ली से नेताजी के अंदाज मे आये। समर्थकों को हवाई अड्डे पर स्वागत के लिये बुलवा लिया। घोषणा कर दी कि टिकट तो उन्हे ही मिलेगी। सब दंग। खैर दबंग सुरिन्दर भाई अपने प्रदेश अध्यक्ष भरतसिंह के खास ठहरे ।

बाद मे मालूम चला कि आखिरी दिन सचमुच मे ही सुरिन्दर भाई ने नामांकन पत्र भर डाला। कुछ का कहना था कि भरतभाई के गिरेबान थाम सुरिन्दर भाई टिकट ले आये। अपने भाई को सब जानते हैं। वो यह सब कुछ कर सकते है। उधर भरत भाई फ़ोन उठावे तो कोई उनसे हकीकत पूछे। वैसे वो उठाते या उनसे मिलते तब भी किसी की हिम्मत नही कि वो कुछ पूछ सके। वो कब क्लास लेना शुरू कर दें कोई कह नहि सकता। एक बार उनका पीरियड शुरू हुआ नही कि खत्म कब होग कोई नही जानता।

बाद मे मालूम पडा कि उन्हे भरतभाई ने लोजपा को फ़िट करने के लिये सशर्त इजाजत दी थी। पर अपने सुरिन्दर भाई तो अडे ही रहे कि टिकट तो उन्हें ही मिली है। आखिरी दिन तो अपने सुरिन्दर भाई गायब ही हो गये। कांग्रेस के नेता जब चुनाव आयोग मे पहुचे तब मालूम पडा कि सुरिन्दर भाई के बिना तो कुछ भी नही। समय पूरा हो गया। सुरिन्दर भाई का नाम मतदान पत्र मे आ गया। भाड मे गई कांग्रेस और कांग्रेस के नेता। नेता तो बस अपने सुरिन्दर भाई !!!!!
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