Followers

Friday, November 2, 2007

मीडिया मे चुनाव का सट्टा

हालांकि गुजरात मे चुनाव को अभी ४० से अधिक दिन बाकी है, चुनावी अटकलों का दौर पूरे जोर शोर से चल रहा है। कोइ भी मिलता है तो पूछता है कि क्या चल रहा है? आप इसका जवाब दे उससे पहले ही वो बंदा अगला सवाल दाग देता है। और क्या लगता है इस बार? कौन आयेगा?

पत्रकारो की दुनिया हो या छुटभैयो की जमात या फ़िर खाली बैठे लोगो की चौपाल। सभी जगह बस एक ही सवाल।

साफ़ है की सट्टा बज़्जार इससे अछूता नही रह सकता। पर भाई अपन होली दिवाली ताश शायद खेल ले, सट्टा बज़ार तो अपने बस की बात नही। खैर कल टाईम्स आफ़ इंडिया पढा। उसमे सट्टा बज़ार की रेपोर्ट पढी। लगा की बज़ार तो कांग्रेस का ही है। अलग अलग दिनॊ के दाम लिखे थे अपने रिपोर्टर भाई ने अपने खुद के नाम के साथ।

हिमान्शु कौशिक का कहना है कि हमेशा कांग्रेस ही आगे रही है, भले दाम मे कुछ उतार चढाव रहा हो। ३० अकतूबर को भाजपा के ९८ के सामने कांग्रेस के ८४ पैसे ही थे। तहलका के बाद तो भाजपा का दम ११२ को छू गया था। कारण ? तहलका से भाजपा की छवी काफ़ी बिगडी थी।

आज गुजराती अखबार संदेश मे दाम देखे। इस रिपोर्ट मे बिल्कुल ही उलटी तसवीर थी।भाजपा की ९० बैठकों के लिये ३२ से ३७ पैसे और कांग्रेस की ८० बैठको के लिये भी १.८० से १.९०। इस रिपोर्ट मे तो भाजपा की १२५ बैठको के लिये रू६.५० तो कांग्रेस के रू२१।

क्या आप दाम लगाना चाहेंगे कि कौन सा अखबार सही लिख रहा है और कौन किसी और गणित से लिख रहा है ?

अकीक के कारीगरॊं पर सिलीकोसिस का काला साया

गुजरात के खम्भात क्षेत्र का अकीक पत्थर का व्यव्साय काफ़ी पुराना है। उतनी ही पुरानी है उनकी सिलीकोसिस की जान लेवा बिमारी की समस्या। पहले किसी को इस बिमारी के बारे मे मालूम नही था, और आज जब सभी को मालूम है कि यह क्या है, तब भी किसी को इस काम मे जुटे गरी कारिगरों की कोई चिंता नही है।

२० वर्ष की उम्र मे इस काम मे लगे व्यक्ति की ४० की उम्र तक तो हालत खस्ता हो जाती है। पिछले २० से अधिक वर्षो से यह मामला मीडिया मे भी चमक रहा है, पर इसका कोई असर ही नही। हाल ही मे PUCL की एक टुकडी यहा सर्वेक्षण करके आयी। उसके अनुसार इस वर्ष अभी तक १३ व्यक्ति मर चुके हैं, पिछले वर्ष १२ मरे थे।

मरने वालों से अधिक चिंता का विषय है सड सड कर मौत की तरफ़ जाना। खम्भात मे ३०,००० से अधिक लोग इस व्यवसाय मे हैं। इसमे अधिकांश पिछडी जाती के हैं। इनका काम पत्थरों को घिस कर, पोलिश कर चमकाना है।

यदि फ़ेक्टरी कानून को देखे तो वह यहा इन मजदूरे के लिये है ही नही। अगर उसे लागू भी किया जाये तो केवल इन मजदूरो को ही नुकसान होगा। फ़ेक्टरी के बंद हो जाने से जो दो पैसे आज मिलते हैं वो भी बन्द हो जायेंगे । इस समस्या का निदान केवल मात्र इन कारीगरों को बेह्तर काम करने की सुविधा उपलब्ध कराना है।

पर वो कराये कौन?

Thursday, November 1, 2007

नेता सम्मान करने मे जुटे हुए....

कुछ दिन पहले कांग्रेस ने शहर के एक युवा वकील देवांग नानावटी का सम्मान किया । कारण ? नानावटी टाईम्स आफ़ इंडिया के लीड इंडिया कार्यक्रम मे गुजरात मे प्रथम आये थे। देखा जाये तो इस प्रकार के कार्यक्रम को कोइ महत्व नही देता है। खैर, भाजपा क्यो पीछे रहती। भाजपा ने कल नानावटी का सम्मान कर डाला।

कल ही कांग्रेस ने ओलंपिक के लिये रेस वोकिंग के लिये चुने गये बाबुभाई का करमसद ले जा सम्मान कर डाला। उनका सम्मान सरदार पटेल जयन्ति के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम मे किया गया। मजेदार बात यह है कि एक दिन पहले मुक्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनका सम्मान उनके कार्यालय मे किया था!!!

पिछले हफ़्ते कांग्रेस को जब भाजपा की डोक्टेरों की मीटिंग के बारे मे मालूम चला तब एक दिन पहले ही डोक्टेरों की मीटिंग कर डाली। प्रदेश अध्यक्ष भरत सोलंकी ने कह कि पांच डोक्टरों को कांग्रेस को टिकट देगी। सभी को मालूम है कि हर विधान सभा मे आधा दर्जन डोक्टर तो होते ही है।

पर नतीजा यह हुअ कि अगले दिन की मोदीजी की डोक्टेरों की मीटिंग फ़ीकी पड गई।

देखा मतदाता राजा है, पर केवल मतदान के दिन तक!!!!!!!!!
Post this story to: Del.icio.us | Digg | Reddit | Stumbleupon